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दुनिया का पहला थ्री-डी घुटना; अासानी से होगा फिट, लंबे वक्त तक चलेगा :

अमेरिकी साइंटिस्ट ने दुनिया में पहली बार थ्री-डी प्रिंटेड घुटना बनाया है। इससे आने वाले वक्त में घुटने के दर्द से परेशान लोगों को इलाज में आसानी होगी। साथ ही वे जरूरत होने पर अपने घुटने का रिप्लेसमेंट भी करा सकते हैं। क्योंकि अभी मरीजों को घुटने के रिप्लेसमेंट में परफेक्ट मैच नहीं मिलने के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हाइड्रोजेल मेटेरियल से डिजाइन किए गए इस घुटने की लागत करीब 19 हजार रुपए आई है। उधर, भारत में आर्थोप्लास्टी मार्केट 2010-17 के बीच में 26.7% बढ़ा है।

नया घुटना काफी लचीला और आसानी से फिट हो जाता है –

- इस घुुटने को नार्थ कैरोलिना स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने डिजाइन किया है। इनका कहना है कि उन्होंने इस खास घुटने को थ्री-डी प्रिंटेबल हाइड्रोजेल मैटेरियल से तैयार किया है।

- इसकी खासियत यह है कि ये काफी लचीला है और इसे किसी शख्स के घुटने की हड्‌डी में आसानी से फिट किया जा सकता है। यह शरीर में काफी वक्त तक सिक्योर भी रहेगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पहले कार्टिलेज (चबनी हड्‌डी) मिमिकिंग मैटेरियल बनाया। इसका प्रयोग मेनिसेकी (घुटने की हड्‌डी) को बदलने के लिए किया गया है।

क्या खास है इसमें -

- एक शॉक एब्जॉर्बर लगाया है, जो घुटने के बीच की शिन हड्‌डी में तकिए का काम करती है। जिससे मरीज को दर्द से राहत मिलती है।

- यह घुटने की इंजरी से परेशान प्लेयर्स के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। - दरअसल, अभी तक घुटने के रिप्लेसमेंट में काफी दिक्कत होती है। क्योंकि वास्तविक कार्टिलेज लचीले नहीं होते हैं, इसके चलते ये मरीज में मैच नहीं कर पातेे।

- साइंटिस्ट के मुताबिक इसे बनाने में करीब 19 हजार रुपर का खर्च आया है। जल्द ही इसे मार्केट में भी उतारा जाएगा।

- ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बेंजामिन विली कहते हैं कि हमने बहुत ही सस्ती चीज बनाई है। अभी मौजूदा जेल इंसान के टिश्यू से स्ट्रांग नहीं है। जब उसे हम प्रिंटर पर डालते हैं तो वो चारों तरफ फैल जाता है, क्योंकि उसमें पानी ज्यादा होता है। इसलिए हमने डबल नेटवर्क हाइड्रोजेल बनाया है, जो ट्रेडिशनल जेल से काफी स्ट्रांग और बेहतर है।

भारत में 6 साल में घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी 27% बढ़ी –

- एक रिसर्च एजेंसी के मुताबिक भारत में आर्थोप्लास्टी मार्केट 2010-17 के बीच में 26.7% बढ़ी। देश में 2011 में 70 हजार और 2012 में 80 हजार ज्वाइंट नी रिप्लेस्मेंट हुए। सर्जरी करने वालों में 61% की उम्र 45-64 की बीच थी और 60% महिलाएं थीं।

- भारत में आर्थोप्लास्टी मरीजों में 70% मामले घुटने के दर्द और 20-30% हिप पेन के होते हैं। दुनिया में भारत नी रिप्लेसमेंट कराने वाले मरीजों के लिए मेडिकल टूरिज्म सेंटर बनकर उभरा है। क्योंकि यहां इलाज का खर्च काफी कम है। अमेरिका में रिप्लेसमेंट का खर्च करीब 26 लाख, ब्रिटेन में 8.4 लाख, सिंगापुर में 7 लाख और भारत में 5.5 लाख रुपए है।

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