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कागज की तरह मुड़ने वाला मोबाइल फोन “ग्रैफीन” से बन सकता है :

26 May 2017 | 10.50 AM

ग्रैफीन के जरिए पूरी दुनिया से पानी की समस्या को समाप्त किया जा सकता है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी एवं एडीए के डायरेक्टर रहे वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि इससे कागज की तरह मुड़ने वाला मोबाइल फोन भी बनाया जा सकता है.


उन्होंने कहा कि ग्रैफीन दुनिया का सबसे पहला टू डाईमेंशनल पदार्थ है, जो पारदर्शी होने के बावजूद भी स्टील से 300 गुना अधिक मजबूत होता है. स्वयंसेवी संस्था डां. प्रभात दास फाउंडेशन एवं नागेन्द्र झा महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘ग्रैफीन का हमारे जीवन पर प्रभाव' विषय पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रख्यात वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा ने यह बात कही.


उन्होंने कहा कि ग्रैफीन विद्युत का तेज संवाहक है. शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्रैफीन भविष्य मं बनने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी एवं एडीए के डायरेक्टर रहे वैज्ञानिक वर्मा ने अपने द्वारा बनाये गये लड़ाकू विमान ‘तेजस’को याद करते हुए कहा कि अगर ग्रैफीन का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाय तो तेजस या फिर अन्य विमानों को भी और भी हल्का एवं बेहतर बनाया जा सकता है. ग्रैफीन की मदद से पीने के पानी से 99.9 प्रतिशत आर्सेनिक हटाया जा सकता है.साथ ही इसके जरिए समुद्र के खारे पानी को भी मीठे जल में बदला जा सकता है. मतलब ग्रैफीन के जरिए पूरी दुनिया से पानी की समस्या को समाप्त किया जा सकता है. साथ आर्सेनिक जल के कारण कैंसर जैसी बीमारी से भी आम लोगों को निजात मिल सकती है.


उन्होंने बताया कि ग्रैफीन युक्त पदार्थों का प्रयोग कर विभिन्न वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे बैटरी, सोलर सेल आदि की गुणवत्ता को और अधिक निखारा जा सकता है. साथ ही इसके द्वारा भविष्य में लचीला मोबाइल, टैबलेट, टीवी आदि का भी निर्माण संभव है. इससे ऐसा मोबाइल बन सकता है जिसे कागज की तरह आसानी से मोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसका उपयोग स्टेम सेल बनाने में किया जा सकता है, जो अभी तक संभव नहीं था. इसके उपयोग से ब्रेन कैंसर को जड़ से समाप्त किया जा सकता है. हैपेटाइटिस ए, बी और सी की पहचान बिना खून, पेशाब आदि जांच के भी ग्रैफीन निर्मित सेंसर से तुरंत की जा सकती है. अस्थमा जैसी बीमारी का भी इलाज संभव है. ग्रैफीन स्पाइनल कॉर्ड की गड़बड़ी को भी ठीक कर सकता है.


मुख्य अतिथि के रूप में ललितनारायण मिश्रा विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रैफीन मानव जीवन के लिए लाभदायक है. अगर इसे सही तरीके से इस्तेमाल में लाया जाता है तो मानव जीव और भी सुगम बन जाएगा. परमाणु की तरह ही सुपर मैटेरियल ग्रैफीन का उपयोग भी सोच-समझ कर करना होगा, क्योंकि इसके व्यापक इस्तेमाल से परमाणु उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और इसके जरिए एक से बढ़कर एक विनाशकारी हथियारों का निर्माण संभव है.

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