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न KYC, न CCTV, टैक्स चोरों की 'जन्नत' बने प्राइवेट वॉल्ट्स,जानिए कैसे…

18 January 2018 | 3.26 PM

नई दिल्ली: बैंकों द्वारा नियम सख्त करने के बाद लोगों ने 'काला धन' छिपाने का नया ठिकाना ढूंढ लिया है। पिछले दिनों यह सामने आया कि काला धन छिपाने के लिए लोग अब प्राइवेट वॉल्ट्स को सबसे सेफ मानते हैं। हालांकि, ऐसे लोग भी इनकम टैक्स विभाग की नजरों से बचने में नाकाम रहते हैं। पिछले हफ्ते आईटी डिपार्टमेंट ने नई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में छापा मारा था। वहां एक ही कमरे में मौजूद प्राइवेट वॉल्ट्स से 21 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे।


पिछले हफ्ते भी छापेमारी हुई थी, जिसको मिलाकर देखा जाए तो कुल 41 प्राइवेट वॉल्ट्स से 85 करोड़ का कैश और सोना बरामद हुआ। सभी पैसा नोटबंदी के बाद रखा गया था और उनमें से लगभग 40 करोड़ दो हजार के नए नोटों में थे।


इसलिए बने 'पहली पसंद'

प्राइवेट लॉकर लेने के लिए KYC तो दूर, कोई खास जानकारी तक नहीं देनी होती। जहां ये लॉकर्स मौजूद होते हैं वहां कोई सीसीटीवी भी नहीं होता। इसका मतलब है कि कोई भी आकर अपने वॉल्ट में कुछ भी रख सकता है। वहीं दूसरी तरफ बैंक में जो लॉकर मौजूद होते हैं उसके आसपास सीसीटीवी कैमरा जरूर होता है। प्राइवेट वॉल्ट सरकारी लॉकर्स के मुकाबले काफी महंगे होते हैं। साउथ एक्सटेंशन में मौजूद प्राइवेट वॉल्ट का सालाना किराया 1.5 लाख रुपये था, वहीं बैंक लॉकर्स एक हजार रुपये सालाना में मिल जाता है।


पकड़ा जाना आसान नहीं

इनकम टैक्स विभाग का मानना है कि इन वॉल्ट्स में जानेमाने बिजनसमैन, बिल्डर्स, राजनेताओं का 'कालाधन' होता है, लेकिन उन्हें पकड़ा जाना आसान नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो लॉकर को ऑपरेट कर रहा होता है वह उसका असल मालिक होता ही नहीं है। कई वॉल्ट को बेनामी होते हैं। प्राइवेट वॉल्ट में लोगों का रुझान पिछले कुछ सालों से बढ़ रहा है। कुछ साल पहले सीपी में भी छापा मारकर वहां मौजूद प्राइवेट वॉल्ट्स से दस करोड़ रुपये बरामद किए गए थे। फिलहाल, आईटी वित्तमंत्री से यह समस्या साझा कर चुका है। इनपर काबू पाने के लिए नियमों में बदलाव करने की सलाह दी गई है।

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