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स्वीप-इन FD में छोटी बचत से भी मिलेगा बड़ा फायदा, जानिए कैसे ?

22 November 2017 | 2.23 PM

हाल में कई बैंकों ने सेविंग एकाउंट पर इंटरेस्ट रेट को 4 पर्सेंट से घटाकर 3.5 पर्सेंट कर दिया है। जब ब्याज दरों में और गिरावट आने के आसार दिख रहे हों, तो आपको बैंकों की स्वीप-इन फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) स्कीम से फायदा हो सकता है। स्वीप-इन फिक्स्ड डिपॉजिट को मनी मल्टीप्लायर, 2 इन 1 अकाउंट जैसे नाम से जाना जाता है और इन पर अभी 6.75 पर्सेंट का रिटर्न मिल रहा है। स्वीप-इन एफडी से सेविंग एकाउंट की लिक्विडिटी भी बनी रहती है यानी आप अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी पैसे निकाल सकते हैं। आप बैंक की ब्रांच में जाकर या नेट बैंकिंग के जरिये स्वीप-इन एफडी करवा सकते हैं।


यह कैसे काम करता है?

अगर आप स्वीप-इन एफडी को चुनते हैं तो सेविंग्स एकाउंट में एक सीमा से अधिक रकम होने पर वह अपने-आप फिक्स्ड डिपॉजिट हो जाती है। मान लीजिए कि आपके सेविंग एकाउंट में 1.78 लाख रुपये हैं और आपने सीमा 22,000 रुपये तय की हुई है तो 1.56 लाख रुपये अपने आप एफडी में बदल जाएंगे। अगर आपके बचत खाते में रकम तय सीमा से कम हो जाती है तब एफडी से निकलकर उतना पैसा बचत खाते में आ जाएगा।


मान लीजिए कि आपके बचत खाते की सीमा 25,000 रुपये है और उसमें कुल 75,000 रुपये जमा हैं। इसमें 25,000 रुपये को छोड़कर 50,000 रुपये अपने-आप एफडी में बदल जाएंगे। अब अगर आप 32,000 रुपये का कोई चेक इश्यू करते हैं तो बचत खाते की तय सीमा वाली रकम खत्म हो जाएगी। ऐसा होने पर एफडी से 25,000 रुपये आपके बचत खाते में आ जाएंगे। इस सूरत में भी आपको 50,000 रुपये पर अधिक ब्याज मिलता रहेगा। अलग-अलग बैंकों में स्वीप-इन एफडी अलग-अलग ढंग से काम करता है। इसलिए इस सुविधा को चुनने से पहले बैंक से इस बारे में पूछताछ कर लेनी चाहिए।


रकम की सीमा तय करना


कुछ बैंकों में यह सीमा 25,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक है। वहीं, कई बैंक आपको यह सीमा तय करने का अधिकार देते हैं। अगर यह सीमा कम है तो आपको बचत खाते में पड़ी रकम पर अधिक रिटर्न हासिल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, आपको खाते में मैंडेटरी मिनिमम लिमिट पर भी विचार करना चाहिए। अधिकतर बैंक 1,000 रुपय से 10,000 रुपये का मिनिमम एवरेज बैलेंस (एमएबी) मेंटेन करने के लिए कहते हैं। बैंकबाजार डॉट कॉम के सेविंग्स एंड इनवेस्टमेंट्स कैटेगरी हेड अजित नरसिम्हन ने बताया, 'सभी ऑटो स्वीप अकाउंट्स में एक सीमा होती है। यह आपको एमएबी से काफी अधिक होनी चाहिए।'


एफडी की अवधि


आपके पास एफडी की अवधि तय करने की आजादी होती है, लेकिन कुछ बैंक इसमें एक तय अवधि ही ऑफर करते हैं। नरसिम्हन ने बताया, 'ऑटो स्वीप एकाउंट में एत तय अवधि होती है, जो सामान्य तौर पर एक साल होती है। कुछ बैंक इससे पहले एफडी तोड़ने पर पेनाल्टी लगा सकते हैं। समय से पहले एफडी से पैसा निकालने पर आमतौर पर ब्याज पर 0.5-1 पर्सेंट की पेनाल्टी लगती है।' अच्छी बात यह है कि आप एक से अधिक एफडी खोल सकते हैं। इसलिए इसमें आप अलग-अलग अवधि तय करके ब्याज दरों से जुड़े रिस्क को कम कर सकते हैं।


न्यूनतम अवधि


स्वीप-इन फैसिलिटी से पहले मिनिमम टेन्योर को देखिए। नरसिम्हन ने बताया, 'अगर आप पैसा कम से कम 30 दिनों तक नहीं रखते हैं तो अधिकतर बैंक एफडी पर काफी कम ब्याज दर ऑफर करते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आप 30 दिन से अधिक समय के लिए एफडी कर रहे हैं, तभी आपके लिए यह फायदेमंद होगा। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो सेविंग एकाउंट में ही पैसा पड़ा रहने दें।'


ब्याज दर


यह रेगुलर एफडी जितना हो सकता है। हालांकि, इसमें कुछ बैंक हो सकता है कि सीनियर सिटीजन को अधिक ब्याज दर ऑफर ना करें।


मल्टीपल


एफडी से विदड्रॉल अलग-अलग मल्टीपल में किया जा सका है। कुछ बैंक इसे 1 रुपया तय करते हैं तो दूसरे बैंकों में इसे 1,000 या 5,000 रुपये तय किया जाता है। यह मल्टीपल जितना कम होगा, आपकी बचत उतनी अधिक होगी।


विदड्रॉल


यह देखिए कि क्या बैंक चेक, एटीएम और बैंक ब्रांच जैसे सभी माध्यमों से पैसा निकालने की आजादी दे रहे हैं। हालांकि, ऐसे विदड्रॉल पर नजर बनाए रखिए। नरसिम्हन ने कहा कि अगर आप एफडी से बार-बार पैसा निकालते हैं तो आपको ब्याज दर से हाथ धोना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि ब्याज दर इस आधार पर तय होती है कि बैंक के साथ आपने कितने समय तक एफडी बनाए रखा। इसलिए अगर एफडी की अवधि एक साल है और आप 45 दिनों में पैसा निकाल लेते हैं तो आपको सिर्फ 45 दिनों का ही ब्याज मिलेगा।


टैक्स


इसकी अनदेखी मत करिए। बचत खाते पर सेक्शन 80 टीटीए के तहत ब्याज मिलता है। साल में 10,000 रुपये का ब्याज टैक्स फ्री है। हालांकि, एफडी पर ब्याज इनकम पर आपकी टैक्स स्लैब के हिसाब से कर का भुगतान करना होता है। इसलिए स्वीप-इन एफडी उन लोगों के लिए अच्छी स्कीम है, जो लोअर टैक्स स्लैब में आते हैं।

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