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जानिए, सेविंग्स स्कीम्स में निवेश कर टैक्स बचाने के स्मार्ट तरीके:

20 January 2018 | 12.02 PM

नई दिल्ली: आपकी फाइनैंशल स्थिति के लिहाज से सेक्शन 80C के तहत कौन से टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट आपके लिए ठीक होंगे, बता रहे हैं बाबर जैदी। एक सहयोगी ने रोहन विनायक को टैक्स बचाने के लिए ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स) में निवेश करने की सलाह दी। उनके बैंक मैनेजर का कहना है कि बीमा पॉलिसी खरीदना इससे बेहतर रहेगा। विनायक के पिता चाहते हैं कि भरोसेमंद पीपीएफ को चुना जाए। बेंगलुरु के सॉफ्टवेअर प्रफेशनल विनायक अब दुविधा में पड़ गए हैं। हालांकि उनके पास वक्त कम है। उन्होंने कहा, 'इस हफ्ते के अंत तक मुझे अपनी कंपनी को अपने टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स की जानकारी देनी है। ऐसा नहीं करने पर कंपनी बहुत ज्यादा टैक्स काट लेगी।' टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स की ईटी ने जो रैंकिंग बनाई है, उससे विनायक की दुविधा खत्म हो सकती है। हमने रिटर्न, सेफ्टी, फ्लेक्सिबिलिटी, लिक्विडिटी (पैसा निकालने की सुविधा), कॉस्ट, ट्रांसपैरंसी, निवेश में सहूलियत और इनकम टैक्सेबिलिटी जैसे 8 अहम मानकों पर 10 टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स का आकलन किया है। हर मानक को बराबर वेटेज दिया गया है और विभिन्न विकल्पों के कुल स्कोर से रैंक तय की गई है।


इन पर नजर डालने से पता चलता है कि विनायक को क्यों अपने बैंकर की राय नहीं माननी चाहिए। टैक्स बचाने के लिहाज से बीमा पॉलिसी खरीदना बकवास आइडिया है। हालांकि एक बात यह है कि इंश्योरेंस प्लान से भले ही 4-5 प्रतिशत रिटर्न ही मिलता है, लेकिन उनसे बचत का अनुशासन भी आता है, जो लंबी अवधि में संपत्ति बनाने के लिए जरूरी है। पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी को बनाए रखने के लिए 20-25 वर्षों तक लगातार प्रीमियम जमा करते हैं और मैच्यॉरटी पर बड़ा कॉरपस उन्हें मिलता है। इसमें कोई शक नहीं है कि बीमा पॉलिसी ने लोगों को प्रॉपर्टी बनाने, बच्चों की शिक्षा का इंतजाम करने और रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जीवन जीने में मदद की है।


दूसरी ओर ईएलएसएस ने हाल के वर्षों में शानदार रिटर्न दिए हैं, लेकिन कुछ ही निवेशक इनमें लंबी अवधि तक निवेश करते हैं। एम्फी के डेटा के अनुसार, इक्विटी फंड्स में छोटे निवेशकों की ओर से किए जाने वाले निवेश का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा सालभर में रीडीम कर लिया जाता है, बाकी 17 प्रतिशत 2 वर्षों के भीतर रीडीम कर लिया जाता है। केवल 48 पर्सेंट ही दो साल से ज्यादा समय तक बनाए रखा जाता है। ऐसे में ईएलएसएस फंड्स बहुत अच्छा रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन अगर आप तीन साल के लॉक-इन पीरियड से पहले निकल जाएंगे तो अच्छी वेल्थ नहीं बना पाएंगे।


ELSS फंड्स से रिटर्न 13.62% (पिछले 3 वर्षों में)

साल 2017 इक्विटीज के लिए शानदार रहा और नए साल में भी रैली जारी है। ऐवरेज ईएलएसएस फंड 2017 में 36 पर्सेंट चढ़े और यहां तक कि लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस भी काफी अच्छा रहा। इस कैटिगरी ने पिछले पांच वर्षों में 18 पर्सेंट का कंपाउंडेड रिटर्न दिया है। चार वर्षों में निवेशकों की रकम इन फंड्स ने दोगुनी कर दी। यही नहीं, रिटर्न टैक्स फ्री है क्योंकि इक्विटी फंड्स से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स नहीं लगता है।
ELSS फंड्स आकर्षक लगते तो हैं, लेकिन इनके लिहाज से अभी मुश्किल यह है कि मार्केट ऑल टाइम हाई पर है। निफ्टी लगभग 27 के पीई पर ट्रेड कर रहा है और कई ऐनालिस्ट्स निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। दूसरों का कहना है कि इक्विटीज से रिटर्न की उम्मीद घटाने की जरूरत नहीं है। अभी मार्केट्स के ऊंचे लेवल को देखते हुए इक्विटी फंड्स से हालांकि पिछले 1-2 वर्षों का प्रदर्शन 2018 में दोहराने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।


