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बिल्डर से मिले ब्याज समेत रिफंड पर टैक्स से कैसे बचें?

3 October 2017 | 12.50 PM

कई बिल्डर्स को होम बायर्स से डाउन पेमेंट के तौर पर मिले अमाउंट को ब्याज समेत रिफंड करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि, इससे होम बायर्स को इस ब्याज पर टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। ब्याज पर सामान्य दर से टैक्स लगेगा और ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में यह 30.9 फीसदी तक हो सकता है।


टैक्स प्रफेशनल्स का कहना है कि अगर इनकम को कैपिटल गेन माना जाए तो टैक्स लायबिलिटी कम हो सकती है। इस बारे में वकील अनिल हरीश ने बताया, 'बिल्डर के साथ सहमति के बाद इस पूंजी को कैपिटल गेन के तौर पर दिखाया जा सकता है और तब इस पर 20 फीसदी टैक्स रेट लगेगा, जिसमें अन्य बेनेफिट भी शामिल हैं।'


हालांकि, ऐसा तभी मुमकिन है जबकि बिल्डर और बायर के बीच अग्रीमेंट सही तरीके से किया गया हो। हरीश ने कहा, 'कैपिटल एसेट के ट्रांसफर से कैपिटल गेन होता है। आई-टी ऐक्ट के सेक्शन 2(47) में ट्रांसफर की परिभाषा काफी व्यापक है। इसमें कैपिटल एसेट का अधिकार छोड़ना भी शामिल है। बुकिंग के वक्त बायर फ्लैट की ओनरशिप हासिल करता है। जब वह बिल्डर के साथ सेटलमेंट करता है तो वह इस अधिकार को छोड़ देता है। ऐसे में उसे मिलने वाली रकम को कैपिटल एसेट्स की बिक्री प्रक्रिया के तौर पर माना जाता है।'


पहले असेसी को अचल संपत्ति को लॉन्ग-टर्म एसेट के तौर पर दिखाने के लिए उसे कम से कम 3 साल तक होल्ड करना पड़ता था। यह होल्डिंग पीरियड अब घटकर दो साल रह गया है। बिल्डर के रिफंड्स के मामले में होल्डिंग पीरियड को बुकिंग की तारीख से गिना जाता है और यह बिल्डर के साथ सेटलमेंट अग्रीमेंट तक चलता है। हरीश कहते हैं, 'यह लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन सेक्शन 54ईसी के तहत योग्य बॉन्ड्स में लगाया जा सकता है या इस बिक्री से मिलने वाली रकम से नया घर खरीदा जा सकता है।'


एक्सपर्ट्स का मानना है कि बायर्स को टैक्स के बोझ से राहत मिलनी चाहिए। सीएनके ऐंड असोसिएट्स के टैक्स पार्टनर गौतम नायक ने कहा, 'यह राहत मिलनी चाहिए क्योंकि इंट्रेस्ट टैक्स के दायरे में आता है। या इंट्रेस्ट की जगह पर तय रेट ऑफ रिटर्न के तौर पर प्रीमियम को बायर को चुकाया जाए। इसे कैपिटल गेन के तौर पर लिया जाएगा।'


रिफंड पर टैक्स के अलावा टैक्स बेनेफिट्स भी जाने की संभावना से कई बायर्स मुश्किल में फंस गए हैं। ये शायद नए घर में निवेश के तहत सेक्शन 54 या 54 एफ में मिलने वाले टैक्स डिडक्शन को क्लेम न कर पाएं। टैक्स ट्राइब्यूनल्स ने इस पर एक उदार रुख रखा है और टैक्स बेनेफिट्स को नए घर के पजेशन में होने वाली देरी के चलते खारिज नहीं किया गया है।


नायक के मुताबिक, 'हालांकि, जब कोई प्रॉजेक्ट पूरा होता है और अडवांस का रिफंड दिया जाता है तो बायर शायद उस कैपिटल गेन्स एग्जेम्पशन से हक खो देता है जिसका वह सेक्शन 54 या 54एफ के तहत नए घर में निवेश के लिए क्लेम करता है।'

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