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क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी खरीदते वक्त नियम और शर्तों का रखें ध्यान, नहीं होगी परेशानी :

16 November 2017 | 2.53 PM

मुद्रास्फीति, तेज गति से चिकित्सा सुविधाओं में होने वाले सुधार और अत्याधुनिक चिकित्सा प्रक्रियाओं के साथ-साथ गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च भी तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा, कुछ गंभीर बीमारियां तो ऐसी हैं जो निश्चित रूप से आपके मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पर अनुचित और गैरजरूरी बोझ डाल सकती हैं और एक बार में ही आपका पूरा कवर समाप्त कर सकती हैं।


वर्तमान समय में, कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज, हार्ट और किडनी बदलवाने, इत्यादि पर अस्पताल और चिकित्सा प्रक्रिया के आधार पर 30 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा का खर्च आ सकता है। इसलिए, यदि आपने 5 लाख या 10 लाख या 20 लाख रुपये की भी हेल्थ पॉलिसी ली है तब भी आपको पैसे की तंगी का सामना करना पड़ सकता है।


क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस आपको इस तरह के बहुत ज्यादा खर्च वाले इलाज के लिए एक बेहतर कवर दे सकता है। इसलिए, पर्याप्त कवरेज पाने के लिए एक सही क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी लेना जरूरी है।


सही क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिएः


पता लगाएं कि पॉलिसी में क्या-क्या कवर किया जाता है अलग-अलग कंपनियों की क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में अलग-अलग प्रकार की बीमारियों को कवर किया जाता है। कुछ कंपनियां, 10 बीमारियों को कवर कर सकती हैं, जबकि अन्य कंपनियां, 20 या उससे भी अधिक बीमारियों को कवर कर सकती हैं। एक क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी आम तौर पर कैंसर, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी, इत्यादि जैसी बीमारियों को कवर करती है।
आप अपनी वंशागत स्वास्थ्य इतिहास को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि आपको किस तरह की बीमारी होने की ज्यादा संभावना है। इसके अलावा, अपने लाइफस्टाइल और उससे जुड़े जोखिमों पर भी ध्यान दें और यह पता लगाने की कोशिश करें कि आपको और कौन-कौन सी खास बीमारियां हो सकती हैं जिनके लिए आपको इंश्योरेंस लेने की जरूरत पड़ सकती है। ज्यादा से ज्यादा बीमारियों को कवर करने वाली पॉलिसी लेना बेहतर होता है, लेकिन कम बीमारियों वाली पॉलिसी की तुलना में ज्यादा बीमारियों वाली पॉलिसी पर ज्यादा खर्च आ सकता है।


क्रिटिकल इलनेस कवर की जरूरत


क्रिटिकल इलनेस (सीआई) कवर आपको उस तरह के खर्च को उठाने में मदद करता है जो हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के माध्यम से नहीं मिलता है। एक गंभीर बीमारी हो जाने पर व्यक्ति को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है या उसे लम्बे समय तक बिना वेतन की छुट्टी लेनी पड़ सकती है। ऐसी हालत में, क्रिटिकल इलनेस कवर के तहत मिलने वाली बीमे की रकम से इलाज के खर्च के साथ-साथ रोजमर्रा का खर्च उठाने में भी मदद मिल सकती है।
आपके द्वारा चुनी जाने वाली कंपनी की क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी से आपको वैकल्पिक चिकित्सा उपचार, विशेष डॉक्टर या विदेशी इलाज का खर्च भी मिल सकता है। कई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों की तुलना में सीआई पॉलिसी से आपको ज्यादा कवरेज मिलता है क्योंकि यह आपके मेडिकल टेस्ट और चेक-अप जैसे तरह-तरह के खर्च उठाने में भी मददगार साबित हो सकता है।


उपयुक्त और पर्याप्त कवरेज लें


आप जिस तरह की बीमारियों के लिए क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस लेने की योजना बना रहे हैं उन बीमारियों के हिसाब से उपयुक्त कवरेज वाला इंश्योरेंस लें। उदाहरण के लिए, यदि अगर आपको लगता है कि भविष्य में आपको हार्ट की समस्या हो सकती है और इलाज में आपको लगभग 15 लाख रुपये का खर्च आ सकता है तो आपको एक ऐसा इंश्योरेंस खरीदना चाहिए जो कम से कम पूरी रकम वाला कवरेज देता हो।


हमेशा जरूरत से थोड़ा ज्यादा कवरेज लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि ठीक होने में ज्यादा समय भी लग सकता है और उस दौरान आपके परिवार को फाइनैंशल सपॉर्ट की जरूरत पड़ सकती है। क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस के तहत, बीमारी का पता चलने पर शुरू में ही पैसे मिल जाते हैं जिससे बीमार व्यक्ति के लिए इस बात का फैसला करना ज्यादा आसान हो जाता है कि उसे इलाज के लिए कितने पैसे रखने चाहिए और अपने परिवार को सहारा देने के लिए कितने पैसे रखने चाहिए।


इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ ऐड-ऑन / राइडर खरीदना चाहिए या इसे अलग से खरीदना चाहिए?