कुछ निवेशकों ने मार्केट के ऊंचे स्तर पर होने के कारण ईएलएसएस फंड्स में अपने एसआईपी रोक दिए हैं। मुंबई के अभिषेक तिवारी ने कहा, 'मार्केट में करेक्शन आने के बाद मैं एसआईपी दोबारा शुरू करूंगा।' हमारा मानना है कि कुछ महीनों के लिए एसआईपी रोकने से तिवारी के ओवरऑल रिटर्न पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। तिवारी को एसआईपी जारी रखना चाहिए।


इसके साथ ही विनायक जैसे निवेशकों को एक बार में ईएलएसएस में बड़ी रकम लगाने से परहेज करना चाहिए। उन्हें इस सप्ताह टैक्स सेविंग ऑप्शंस में 1.16 लाख रुपये निवेश करने हैं और एक बार में पूरी रकम ईएलएसएस में लगाना रिस्की हो सकता है। बेहतर होगा कि वह इस समूची रकम का निवेश 2-3 महीनों में करें। हालांकि उनके पास ज्यादा समय तो है नहीं, लिहाजा इस साल ईएलएसएस के बजाय उन्हें टैक्स बचाने के कुछ दूसरे विकल्प चुनने चाहिए। ईएलएसएस निवेशकों को इसके अलावा कुछ और बातों पर ध्यान देना चाहिए।


ईएलएसएस एक जैसे टैक्स बेनिफिट्स देते हैं, लेकिन ऐसे सभी फंड्स एक जैसे नहीं होते हैं। कुछ ईएलएसएस तो अपने कॉरपस का एक बड़ा हिस्सा स्मॉल और मिड कैप शेयरों में लगाते हैं। शॉर्ट और मीडियम टर्म में इसमें जोखिम हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में फायदेमंद भी। दूसरे फंड्स अपेक्षाकृत ज्यादा कंजर्वेटिव होते हैं और अपना पोर्टफोलियो स्टेबल लार्ज कैप शेयरों के आधार पर बनाते हैं। हमने ईएलएसएस फंड्स को तीन बड़ी सब-कैटिगरीज में बांटा है। रिस्क उठाने की अपनी क्षमता के आधार पर इनमें से चयन करें।


किसी फंड के शॉर्ट टर्म परफॉर्मेंस के आधार पर फैसला न करें। रिटर्न की स्टेबिलिटी मिलने वाली रकम से ज्यादा अहम होती है। कदम उठाने से पहले स्कीम के तीन और पांच वर्षों के परफॉर्मेंस पर गौर करें। छोटे निवेशक प्राय: ईएलएसएस फंड्स को शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट के रूप में देखते हैं और तीन साल के लॉक-इन पीरियड के बाद एग्जिट कर जाते हैं। ईएलएसएस फंड्स को दरअसल रेगुलर इक्विटी फंड्स के रूप में देखना चाहिए, जिन्हें लॉन्ग टर्म तक होल्ड किया जाना चाहिए।


अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हों तो डिविडेंड ऑप्शन न चुनें। डिविडेंड दरअसल प्रॉफिट बुक करने का एक रास्ता है क्योंकि मिलने वाली रकम एनएवी से घटा दी जाती है। डिविडेंड का रीइनवेस्टमेंट करना तो और भी बुरा है। जब भी फंड डिविडेंड देता है और उस रकम को आपके एकाउंट में दोबारा निवेश करता है तो तीन साल का लॉक-इन पीरियड फिर शुरू हो जाता है। इस तरह आप लगातार लॉक-इन पोजिशन में रहते हैं।


पब्लिक प्रॉविडेंट फंड रिटर्न 7.6% (जनवरी-मार्च 2018 के लिए)

