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इनकम टैक्स : एचआरए (HRA) छूट पाने के लिए पैरेंट्स को देते हैं किराया ? अब सावधान हो जाईए

28 July 2017 | 12.32 PM

नई दिल्ली: क्या आपने भी HRA यानी हाउस रेंड अलाउंसेस में रिबेट लिया है? क्या इसके लिए आपने यह शो किया है कि आप अपने पैरेंट्स को किराया देते हैं? आयकर (Income Tax) बचाने के लिए बहुत-से नौकरीपेशा लोग अपने माता-पिता को किराया देकर उस रकम पर इनकम टैक्स में छूट हासिल कर लेते हैं. यदि आपने भी ऐसा ही किया है तो इस बार से चेत जाइए.


इनकम टैक्स बचाने के लिए मकान किराया भत्ता, यानी हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) एक ऐसा मद है, जो आपको सबसे ज़्यादा मदद दे सकता है. दरअसल, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13 ए) के तहत किसी भी वेतनभोगी को एचआरए में उसके मूल वेतन का 50 फीसदी, एचआरए के मद में मिलने वाली रकम या चुकाए गए वास्तविक किराये में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर बची रकम में से सबसे कम रकम पर आयकर से छूट मिलती है. इसलिए, बहुत-से नौकरीपेशा अपनी मां या पिता के नाम किराये की रसीदें देकर छूट हासिल कर लेते हैं.


जानिए कुछ जरूरी बातें, एचआरए के संदर्भ में...

ध्यान यह देना है कि कि मां या पिता जिसे भी आप किराया देते हैं, अब उन्हें इस प्राप्त किए गए किराए को अपनी सालाना आय में शामिल कर इस पर टैक्स देना होगा. जिस मकान का किराया नौकरीपेशा व्यक्ति अदा करने का दावा कर रहा है, वह उसी के नाम नहीं होनी चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को 50,000 रुपये मूल वेतन के रूप में प्राप्त होते हैं, और 25,000 रुपये एचआरए के मद में, और वह 25,000 रुपये ही वास्तव में किराया देता है, तो उसे 20,000 रुपये पर ही छूट मिल पाएगी, क्योंकि चुकाए गए किराये की रकम में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर यही रकम बचती है. लेकिन अब याद रखने वाली बात यह है कि किराया वसूल करने वाले मां या पिता की आय 20,000 रुपये मासिक बढ़ जाएगी (यदि उनकी आय शून्य है, तो भी अब उनकी आय 20,000 रुपये मासिक मानी जाएगी), और इस रकम पर उन्हें इनकम टैक्स देना ही होगा.


जरूरी है कि जिस घर का किराया दिया जा रहा है, वह उस किराया चुकाने वाले की संपत्ति न हो. मां या पिता को दिया जाने वाला किराया बैंक के जरिये दिया जाए. अब चाहे यह नेट बैंकिग जरिए दिया जाए या फिर चेक के जरिए लेकिन यह बैंक के जरिए ही हो न कि नकद. आपके पास पैसा दिए जाने का सबूत होना चाहिए.


नौकरीशुदा व्यक्ति से किराया वसूल करने वाला (मां या पिता) किराये के रूप में हासिल होने वाली उस रकम पर इनकम टैक्स अदा करें यह बेहद जरूरी है.

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