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नो फ्लाई लिस्ट के नये नियम : पैसेंजर ने बदसलूकी की तो 2 साल का बैन लगेगा

5 May 2017 | 4.37 PM

नई दिल्ली. सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने नो फ्लाई लिस्ट से जुड़े ड्राफ्ट रूल्स को पब्लिक कर दिया। नो फ्लाई लिस्ट को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें बुरा बर्ताव करने वाले पैसेंजर को 2 साल या इससे ज्यादा वक्त तक बैन करने का प्रोविजन है। माना जा रहा है कि शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ की एअर इंडिया के मैनेजर से मारपीट का मामला ही इन नियमों को बनाने के पीछे बड़ी वजह है।

ये हैं 3 कैटेगरी :

# 1st कैटेगरी

- सिविल एविएशन सेक्रेटरी ने बताया कि पहली कैटेगरी में धमकी भरे इशारे, एक्सप्रेशंस, वर्बल हैरेसमेंट जैसे शांति तोड़ने वाले बर्ताव को रखा गया है। इसमें दोषी पाए जाने पर पैसेंजर पर 3 महीने तक बैन लगाया जा सकता है।

# 2nd कैटेगरी

- इसमें फिजिकल अब्यूज को रखा गया है। इसमें धक्का देना, पैर मारना, जकड़ लेना, सेक्शुअल हैरेसमेंट या गलत तरीके से छूना शामिल है। ऐसा करने पर पैसेंजर पर 6 महीने तक बैन लगाया जा सकता है।

# 3rd कैटेगरी

- इस कैटेगरी में ऐसे बर्ताव को शामिल किया गया जिससे केबिन स्टाफ की जान को खतरा पैदा होता हो। इसमें 2 साल या इससे ज्यादा वक्त तक बैन लगाया जा सकता है।

कैसे बैन होंगे पैसेंजर्स?

- ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक, बुरे बर्ताव का दोषी पाए जाने पर एयरलाइन्स पैसेंजर्स को तुरंत बैन कर सकती हैं। लेकिन ऐसे पैसेंजर्स तुरंत नेशनल नो-फ्लाई लिस्ट में नहीं डाले जाएंगे।

- बदसलूकी का मामला सामने आने पर एयरलाइन की स्टैंडिंग कमेटी फैसला करेगी। 10 दिन में फैसला करना होगा। फैसला आने तक संबंधित पैसेंजर को उस एयरलाइन में सफर करने की इजाजत नहीं होगी।

- ऐसी स्टैंडिंग कमेटी में एक रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट या सेशन जज, किसी दूसरी एयरलाइन का एक रिप्रेजेंटेटिव और कंज्यूमर फोरम का रिटायर्ड अफसर शामिल रहेगा।

- अगर कोई पैसेंजर दो बार बदसलूकी करता है तो उस पर दोबारा उसी तरह बैन लगाया जा सकता है, जो पहले लगाया गया हो।

किस तरह कर सकेंगे अपील?

- एयरलाइन की स्टैंडिंग कमेटी की तरफ से दोषी करार दिया गया पैसेंजर सिविल एविएशन मिनिस्ट्री की ओर से बनाई जाने वाली अपील कमेटी में जा सकेगा।

- अपील कमेटी की अगुआई हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। हालांकि, जिस पैसेंजर को एयरलाइन की स्टैंडिंग कमेटी सुरक्षा खतरे के चलते ब्लैकलिस्ट कर देगी, उसके पास अपील कमेटी के पास जाने का मौका नहीं रहेगा।

WHAT NEXT

-अभी इन ड्राफ्ट रूल्स को 30 दिन के लिए पब्लिक डोमेन में रखा गया है। 30 जून को सरकार फाइनल रूल्स तय कर देगी।

- एक बार ड्राफ्ट रूल्स लागू हो जाएंगे तो डोमेस्टिक के साथ-साथ इंटरनेशनल एयरलाइन्स को भी उन्हें मानना होगा।

नो फ्लाई लिस्ट से जुड़े अहम सवाल

Q. क्या होती है नो-फ्लाई लिस्ट?

A. दुनिया के कई देशों में यह सिस्टम है, जिसमें बदसलूकी या हिंसा करने वाले एयर पैसेंजर्स को इस लिस्ट में डाल दिया जाता है। इस लिस्ट में आने के ये मायने हैं कि आप दोबारा उस एयरलाइन से ट्रैवल नहीं कर सकते। यह बैन आप पर हमेशा के लिए या कुछ साल या महीनों के लिए हो सकता है। यूएस में अगर कोई नो फ्लाई लिस्ट में है तो उसके बारे में एयरलाइन्स को अपने आप अलर्ट कर दिया जाता है।

Q. क्यों उठा ये मामला?

A.शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ पर 23 मार्च को एअर इंडिया के स्टाफर को 25 बार सैंडल से मारने का आरोप लगा। गायकवाड़ ने खुद मीडिया के सामने इसे कबूल भी किया था। उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया। इसके बाद गायकवाड़ को एअर इंडिया समेत 7 एयरलाइन्स ने नो-फ्लाई लिस्ट में डाल दिया। इस मामले में संसद में भी हंगामा हुआ।

Q. किसने की पहल?

A. फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइन्स नो फ्लाई लिस्ट के फेवर में है। इस फेडरेशन में जेट एयरवेज, स्पाइस जेट, इंडिगो और गो एयर जैसी एयरलाइन्स मेंबर हैं। ऑल इंडिया केबिन क्रू एसोसिएशन (AICCA) ने कहा था कि गायकवाड़ को एअर इंडिया के इम्प्लॉइज से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। उन्हें फ्लाइट में ले जाने में रिस्क है और रहेगा। वहीं, AICCA ने एअर इंडिया को लिखे लेटर में कहा था कि गायकवाड़ के मसले पर सरकार को कड़ा रुख अख्तियार करना चाहिए। इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन ने भी एअर इंडिया से गायकवाड़ मामले में सपोर्ट करने को कहा है। तभी से नो फ्लाई लिस्ट का मुद्दा उठा।

Q.बदसलूकी करने वाले पैसेंजर्स की समस्या कितनी हावी है?

A. इंटरनेशनल एअर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के मुताबिक, 2015 में 10,854 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें पैसेंजर्स ने एयर ट्रेवल के दौरान बुरा सलूक किया था। ये आंकड़े बताते हैं कि हर 1,205 फ्लाइट्स में से एक में पैसेंजर्स के खराब बर्ताव का मामला सामने आता है।

Q. कोई नो फ्लाई लिस्ट में है तो क्या होगा?

A. अगर किसी पैजेंसर का नाम नो फ्लाई लिस्ट में डाला गया है तो वो प्लेन का टिकट नहीं बुक करा सकेगा।

Q. क्या कहते हैं नियम?

A. एयर एक्ट 1972 के चैप्टर-4 के तहत एयरलाइन्स किसी को भी टिकट देने से मना कर सकती है। एयरक्राफ्ट रूल्स 1937 का 22 और 23 नियम इस रोक को सही ठहराता है।

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