आप एक इंश्योरेंस कंपनी से एक अलग उत्पाद के रूप में एक क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी खरीद सकते हैं या आप इसे अपने लाइफ या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ एक राइडर के रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं बशर्ते आपकी इंश्योरेंस कंपनी इसकी इजाजत देती हो। यदि आप अपनी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ इसे एक राइडर के रूप में खरीदते हैं तो उसका प्रीमियम, पूरी पॉलिसी अवधि के दौरान एक समान रहता है। लेकिन यदि आप इसे एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी से अलग से खरीदते हैं तो आपकी बढ़ती उम्र के हिसाब से पॉलिसी का प्रीमियम भी बढ़ता रहेगा।


इसे एक राइडर के रूप में प्राप्त करने पर, आपको क्रिटिकल इलनेस कवर के रूप में अपने लाइफ कवर का सिर्फ एक निश्चित प्रतिशत ही मिल सकता है और यदि आपका लाइफ कवर पर्याप्त नहीं है तो आपको मिलने वाला क्रिटिकल इलनेस कवर आपकी जरूरत के हिसाब से कम पड़ सकता है। यदि आप अलग से एक क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस लेते हैं तो आप अपनी जरूरत के हिसाब से ज्यादा कवरेज ले सकते हैं। इसके अलावा, अलग से लिए जाने वाले क्रिटिकल इलनेस प्लान में आपको राइडरों की तुलना में अधिक सुविधाएं मिल सकती हैं। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेने से पहले, राइडर के तहत मिलने वाली सुविधाओं के साथ-साथ इसे अलग से लेने पर मिलने वाली सुविधाओं की तुलना करें और उसमें शामिल और न शामिल बीमारियों और सुविधाओं पर भी गौर करें।


क्या कवर नहीं है


क्रिटिकल इलनेस के तहत न शामिल बीमारियों और सुविधाओं के बारे में जानना भी जरूरी है। पॉलिसी खरीदने के बाद, 60 दिन (किसी-किसी मामले में 30 दिन) तक कोई कवरेज नहीं मिलता है। यह पहले से मौजूद बीमारियों और विदेशी इलाज को भी कवर नहीं करती है। दांत का इलाज, जन्म नियंत्रण, लिंग परिवर्तन, हर्निया, मोतियाबिंद, गैस की समस्या इत्यादि पर कवरेज नहीं मिलता है।


अन्य महत्वपूर्ण बातें


क्रिटिकल इलनेस प्लान में कुछ समय तक इंतजार करना पड़ता है और इंतजार का समय ख़त्म होने के बाद ही जोखिम का कवरेज मिलता है। आम तौर पर, इंश्योरेंस कंपनियां, 90 दिन तक इंतजार करने के लिए कहती हैं। आपको इसके लिए एक खास अवधि तक जीवित रहना होता है। अधिकांश कंपनियों में आम तौर पर यह अवधि 30 दिन की होती है। कुछ इंश्योरेंस कंपनियां, कुछ खास बीमारियों के लिए बीमे की पूरी रकम नहीं देती हैं, इसके बजाय वे एक उप-सीमा अर्थात् किसी खास बीमारी के लिए एक ऊपरी सीमा तक कवरेज देती हैं। इसलिए आपको ऐसा इंश्योरेंस प्लान लेने की कोशिश करनी चाहिए जिसमें किसी भी बीमारी के लिए कोई उप-सीमा न हो।


क्रिटिकल प्लान खरीदते समय, अपनी जरूरत के हिसाब से सबसे अच्छी पॉलिसी का पता लगाने के लिए ऑनलाइन तुलना टूल का इस्तेमाल करें। कोई भी इंश्योरेंस प्लान खरीदने का फैसला करने के लिए सिर्फ कीमत पर विचार न करें, बल्कि इंश्योरेंस कंपनी की सेवा की क्वॉलिटी, दावे के निपटान का समय और अनुपात, शामिल बीमारियों की संख्या, अतिरिक्त लाभ आदि पर भी आप विचार करें।

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