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'टेक्नोलॉजी से फायदा उठा सकने वाली कंपनियों में पैसा लगाएं'

9 January 2018 | 1.02 PM

बजट अगर लोकलुभावन नहीं हुआ तो यह आश्चर्यजनक होगा क्योंकि करीब 12 महीने बाद आम चुनाव होने हैं। बाजार के लिए राज्यों के चुनावों की खास अहमियत नहीं होगी। बजट में ग्रामीण मोर्चे पर खास ध्यान दिया जा सकता है
इंडियन स्टॉक मार्केट को ओवरवैल्यूड मिड-कैप सेगमेंट को लेकर फिक्र हो रही है। यह बात सिंगापुर के टीवीएफ कैपिटल एडवाइजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर शिव पुरी ने कही। उनका कहना है कि प्रॉफिट ग्रोथ उम्मीद मुताबिक रहने के बावजूद मिड कैप कंपनियों के वैल्यूएशन में कमी आ सकती है। सनम मीरचंदानी को दिए इंटरव्यू में पुरी ने कहा कि जिन कंपनियों को टेक्नोलॉजी में हो रहे बदलाव से फायदा हो रहा है, उनमें पैसा लगाना चाहिए। पेश हैं बातचीत मुख्य अंश:


इंडियन मार्केट 2017 में 29% उछला। 2018 में आपकी क्या स्ट्रैटेजी होगी?


2017 में दुनियाभर के बाजारों में रैली आई थी। तेजी सिर्फ इंडियन मार्केट तक सीमित नहीं थी। ग्रोथ और प्रॉफिट के लिहाज से बहुत कुछ बाकी है। 2018 में 2017 से उलट बॉटम-अप स्टोरी बनने जा रही है, जिसमें बहुत से शेयरों का परफॉर्मेंस शानदार रहा। मुझे फिक्र मिडकैप को लेकर है जो बहुत ओवरवैल्यूड लग रहा है। इसमें MSCI इंडिया से 40% और निफ्टी से 35% ऊपर ट्रेड हो रहा है, जो 2007 से पहले के मुकाबले अब तक का सबसे बड़ा गैप है। इनमें बहुत सी कंपनियों की प्रॉफिट भले ही उम्मीद जितना रहे, फिर भी उसके शेयरों का रिटर्न अगले साल दो साल दोयम दर्जे का रह सकता है।


सामान्य रिटर्न मिल सकता है?


2018 में वैश्विक आर्थिक माहौल अच्छा बन गया है, लेकिन डिवेलप्ड मार्केट में ब्याज दरें बढ़ रही हैं। इसलिए जहां वैल्यूएशन फुल है वहां ग्रोथ तो होगी लेकिन मार्केट का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहेगा। पिछले साल बढ़ी लिक्विडिटी, पी/ई, ग्रोथ के ज्यादा अनुमान जैसी स्थिति इस साल भी दिख सकती है। कुछेक फैक्टर्स अगले साल पलट सकते हैं जब ग्रोथ तो होगी लेकिन वैल्यूएशन में कमी आ सकती है, लिक्विडिटी घट सकती है, कॉस्ट ऑफ कैपिटल ज्यादा रह सकती है और मार्केट परफॉर्मेंस कमजोर रह सकता है।


आम बजट से आपकी क्या उम्मीदें हैं?


बजट अगर लोकलुभावन नहीं हुआ तो मुझे आश्चर्य होगा क्योंकि 12 महीने बाद जनरल इलेक्शन हैं। ग्रामीण मोर्चे पर खास ध्यान दिया जा सकता है।


मार्केट फिस्कल डेफिसिट टारगेट घटाए जाने पर गिरेगा?


फिस्कल डेफिसिट 30 से 40 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ सकता है जिसकी बड़ी वजह टारगेट से कम जीएसटी कलेक्शन है। नियर टर्म में यह फिक्र वाली बात होगी लेकिन अगले छह से नौ महीनों में जीएसटी कलेक्शन नॉर्मल होने और इकनॉमिक एक्टिविटीज बढ़ने पर 1.5 पर्सेंट करेंट एकाउंट डेफिसिट के मद्देनजर फिस्कल डेफिसिट में 30-40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी से खास फर्क नहीं पड़ेगा। इतना तो मैनेज किया जा सकता है और यह तब हो सकता है, जब ऑयल का दाम चढ़ रहा है लेकिन खतरनाक लेवल पर न जाए।


ऑयल के चढ़ते दाम मुसीबत बढ़ा सकते हैं?


क्रूड के $60 प्रति बैरल पर होने से ग्रोथ हासिल करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी। अगर यह $80 प्रति बैरल पर चला जाता है तो यह ग्रोथ में बाधक बनेगा और ग्रोथ के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।


दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों के रेट हाइक को लेकर मार्केट एडजस्ट हो गए हैं?

2018 को लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व का प्लान एकदम पक्का है। उनके प्लान के हिसाब से काम करने पर मुझे उसमें कोई दिक्कत नहीं नजर आती। अगर महंगाई बढ़ती है और उनको रोकथाम के लिए कदम उठाने पड़ते हैं तो उसके हिसाब से बाजार को एडजस्टमेंट करना होगा।


क्या RBI भी रेट हाइक कर सकता है?


क्रूड के दाम और महंगाई के हिसाब से इकनॉमी में संतुलन बना हुआ है। रेट हाइक के आसार तो नजर नहीं आ रहे हैं।


इस साल 8 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। मार्केट का क्या रिएक्शन हो सकता है?


बाजार मौजूदा सरकार के 2019 में भी सत्ता में बने रहने को पक्का मानकर एडजस्टमेंट कर चुका है। इसको देखते हुए बाजार के लिए राज्यों के चुनावों की खास अहमियत नहीं होगी। हालांकि इससे 2019 के आम चुनाव के लिए संकेत जरूर मिलेंगे। 2019 में सत्ता परिवर्तन होने के आसार पर बाजार में गिरावट का रुझान बन सकता है।


इनवेस्टमेंट थीम के बारे में बताएं...


निवेश करते वक्त आपको देखना होगा कि कंपनियों को टेक्नोलॉजी से फायदा होगा और किनको नुकसान हो सकता है। प्राइवेट सेक्टर बैंक और एनबीएफसी नई टेक्नोलॉजी अपनाएंगे, बीमा कंपनियों का परफॉर्मेंस बेहतर रह सकता है।

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