17 May 2017 | 11.48 AM
नई दिल्ली. एक जुलाई को जीएसटी लागू करने से पहले सरकार टैक्स चोरी रोकने की व्यवस्था को मजबूत करना चाहती है। टैक्स चोरी का पता लगाने के लिए 2 नई एजेंसी होगी। एक बिजनेस इंटेलिजेंस के लिए और दूसरी एनालिटिक्स के लिए। बिजनेस इंटेलिजेंस का जिम्मा सोर्सेस के जरिये संभावित टैक्स चोरी का पता लगाना होगा। एनालिटिक्स में अवेलेबल डाटा के एनालिसिस से यह पता लगाने की कोशिश होगी कि कोई कंपनी टैक्स चोरी कर रही है या नहीं। अभी टैक्स डिपार्टमेंट्स में इसके लिए अलग-अलग एजेंसियां होती हैं।
सीबीईसी की जगह होगी सीबीआईसी...
- अभी इनडायरेक्ट टैक्सेज की टॉप बॉडी सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC) है। नई टैक्स व्यवस्था के लिए इसने भी अपने एक्साइज और सर्विस टैक्स ढांचे में बदलाव किए हैं। जीएसटी में इसका नाम बदलकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) हो जाएगा। जीएसटी और कस्टम का जिम्मा इसी के पास रहेगा। इसमें चेयरमैन के अलावा 6 मेंबर होंगे। हर मेंबर की जिम्मेदारी अलग होगी
- जीएसटी; आईटी; लीगल और कम्प्लायंस वेरिफिकेशन; इन्वेस्टिगेशन; टैक्स पॉलिसी; कस्टम और एडमिनिस्ट्रेशन, विजिलेंस।
सभी जोन हेड को लेटर भेजा गया
- सीबीईसी के एचआर विभाग की तरफ से सभी जोन हेड को लेटर भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस (डीजीसीईआई) का नया नाम डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीएसटीआई) होगा। इसके अधिकार पहले से ज्यादा होंगे। प्रिंसिपल डायरेक्टर जनरल इसके प्रमुख होंगे। उनके साथ चार उप डायरेक्टर जनरल होंगे।
- "दो नए डायरेक्टोरेट भी बनाए जा रहे हैं। इनमें एक डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ एनालिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट (डीजीएआरएम) होगा। इसमें दो वर्टिकल होंगे। एक बिजनेस इंटेलिजेंस का और दूसरा एनालिटिक्स और रिस्क मैनेजमेंट का। दूसरा डायरेक्टरेट कस्टम का होगा। यह टैरिफ, डब्लूटीओ से जुड़े मुद्दों, क्योटो संधि और दूसरे देशों के साथ संधि के मामले देखेगा। टैक्सपेयर्स की मदद के लिए एक डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ टैक्सपेयर सर्विसेस भी होगा। यह सेमिनार और वर्कशॉप ऑर्गनाइज करेगा और टैक्सपेयर्स की शिकायतें दूर करेगा।"
- "अफसरों को ट्रेनिंग देने के लिए नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, एक्साइज एंड नारकोटिक्स (नासेन) है। इसका नाम नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नारकोटिक्स (नासिन) हो जाएगा। यह ट्रेड बॉडी और टैक्स प्रोफेशनल्स को भी ट्रेनिंग देगा। हर साल कुल मिलाकर करीब 70,000 लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
" टैक्स चोरी पकड़ना आसान होगा
- टैक्स एक्सपर्ट ने बताया कि ऐसी व्यवस्था अब भी है। केंद्र के एक्साइज और सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में इंटेलिजेंस और डाटा के विंग होते हैं। राज्यों के वैट विभाग में भी एंटी इवेजन विंग होता है। फर्क यह होगा कि अभी हर विभाग अलग काम करता है, जीएसटी में जानकारी एक जगह आएगी तो टैक्स चोरी पकड़ना आसान होगा।
ज्वैलरी इंडस्ट्री को 1.25% टैक्स की उम्मीद
- जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन ने कहा है कि वह जुलाई से जीएसटी के लिए तैयार हैं। फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने मीडिया से बातचीत में उम्मीद जताई कि इस सेक्टर पर 1.25% टैक्स लगेगा। अभी ज्यादातर राज्यों में 1% एक्साइज और 1% वैट (कुल 2%) टैक्स लगता है। टैक्स रेट ज्यादा होने से ग्रे-मार्केट बढ़ेगा और ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की दिक्कतें बढ़ेंगी।