स्मॉल सेविंग्स के इंट्रेस्ट रेट सेकंडरी मार्केट में गवर्नमेंट बॉन्ड यील्ड से जुड़े हैं। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) के रेट पिछले दो वर्षों में बॉन्ड यील्ड में गिरावट के अनुसार नीचे आए हैं। हाल ही में PPF रेट में 0.20 पर्सेंट की कटौती की गई थी और आने वाले महीनों में यह और गिर सकता है। रेट कम होने के बावजूद अडवाइजर्स का कहना है कि PPF इन्वेस्टमेंट का एक अच्छा जरिया है क्योंकि इसमें इंट्रेस्ट टैक्स फ्री है। इस वजह से यह फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में बेहतर है। फिक्स्ड डिपॉजिट पर इंटरेस्ट टैक्सेबल है, जिससे सबसे ऊंचे टैक्स ब्रैकेट में आने वालों के लिए रिटर्न घटकर केवल 5 पर्सेंट रह जाता है।


दूसरी ओर, कन्ज्यूमर इन्फ्लेशन 4 पर्सेंट है और इसे देखते हुए PPF में 3 पर्सेंट से अधिक का रियल रिटर्न मिलता है। प्लानरुपी इन्वेस्टमेंट सर्विस के फाउंडर, अमोल जोशी ने कहा, 'यह एक अच्छा विकल्प है जो अश्योर्ड रिटर्न देता है। इनवेस्टर्स को इस लॉन्ग-टर्म टैक्स फ्री प्रॉडक्ट का फायदा लेना जारी रखना चाहिए।'


रिटर्न और टैक्सेबिलिटी के अलावा PPF सेफ्टी, फ्लेक्सिबिलिटी और इन्वेस्टमेंट में आसानी के लिहाज से भी बेहतर है। PPF अकाउंट किसी पोस्ट ऑफिस की ब्रांच या सरकारी बैंकों की तय निर्धारित ब्रांच में खोला जा सकता है। कुछ प्राइवेट बैंक भी PPF में इन्वेस्ट करने की सुविधा देते हैं। ऐसे बैंक को चुनें जो PPF अकाउंट के लिए ऑनलाइन एक्सेस देता है। इसमें डिपॉजिट पूरे वर्ष किया जा सकता है, लेकिन इनवेस्टर्स को एक वर्ष में कम से कम 500 रुपये जमा करने होते हैं।


हालांकि, सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड (EPF) के तौर पर इससे बेहतर विकल्प मौजूद है। हालांकि, EPF में एक व्यक्ति का योगदान उसकी सैलरी से जुड़ा होता है, लेकिन इसे बढ़ाने के लिए वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) का इस्तेमाल किया जा सकता है। VPF पर 2016-17 के लिए 8.65 पर्सेंट का इंटरेस्ट रेट मिला है। इसमें योगदान पर भी टैक्स बेनेफिट मिलता है। लेकिन यह विकल्प केवल फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत या अक्टूबर में चुना जा सकता है।


सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम रिटर्न 8.3 % (जनवरी-मार्च 2018 के लिए)

स्मॉल सेविंग्स पर इंटरेस्ट रेट में कटौती की गई है, लेकिन सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम को इससे बाहर रखा गया है। यह स्कीम 8.3 पर्सेंट का रिटर्न दे रही है और यह रिटायर्ड लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। बैंकों की ओर से सीनियर सिटीजंस को डिपॉजिट पर दिया जाने वाले अधिकतम इंटरेस्ट 7.7 पर्सेंट का है। इस स्कीम की अवधि पांच वर्ष की है, जिसे और तीन वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इसमें प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये के कुल इनवेस्टमेंट की सीमा है। यह स्कीम केवल 60 वर्ष से ऊपर के इनवेस्टर्स के लिए है। कुछ मामलों में इनवेस्टर के वॉलेंटरी रिटायरमेंट लेने और कोई अन्य नौकरी न करने पर न्यूनतम आयु घटाकर 58 वर्ष की जाती है। इसके अलावा सैन्य कर्मियों के लिए आयु की कोई सीमा नहीं है। इसमें तय अवधि से पहले भी बाहर निकलने की सुविधा है। अगर इनवेस्टर दो वर्ष से पहले स्कीम से बाहर निकलता है तो उसे एकाउंट में बैलेंस का 1.5 पर्सेंट चुकाना होता है। दो वर्ष के बाद पेनाल्टी बैलेंस पर 1 पर्सेंट की है।


सुकन्या समृद्धि योजना रिटर्न 8.1% (जनवरी-मार्च 2018)

