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जानिए ! बड़े निवेशकों की उलटी-पुलटी चाल के बीच आपको क्या करना चाहिए?

17 August 2017 | 12.42 PM

नई दिल्ली : शेयर बाजार रोज नए पीक लेवल पर पहुंच रहा है। मार्केट में कैश की कमी नहीं है। लोग बाजार में लगातार पैसा डाल रहे हैं, जिससे शेयरों का वैल्यूएशन ऊंचा बना हुआ है। हालांकि, अभी तक कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ में तेजी नहीं दिखी है। पिछले एक साल में विदेशी और भारतीय फंड्स ने बाजार में काफी पैसा लगाया है। हालांकि, पहले के ट्रेंड से उलट इस बार विदेशी निवेशकों से अधिक पैसा भारतीय निवेशकों ने लगाया है। पिछले साल जुलाई के बाद से जहां फॉरन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एफआईआई) ने 58,268 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं, वहीं डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (डीआईआई) ने इस बीच 84,825 करोड़ रुपये बाजार में लगाए हैं। सच तो यह है कि पिछले साल अगस्त के बाद से डीआईआई हर महीने इक्विटी मार्केट में नेट बायर रहे हैं।


बीएसई 200 इंडेक्स में शामिल 200 कंपनियों में से 196 में नॉन-प्रमोटर फॉरन इंस्टीट्यूशनल ओनरशिप पिछले साल जून के 19.18 पर्सेंट बढ़कर जून 2017 में 19.56 पर्सेंट रही, जबकि इन्हीं शेयरों में डीआईआई होल्डिंग इस दौरान 10.71 पर्सेंट से बढ़कर 11.48 पर्सेंट हो गई। दिलचस्प बात यह है कि विदेशी और भारतीय संस्थागत निवेशकों शेयरों पर उलटे दांव लगा रहे हैं। बीएसई 200 कंपनियों के शेयरहोल्डिंग पैटर्न की हमारी स्टडी से पता चलता है कि इनमें ऐसी एक भी कंपनी नहीं है, जिसमें डीआईआई और एफआईआई ने एक साथ होल्डिंग बढ़ाई हो या उसमें पिछले एक साल के दौरान साथ-साथ कटौती की हो। इस इंडेक्स में ऐसी 8 कंपनियां हैं, जिन पर दोनों की राय बिल्कुल अलग है। बड़े निवेशकों की इस उलटी चाल ने छोटे निवेशकों को भ्रम में डाल दिया है। हम इस मामले में तस्वीर साफ करने की कोशिश कर रहे हैं:


ब्लू डार्ट लिमिटेड


यह देश की बड़ी कूरियर कंपनियों में से एक है। ब्लू डार्ट के पास एक्सटेंसिव एयर और ग्राउंड सपॉर्ट नेटवर्क है। माना जा रहा है कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से इस कंपनी को काफी फायदा होगा। अब मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां पूरा सप्लाई चेन लॉजिस्टिक्स थर्ड पार्टी प्लेयर्स को सौंप सकती हैं। मार्केट एनालिस्टों का यह भी कहना है कि जीएसटी में कंपनियों के शिफ्ट होने से ब्लू डार्ट की आमदनी पर कुछ दबाव दिख सकता है, लेकिन यह असर अनुमान से कहीं ज्यादा हुआ है। जून क्वॉर्टर में कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ 7 पर्सेंट रही, जबकि कंपनी फिक्स्ड कॉस्ट मॉडल पर ऑपरेट करती है। इससे ब्लू डार्ट का ऑपरेटिंग मार्जिन 6 पर्सेंट कम हो गया। ऐनालिस्टों का कहना है कि जीएसटी की वजह से बिजनस टु बिजनस सेगमेंट में स्ट्रक्चरल बदलाव की वजह से कंपनी के मुनाफे पर चोट पड़ी है। वहीं, ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में कंसॉलिडेशन की वजह से बिजनेस टु कन्ज्यूमर सेगमेंट भी प्रभावित हुआ है। ब्लू डार्ट का वैल्यूएशन भी अधिक है, जिससे आगे इसके परफॉर्मेंस को लेकर चिंता बनी हुई है। आईआईएफएल के हर्षवर्धन डोले ने बताया, 'जब तक ग्रोथ नहीं बढ़ने लगती, तब तक यह शेयर बेंचमार्क इंडेक्स से कम रिटर्न देगा।' उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्टॉक में कोई गिरावट आती है तो उसका फायदा उठाकर इसमें निवेश करना चाहिए।

 


