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रेलवे स्टेशनों पर खुल सकते हैं प्राइमरी हेल्थकेयर सेंटर और जन औषधि स्टोर, यात्रियों को मिलेगी सुविधा:

16 February 2018 | 1.07 PM

नई दिल्ली: इंडियन रेलवे देशभर में 7,000 स्टेशनों पर जन औषधि स्टोर्स के साथ प्राइमरी हेल्थकेयर सेंटर खोल सकता है और वहां सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगा सकता है। 2018-19 के बजट में जिस देशव्यापी हेल्थकेयर प्लान का प्रस्ताव रखा गया है, रेलवे उसके तहत यह कदम उठाएगा।


रेलवे मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि इस इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किफायती चार्जेज पर हेल्थकेयर सेवाएं देने के लिए किया जाए। मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया, ‘हमारे पास गांव सहित देश भर में एक मजबूत नेटवर्क है, जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार प्राइमरी हेल्थकेयर सर्विसेज देने के लिए कर सकता है।’ रेलवे मंत्रालय इसकी योजना बनाने के लिए हेल्थ और फैमिली वेलफेयर मंत्रालय के साथ काम कर रहा है। इसके तहत बेसिक डायग्नोस्टिक सेंटर लगाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को भी न्योता दिया जाएगा। अधिकारी ने बताया, ‘रिटायर्ड डॉक्टरों और एक्स-आर्मी हॉस्पिटल स्टाफ की इसमें मदद लेने का भी प्रस्ताव है।’


इस योजना की शुरुआत रेलवे देश भर में स्टेशनों पर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें लगाकर करेगा। अधिकारी ने बताया, ‘सरकार लोगों को रियायती दाम पर सैनिटरी पैड्स देना चाहती है। ये मशीनें लेडीज टॉइलेट्स में लगाई जा सकती हैं।’ रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और विमिन ऐंड चाइल्ड डिवेलपमेंट मिनिस्टर मेनका गांधी के बीच हालिया मीटिंग में इस पर चर्चा हुई थी। जन औषधि स्टोर खोलने के लिए रेलवे मंत्रालय ने केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ फार्मासूटिकल को जगह देने का प्रस्ताव रखा है।


केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स मिनिस्ट्री ने प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना लॉन्च की थी, जिसका मकसद खास स्टोर्स के जरिए कम दाम में दवाएं उपलब्ध कराना है। इन स्टोर्स का नाम प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्ररखा जाएगा। रेलवे मंत्रालय कुलियों और उनके परिवार को कम दाम में स्वास्थ्य सुविधाएं देने की एक योजना पर भी काम कर रहा है। रेलवे स्टेशनों पर करीब 20 हजार कुली काम करते हैं।

2018-19 के बजट में सरकार ने नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम का ऐलान किया था। इसके तहत गरीब वर्ग के 50 करोड़ लोगों को क्वॉलिटी हेल्थ कवर दिया जाएगा। स्कीम के दायरे में आने वाले परिवारों को साल में 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर मिलेगा। वे सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे।

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