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नॉन-कॉम्पीट फी पर भी लगेगा टैक्स, डिजिटल टैक्स की भी होगी शुरुआत

5 February 2018 | 1.01 PM

नई दिल्ली: देश के आयकर कानून में कई जटिलताएं हैं। यह जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति को जॉब से मिली पूरी इनकम 'सैलरी' के दायरे में आती हो जिस पर टैक्स लगे। इस साल के बजट में इसे बदलने की कवायद की गई है। नॉन-कॉम्पीट पेमेंट्स सैलरी और प्रॉफिट्स के दायरे में नहीं आती हैं। जिस कारण इन पर टैक्स नहीं लगता। साथ ही भारत में विदेशी इंटरनेट कंपनियों से भी टैक्स वसूलने की शुरुआत हो सकती है।


क्या है कॉम्पीट फी?


बिजनस कंसल्टंसी फर्म ईवाई इंडिया के डायरेक्टर पुनीत गुप्ता ने बताया, 'बजट में दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक अगर किसी कर्मचारी को अपनी एंप्लॉयर से नहीं किसी और से सैलरी मिलती है तो उसे भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। दूसरे शब्दों में समझें तो टैक्स के दायरे में ऐसे केस भी आएंगे जिसमें सैलरी देने वाले और लेने वाले के बीच एंप्लॉयर-एंप्लॉयी का रिश्ता नहीं है। उदाहरण के लिए किसी विदेशी कंपनी की भारतीय सब्सिडियरी से जॉब खत्म होने पर विदेशी कंपनी से मिलने वाले मिलने वाले सेवेरेंस पेमेंट पर भी टैक्स लगेगा। कंपनियों के एक होने और अधिग्रहण की स्थिति में भी अधिग्रहण करने वाली कंपनी से मिलने वाली आय भी टैक्स दायरे में आ जाएगी।'


क्या कहता है नया कानून?

फाइनैंस बिल के मेमोरेंडम के मुताबिक, 'कई पेमेंट्स के टैक्स के दायरे में न आने से रेवेन्यू लॉस होता था।' इसीलिए आयकर कानून के सेक्शन 56 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया गया है। एंप्लॉयमेंट के टर्मिनेशन पर कॉम्पेंसेशन या किसी अन्य पेमेंट को 'दूसरे स्रोतों से इनकम' माना जाएगा। ऐसी आय पर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा। बजट प्रस्तावों के मुताबिक 1 करोड़ से ज्यादा की टैक्स लगने लायक आय पर, किसी व्यक्ति पर अधिकतम 36 प्रतिशत टैक्स लग सकता है। इस संशोधन में एंप्लॉयर से पिंक स्लिप मिलने या वीआरएस के मामलों को नहीं रखा गया है।


डिजिटल टैक्स


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार बजट में उन विदेशी डिजिटल एंटिटिज को टैक्स के दायरे में लाने का विचार रखा है जिनका देश में बड़ा यूजर बेस या बिजनस है, लेकिन उनका अस्तित्व यहां नहीं है। मसलन, फेसबुक, गूगल या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों के भारत में लाखों यूजर हैं, लेकिन इन कंपनियों का संचालन विदेशों से होता है। हालांकि, ऐसी कंपनियों के दफ्तर भारत में भी हैं, लेकिन उनका ऑपरेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर यहां नहीं है। बजट में पहली बार इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स ऐक्ट 9 में संशोधन कर ऐसी विदेशी डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूलने की तरफ कदम बढ़ा रही है। सरकार के इस कदम से न केवल गूगल, फेसबुक और नेटफ्लिक्स जैसी बड़ी कंपनियों पर असर पड़ेगा, बल्कि भारत में कारोबार करनेवाली इंटरनेट आधारित छोटी विदेशी कंपनियां भी इसके दायरे में आएंगी।

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