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जीएसटी के असर से टेलिकॉम सेक्टर पर पड़ी दोहरी मार :

20 May 2017 | 12.44 PM

कोलकाता आपको अब फोन के बिल और नया फोन खरीदने पर अधिक जेब ढीली करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार ने इन दोनों चीजों पर क्रमश: 18 और 12 फीसदी जीएसटी टैक्स लगाने का फैसला लिया है। 1 जुलाई से लागू हो रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नए टैक्स स्लैब ने दोनों उद्योगों की चिंता बढ़ा दी है, उन्हें डर है कि इससे उपभोग और निवेश में कमी आ सकती है।

टेलिकॉम सेवाओं पर टैक्स अभी 15 फीसदी लगता है और जीएसटी में इसे बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया जाएगा। इस तरह से मोबाइल उपभोक्ताओं को अब हर महीने 1000 रुपये के बिल पर 30 रुपये अधिक चुकाने होंगे। इसी तरह से प्रीपेड उपभोक्ताओं को मिलने वाला टॉकटाइम भी कम हो जाएगा। 100 रुपये के प्रीपेड रीचार्ज पर उपभोक्ता को अभी 85 रुपये का टॉकटाइम मिलता जो कि जीएसटी लागू होने के बाद 82 रुपये हो जाएगा।

इसी तरह से जीएसटी लागू होने के बाद ज्यादातर मोबाइल फोन की कीमतें भी 4-5 फीसदी बढ़ सकती हैं। जीएसटी स्लैब में इन पर 12 फीसदी टैक्स लगाने का प्रावधान है। इससे देश में बने मोबाइल भी महंगे हो जाएंगे। अभी देश में बने मोबाइल पर कम टैक्स लगता है। काउंटरपॉइंट की रिसर्च के मुताबिक जनवरी से मार्च के दौरान देश में बिके 5.9 करोड़ फोन में से 80 फीसदी देश के भीतर ही बने थे। इंडस्ट्री ने कहा कि उसे उम्मीद थी कि सरकार देश में बनने वाले फोन निर्माताओं को टैक्स लाभ देना जारी रखेगी।

अब बीते सालों में हुआ करोड़ों डॉलर का निवेश खतरे में है सेल्युलर ऑपरेटर असोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने कहा, 'टेकिलॉम इंडस्ट्री 18 फीसदी जीएसटी रेट की घोषणा से निराश है। इससे पहले से ही जूझ रहे सेक्टर को और परेशानी झेलनी पड़ेंगी।' सीओएआई ने सरकार को एक पत्र लिखकर कहा है कि टेलिकॉम सेक्टर की हालत देखते हुए उस पर 15 फीसदी से अधिक टैक्स न लगे क्योंकि इससे ग्राहकों के लिए सेवाएं महंगी हो जाएंगी।

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