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सेल्समैन की दलीलों पर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं निवेशक

13 November 2017 | 12.50 PM

हाल में मैंने एक ऐंटी-एसआईपी म्यूचुअल फंड सेल्सपर्सन के बारे में सुना। एक परिचित व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने एक इक्विटी म्यूचुअल फंड में कुछ लाख रुपये का निवेश किया है। जब मैंने पूछा कि उन्होंने कितने महीने एसआईपी से निवेश किया, तो उन्होंने बताया कि एसआईपी से निवेश नहीं किया गया। जिस बैंक में मेरे इस मित्र का अकाउंट है, वहां एक सेल्सपर्सन ने उन्हें एसआईपी के जरिए निवेश न करने की सलाह दी थी। सेल्सपर्सन का लॉजिक यह था कि एसआईपी तो केवल उन स्थितियों के लिए होते हैं, जब मार्केट का हाल बुरा होने वाला हो। जब मार्केट का हाल अच्छा चल रहा हो तो एसआईपी नुकसानदेह होते हैं।


पहली नजर में यह दलील पक्की लगती है। यह बात सही है कि मार्केट में तेजी के दौर में अगर आप एसआईपी से निवेश करें तो आपको मार्केट के बुरे दिनों में किए गए एसआईपी के मुकाबले कम रिटर्न मिलेगा। हालांकि इस निर्णय प्रक्रिया की शुरुआत को लेकर मेरे कुछ सवाल हैं। यानी बैंक के उस सेल्सपर्सन को पता है कि मार्केट का प्रदर्शन कैसा रहने वाला है। उसके इसी ज्ञान पर सारी बातें टिकी हैं।
अब आपको यह लेख पढ़ना छोड़कर एक विडियो देखना चाहिए। यूट्यूब पर सुमित आनंद का बनाया विडियो माय जॉब, माय होम ऐंड द मेड सर्च करें और देखें। आनंद इस विडियो में कहते हैं, 'मैं एक बैंक में इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम करता था। मैं केवल चुटकुले सुनाता था, लेकिन किसी को पता नहीं चलता था। यहां तक कि मुझे भी नहीं पता था कि ये चुटकुले असल में क्या हैं। मेरे बैंक ने मुझसे कहा था कि अमीर लोगों के पास जाओ और उन्हें बताओ कि आपने यह सारा पैसा कमाया है, लेकिन सर, आपको पता नहीं है कि इसे कैसे मैनेज करना चाहिए।'


अब हमलोग अपने उदाहरण पर आते हैं। तो वह पूरी सलाह उस बैंक के सेल्सपर्सन की इस जानकारी पर टिकी है कि मार्केट का हाल कैसा रहने वाला है। किसी स्टैंडअप कॉमेडी के लिए तो यह सब ठीक है, बशर्ते वह कस्टमर को बेवकूफ बनाकर पैसे बटोरने के चक्कर में न हो। आप देखेंगे कि अगर कस्टमर एसआईपी शुरू करता है तो जब-जब निवेश होगा, बैंक और सेल्समैन को मासिक तौर पर छोटी-छोटी किस्तों में कमिशन मिलेगा। हालांकि अगर एक बार में ही बड़ी रकम निवेश की जाए तो उन्हें बड़ा कमिशन एकमुश्त मिल जाएगा। कुल खेल यही है। यही वजह है कि लोग आजकल एसआईपी पर जोर नहीं दे रहे हैं।


इस बेवकूफी में यह दलील जोड़ी जाती है कि मार्केट का प्रदर्शन बहुत अच्छा है। लिहाजा इसे मिलाकर अपनी बात का वजन बढ़ाया जाता है। सेल्समैन पिछले कुछ महीनों के उदाहरण देकर अपने कस्टमर के सामने यह 'साबित' कर सकता है कि उसकी सलाह सही है, भले ही वह सबसे बुरी सलाह हो। इसमें असल समस्या यह है कि निवेशक दिल से आशावादी होते हैं। ऐसा न हो तो वो इक्विटी में निवेश ही नहीं करेंगे। जब तक मार्केट चढ़ रहा हो, लोगों को खुशनुमा कहानियों पर यकीन कराया जा सकता है। जल्द पैसा बनाने के आकर्षण को किनारे करना आसान नहीं है। सेल्समैन को यह बात अच्छी तरह पता है।


पिछले करीब तीन दशकों में इक्विटी मार्केट्स में कई खुशनुमा दौर का गवाह बनने के बाद मैं यह पक्के तौर पर कह सकता हूं कि जब मार्केट उछाल पर हो तो काफी लोग यह सोचते हैं कि वे मुनाफा बना रहे हैं, जबकि असल में वो भविष्य में नुकसान होने की नींव रख रहे होते हैं। इससे भी बदतर बात यह है कि ऐसे ही वक्त में गलत इरादे से फाइनैंशल प्रॉडक्ट्स बेचने की हरकतें जोर पकड़ती हैं।

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