16 February 2018 | 1.25 PM
भारतीय बैंक बैड लोन की समस्या से परेशान हैं। बैंकों के फंसे कर्ज के निपटारे के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने नया नियम बनाया है। आरबीआई ने बैंकों के फंसे कर्ज के निपटारे के लिए पुराने नियम में संसोधन किया है आरबीआई के इस नियम से बैंकों को फंसे लोन के निपटारे में मदद मिलेगी और बैंक इस समस्या का निजात कर पाएंगे।
आरबीआई ने अपने प्रावधान में कहा है कि बैंकों को तय सीमा के भीतर बड़े कर्जदारों जो कर्ज नहीं चुका रहे हैं उनका निपटारा करना होगा। बैंकों को हर हफ्ते डिफॉल्टर्स की जानकारी एरबीआई को देनी होगी। आरबीआई ने लोन रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम्स कॉरपोरेट डेट रीस्ट्रक्चरिंग को भी समाप्त कर दिया है। रिजर्व बैंक ने बैंकों से बड़े डिफॉल्टर्स का डाटा हर हफ्ते साझा करने का आदेश दिया है।
आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 2000 करोड़ या उससे ज्यादा के डिफॉल्ट लोन अकाउंट का निपटारा करने के लिए बैंकों के पास योजना पहले से तैयार रहे। बैंकों को कर्ज डिफॉल्ट होने के 180 दिनों के भीतर से योजना तैयार करनी होगी। अग बैंक ने तय समय के भीतर ये योजना लागू नहीं की तो उस खाते को दिवालिया घोषित कर 15 दिनों के भीतर उस मामले को अदालत में भेजना होगा। आरबीआई ने अधिसूचना जारी कर लोन नहीं चुकाने वाले कर्जदारों को सचेत किया है। आरबीआई के इस फैसले का बैंकों पर बहुत असर होगा। गौरतलब है कि सरकार ने बैंकों की एनपीए की समस्या से निपटारे के लिए एरबीआई को अदिक अधिकार दिए हैं।