पावर यूटिलिटी कंपनी सीईएससी में जल्द ही रिस्ट्रक्चरिंग होने जा रही है। इसके बाद ग्रुप के पावर जेनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन कामकाज को अलग किया जाएगा। सीईएससी को अलग-अलग चार कंपनियों में बांटने की योजना है, जिससे वैल्यू अनलॉकिंग होगी। इसके डिस्ट्रीब्यूशन बिजनस की री-रेटिंग हो सकती है क्योंकि रीस्ट्रक्चरिंग के बाद कंपनी के मुनाफे में उतार-चढ़ाव नहीं दिखेगा। ऐनालिस्टों का अनुमान है कि सीईएससी को हल्दिया प्लांट से 2016-17 में 25 पर्सेंट से अधिक का कोर आरओई (रिटर्न ऑन इक्विटी) मिलेगा, जो इंडस्ट्री में सबसे अधिक है। सब्सिडियरी धारीवाल 2016-17 में ऑपरेटिंग लेवल पर मुनाफे में आ गई थी। इस बीच, रिटेल सब्सिडियरी स्पेंसर भी टर्नअराउंड के करीब है। जीएसटी के लागू होने के बाद सप्लाई चेन में सुधार से इसे ऑपरेटिंग कॉस्ट कम करने में मदद मिलेगी, जबकि रीस्ट्रक्चरिंग के बाद इंडिपेंडेंट मैनेजमेंट इसकी ग्रोथ तेज करने पर ध्यान देगा। इससे स्टॉक की री-रेटिंग हो सकती है। स्टॉक के बारे में मोतीलाल ओसवाल के एक ऐनालिस्ट ने कहा, 'प्रॉफिट ग्रोथ में तेजी बनी रहेगी। हमने 2018-20 के बीच कंपनी के मुनाफे में अनुमानित बढ़ोतरी को 13-15 पर्सेंट तक बढ़ाया है। इसमें धारीवाल और स्पेंसर का बड़ा रोल होगा।'


क्रॉम्पटन ग्रीव्ज


इलेक्ट्रिकल अप्लायंस कंपनी क्रॉम्पटन ग्रीव्ज ने जून क्वॉर्टर में कमजोर नतीजे पेश किए थे। जीएसटी की वजह से स्टॉक क्लीयर करने और प्रॉडक्शन में कटौती करने से ऐसा हुआ। ऐनालिस्टों का कहना है कि कंपनी को अप्लायंस बिजनस को बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि यह कई सब-कैटिगरी में बंटा हुआ है और इसमें आफ्टरसेल्स सर्विस नेटवर्क काफी मायने रखता है। कंपनी को काफी आमदनी फैन्स सेगमेंट से मिलती है, जिसकी ग्रोथ ठहर गई है। इस सेगमेंट में क्रॉम्पटन ग्रीव्ज को कड़े मुकाबले का भी सामना करना पड़ रहा है। कंपनी की रिटेल लाइटिंग और वॉटर हीटर सेगमेंट में दमदार पकड़ नहीं है। इन सेगमेंट में यह स्टैंडर्ड प्रॉडक्ट्स पर ध्यान दे रही है, जिससे प्रीमियम सेगमेंट में उसे तेज ग्रोथ हासिल हो। ऐसी खबरें आई हैं कि क्रॉम्पटन ग्रीव्ज केनस्टार को 1,500 करोड़ रुपये में खरीदकर होम अप्लायंस पोर्टफोलियो को बढ़ाने की सोच रहा है। क्रॉम्पटन का वैल्यूएशन कम नहीं है। इसका शेयर हैवेल्स से सिर्फ 5 पर्सेंट कम वैल्यूएशन पर मिल रहा है, जो कई सेगमेंट में मार्केट लीडर है। हम इस स्टॉक को बेचने की सलाह देते हैं क्योंकि क्रॉम्पटन को फैन्स सेगमेंट में काफी मुश्किल होगी। यह सेगमेंट मच्योर हो चुका है। इसकी ग्रोथ मिड सिंगल डिजिट में है। अगर क्रॉम्पटन केनस्टार को इस वैल्यूएशन पर खरीदती है तो वह उसकी वित्तीय सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। यह बात एंबिट कैपिटल के एनालिस्ट भार्गव बुद्धदेव ने कही।


जीएसके फार्मा


अप्रैल-जून क्वॉर्टर में कंपनी का मुनाफा साल भर पहले की इसी तिमाही की तुलना में 63.4 पर्सेंट गिरा। वहीं, इसकी बिक्री 14.4 पर्सेंट गिरकर 587 करोड़ रुपये रह गई। पिछले कुछ साल से कंपनी अपनी आमदनी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी नहीं कर पाई है। इसका 30 पर्सेंट ड्रग पोर्टफोलियो सरकार के प्राइस कंट्रोल वाली लिस्ट में आ गया है और जीएसके फार्मा को सप्लाई संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। इससे निपटने के लिए कंपनी अपने ग्लोबल रेस्पिरेटरी और वैक्सीन पाइपलाइन की कुछ दवाएं भारत में लॉन्च कर सकती है। जीएसके क्रॉनिक दवाओं के सेगमेंट में भी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है, जिससे उसे टिकाऊ आमदनी हासिल होगी। कर्नाटक में जीएसके फार्मा आधुनिक प्लांट बना रही है। इसमें उसने 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। 2018 की आखिरी तिमाही में यह प्लांट शुरू हो सकता है। मैनेजमेंट ने यह भी कहा है कि ठाणे में वह 60 एकड़ जमीन बेचने का सौदा इसी साल कर सकता है। इससे कंपनी को 500-600 करोड़ रुपये मिलेंगे। ऐनालिस्टों का कहना है कि इसके शेयर प्राइस में काफी गिरावट आई है और इसमें पोजिशन ली जा सकती है। मोतीलाल ओसवाल के एनालिस्टों ने बताया, 'जीएसके फार्मा की पैरेंट कंपनी काफी मजबूत है। उसके पास शानदार ब्रांड पोर्टफोलियो है। उसके रिटर्न रेशियो काफी अच्छे हैं और पेआउट रेशियो भी 100 पर्सेंट से ज्यादा रहा है।'