जिन टैक्सपेयर्स की 10 साल से कम उम्र की बेटी है, उनके लिए सुकन्या समृद्धि योजना बचत का अच्छा तरीका हो सकती है। हालांकि इंटरेस्ट रेट घटाकर 8.1% कर दिया गया है फिर भी यह पीपीएफ से ज्यादा ही है। पीपीएफ की तरह ही इससे मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्स फ्री होगा और इसके तहत सालाना डेढ़ लाख रुपये जमा कराए जा सकते हैं। यह खाता किसी भी डाकघर या सरकार की तरफ से चिन्हित बैंक में 1000 रुपये के न्यूनतम निवेश से खोला जा सकता है। पेरेंट्स ज्यादा से ज्यादा दो बेटियों के लिए खाता खुलवा सकते हैं, लेकिन इसमें सालाना डेढ़ लाख से ज्यादा रकम जमा नहीं की जा सकती। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सुकन्या स्कीम लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए बचत करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है। उनका यह कहना सही है क्योंकि इक्विटी बेस्ड ऑप्शंस ऊंचा रिटर्न दिला सकते हैं। इसलिए वे निवेशकों को यह सलाह देते हैं कि वे बच्चों के फ्यूचर गोल के लिए सुकन्या समृद्धि योजना का इस्तेमाल इक्विटी फंड्स जैसे दूसरे इनवेस्टमेंट के साथ मिलाकर करें। इसमें अच्छी बात यह है कि इस स्कीम को बच्चियों से कनेक्ट किया गया है जो लोगों में बचत का भाव पैदा करता है। दूसरी स्कीमों से मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम अक्सर दूसरे कामों में खर्च हो जाती है। दूसरी तरफ सुकन्या स्कीम से पेरेंट्स को बेटियों की पढ़ाई लिखाई और उनकी शादी के लिए बचत करने को बढ़ावा मिलता है।


नैशनल पेंशन स्कीम रिटर्न 9.5% (पिछले तीन साल से)

एनपीएस से तीन अलग अलग सेक्शन में टैक्स बचत करने में मदद मिल सकती है। पहला, डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। दूसरा, सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये तक का एडिशनल डिडक्शन का लाभ लिया जा सकता है। तीसरा, अगर इंडिविजुअल के एनपीएस में उसका बेसिक सैलरी का 10 पर्सेंट हिस्सा एंप्लॉयर लगाता है तो, उस रकम पर टैक्स नहीं लगेगा।
तीन टैक्स बेनेफिट्स के चलते बहुत से लोगों ने पेंशन स्कीम में निवेश किया है। हालांकि बहुत से लोगों ने इसको इसलिए छोड़ दिया कि एनपीएस पूरी तरह टैक्स फ्री नहीं है। मैच्योरिटी पर मिलने वाली 40 पर्सेंट रकम ही टैक्स फ्री है। इसके अलावा एनपीएस की मैच्योरिटी पर निवेशक को मंथली पेंशन के लिए 40 पर्सेंट रकम एन्युइटी में लगाना होगा। यह पेंशन इनकम मानी जाएगी और यह पूरी तरह टैक्सेबल होगी। बहुत से निवेशकों को लॉक-इन भी हतोत्साहित करता है। कुछ खास मौकों को छोड़कर सामान्य हालात में एनपीएस इनवेस्टमेंट को रिटायरमेंट से पहले नहीं निकाला जा सकता। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि लॉन्ग लॉक इन पीरियड तो फायदे की चीज है। विलिस टावर्स वॉटसन साउथ एशिया के हेड ऑफ रिटायरमेंट कुलीन पटेल कहते हैं, 'अगर मकसद बुढ़ापे के लिए बचत करना है तो समय से पहले निकासी को रोकना जरूरी है।'


इक्विटी और डेट मार्केट में पिछले तीन साल से बने तेजी के माहौल में एनपीएस ने अच्छा रिटर्न दिया है। इक्विटीज में मैक्सिमम 50 पर्सेंट निवेश करने वाले निवेशकों को सबसे ज्यादा रिटर्न मिला है। लेकिन यह परफॉर्मेंस आने वाले महीनों में बरकरार नहीं रह पाएगा। NPS फंड ने अपनी रकम लॉन्ग टर्म बॉन्ड में लगा रखी है जिनसे हाल के महीनों में कुछ खास रिटर्न नहीं मिला है। इक्विटी मार्केट ओवरवैल्यूड नजर आ रहा है। इसके बावजूद इनवेस्टर्स को एनपीएस पर प्योर डेट प्रॉडक्ट्स से ज्यादा ही रिटर्न मिलेगा।

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