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मोदी सरकार अब तय करेगी होटल-रेस्टोरेंट में खाने का मेन्यू और सीमा!

नई दिल्ली: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार खाने की बर्बादी को ध्यान में रखते हुए होटल और रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा तय करने की योजना बना रही है.

केंद्र सरकार जल्द ही बड़ा कदम उठाने की तैयारी में -

खाने की बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार होटल-रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा तय करने पर विचार कर रही है. उपभोक्ता मंत्रालय का कहना है कि अगर कोई दो इडली खाता है तो उसे चार इडली क्यों परोसी जाए. यह भोजन के साथ जनता के पैसों की भी बर्बादी है. सरकार खाने का मेन्यू भी तय करने पर विचार कर रही है.

एम मोदी ने मन की बात में उठाया था मुद्दा-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस मुद्दे को उठाया था. उनका कहना था कि एक ओर देशभर में शादी-पार्टियों के आयोजन और होटलों में बड़ी मात्रा में खाने की बर्बादी होती है तो दूसरी तरफ सैकड़ों लोगों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है. इस पर केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान ने होटल, रेस्टोरेंट में व्यंजनों की मात्रा निर्धारित करने की कवायद शुरू कर दी है.

हर साल करीब 67 मिलियन टन खाने की बर्बादी -

कृषि मंत्रालय के एक अध्ययन के अनुसार देश में हर साल करीब 67 मिलियन टन खाने की बर्बादी होती है. यह ब्रिटेन के कुल राष्ट्रीय उत्पाद से भी ज्यादा है. इतना ही नहीं यह खाद्य पदार्थ बिहार राज्य के सभी लोगों को साल भर खाने के लिए पर्याप्त होगा.

निर्देश स्टैंडर्ड होटल पर लागू होंगे -

उपभोक्ता मंत्री पासवान ने कहा कि भोजन की मात्रा निर्धारित करने के लिए होटल-रेस्तरां मालिकों से राय ली जाएगी. वे इस मामले के जानकार हैं. वे हमें बता सकते हैं कि एक व्यक्ति भोजन में अधिकतम कितनी मात्रा ले सकता है. इसके लिए हम बड़े साझेदारों के साथ बैठक करेंगे. पासवान ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश ‘स्टैंडर्ड होटल’ पर लागू होंगे. ढाबे में जहां थाली सिस्टम चलता है, वहां इन्हें लागू नहीं किया जाएगा. मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में संशोधन करने के लिए नया ड्राफ्ट बिल में शामिल किया है. नए प्रस्ताव के अनुसार, यदि निर्माता को भ्रामक विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार पाया जाता है, तो जुर्माना से लेकर उसका लाइसेंस रद्द करने या जेल की सजा भी हो सकती है.

भारत खाद्यान्न उत्पादन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल -

भारत खाद्यान्न उत्पादन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है. बावजूद इसके पर्याप्त रखरखाव और माल ढुलाई की सही सुविधा के अभाव में इतने बड़े स्तर पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी होती है. जरूरतमंदों तक इनकी पहुंच नहीं होने के कारण देश में कुपोषण और भुखमरी की समस्या बढ़ती जा रही है. दरअसल यह नियम जर्मनी सहित कई देशों में लागू है जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया है.

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