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महंगाई कम होने से अगस्त में कम हो जाएंगी ब्याज दरें ,मिलेगी राहत :

14 June 2017 | 12.37 PM

देश की अर्थव्यवस्था के लिए इस हफ्ते आए दो आर्थिक आंकड़ों से मजबूत संकेत मिले हैं. यह आंकड़े केन्द्र सरकार के लिए भी बड़ी राहत है. केन्द्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने के दौरान देश में आर्थिक गतिविधि मापने के लिए इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन(आईआईपी) के आंकड़े 3.1 फीसदी रहे जबकि मार्च में यह आंकड़े 2.7 फीसदी थे. वहीं दूसरा आंकड़ा देश में मंहगाई का था.


अप्रैल के दौरान रीटेल महंगाई 2.99 फीसदी के स्तर पर थी जो मई के दौरान सीपीआई रीटेल महंगाई कम होकर 2.18 फीसदी रह गई. इन दोनों आंकड़ों के बाद क्या अब देश में ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ हो जाएगा?


अगस्त में कटौती की उम्मीद

आर्थकि विशलेषकों को अगस्त में होने वाली मौद्रिक समीक्षा में मुख्य नीतिगत दर में कटौती की मजबूत उम्मीद बंधी है. यह उम्मीद मई माह में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े पिछले एक दशक में 2.18 फीसदी तक गिर जाने के बाद बंधी है. भारतीय स्टेट बैंक की आर्थकि शोध शाखा ने कहा है कि रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली नीतिगत समीक्षा में दर में कटौती को नजरअंदाज नहीं कर सकता है.


2 फीसदी के नीचे जाएगा महंगाई का आंकड़ा

यदि मुद्रास्फीति लंबे समय तक अनुकूल बनी रहती है तो दर में कटौती की उम्मीद और मजबूत होगी. घरेलू ब्रोकरेज फर्म कोटक सिक्युरिटीज ने कहा है कि जून माह में खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा दो फीसदी से नीचे आ जायेगा. यह आंकड़ा मार्च 2018 तक 4 फीसदी पर रहेगा जो कि रिजर्व बैंक का मध्यम अवधि का लक्ष्य है.


इसमें कहा गया है कि इस लिहाज से अगस्त में दर कटौती के लिये मंच तैयार है. बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच ब्रोकरेज फर्म के अर्थशास्त्री ने भी कहा है कि वह दो अगस्त को होने वाली तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति में 0.25 फीसदी कटौती को लेकर पहले से ज्यादा आश्वस्त हैं.


वें  वेतन आयोग का दबाव

निजी क्षेत्र के बैंक आईडीएफसी बैंक ने हालांकि कहा है कि मौद्रिक नीति समिति पर दबाव बढ़ रहा है फिर भी अगस्त माह की कटौती को शतप्रतिशत नहीं कहा जा सकता है. इसमें तुलनात्मक आधार प्रभाव की वापसी और 7वें वेतन आयोग के भत्ते के लागू होने का प्रभाव हो सकता है. इससे मुद्रास्फीति का आंकड़ा मार्च2018 तक चार फीसदी से ऊपर जा सकता है.


अप्रैल में पड़ी थी दोहरी मार

भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ की उम्मीद को अप्रैल के दौरान तगड़ा झटका लगा था. फरवरी में आईआईपी ग्रोथ की रफ्तार उम्मीद से बेहद खराब दर्ज हुई थी. जहां अर्थशाष्त्रियों को उम्मीद थी कि फरवरी में आईआईपी ग्रोथ 1.8 फीसदी रह सकती है वहीं सीएसओ आंकड़ों में यह घटकर -1.2 फीसदी रह गई थी. जनवरी के दौरान यह आंकड़े 2.7 फीसदी थे.

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