रिलायंस इंडस्ट्रीज


अप्रैल-जून क्वॉर्टर में कंपनी ने धमाकेदार प्रदर्शन किया। रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल के कोर सेगमेंट में जून तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस बहुत बढ़िया रहा। जून तिमाही में उसे 11.9 डॉलर यानी 758 रुपये प्रति बैरल का ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन मिला, जो सितंबर 2009 के बाद सबसे अधिक है। वहीं, पेट्रोकेम मार्जिन 16.5 पर्सेंट पहुंच गया, जो सितंबर 2010 के बाद सबसे ज्यादा है। हालांकि, ऑयल और गैस सेगमेंट पर प्रॉडक्शन में कमी आने की वजह से दबाव बना हुआ है। कंपनी की ऑइल फील्ड्स से प्रॉडक्शन में गिरावट आ रही है और नैचरल गैस की डोमेस्टिक कीमत कम है। कंपनी अपने कोर बिजनस पर कैपिटल एक्सपेंडिचर भी पूरा करने के करीब है। इसलिए आने वाले समय में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुनाफे में अच्छी बढ़ोतरी होनी चाहिए। टेलिकॉम बिजनस में अच्छी ग्रोथ के चलते भी स्टॉक में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। रिलायंस जियो का एक्टिव सब्सक्राइबर बेस मई के अंत तक 8.9 करोड़ पहुंच गया था, इसमें से ज्यादा हायर टैरिफ प्लान वाले ग्राहक थे। 4G इनेबल्ड जियोफोन के लॉन्च से इसमें और बढ़ोतरी होगी, जिससे कंपनी को बड़े ग्राहक बेस में सेंध लगाने का मौका मिलेगा। हालांकि, जियोफोन से ऐवरेज रेवेन्यू पर यूजर ज्यादा नहीं होगा। ऐनालिस्टों का कहना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में और तेजी आ सकती है। इस बारे में आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट के एनालिस्ट प्रयेश जैन ने बताया, 'कंपनी का परफॉर्मेंस मजबूत बना हुआ है। कोर बिजनेस में वह नए प्रोजेक्ट के जरिये कैपेसिटी बढ़ा रही है। टेलिकॉम बिजनेस से काफी वैल्यू क्रिएशन हो सकता है। हम स्टॉक को खरीदने की सलाह दे रहे हैं।'
गुजरात पिपावाव पोर्ट


पिछले कुछ साल से पोर्ट कंपनी को दूसरी कंपनियों के हाथों बिजनस गंवाना पड़ा है। वहीं, कंटेनर शिपिंग मार्केट के कमजोर रहने का भी उसके कामकाज पर बुरा असर हुआ है। डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती से भी पिछले साल कंपनी के परफॉर्मेंस पर दबाव दिखा। इसकी प्रमोटर एपीएम टर्मिनल्स है। ऐसी खबर है कि वह 12 साल पुराने इस इन्वेस्टमेंट से निकलने की कोशिश कर रही है। हालांकि, कंपनी की हालत में धीरे-धीरे सुधार के संकेत भी मिल रहे हैं। पश्चिमी तट पर कंटेनर वॉल्यूम बढ़ रहा है। क्रूड और कार सेगमेंट में डायवर्सिफिकेशन और कार्गो डिवीजन से इसे फायदा होगा। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) से भी गुजरात पिपावाव पोर्ट को लाभ हो सकता है। पिपावाव रेल कॉरपोरेशन बंदरगार को डीएफसी से जोड़ने की तैयारी कर रहा है। कोटक सिक्योरिटीज के एनालिस्ट अमित अग्रवाल ने बताया कि अगले कुछ साल में कंपनी का टर्नअराउंड हो सकता है। उन्होंने बताया, 'वित्त वर्ष 2017 से 2019 के बीच कंटेनर वॉल्यूम में 7.5 पर्सेंट सीएजीआर से बढ़ोतरी हो सकती है। हमें कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन हेल्दी बने रहने की उम्मीद है और रिटर्न रेशियो भी बढ़िया रहेंगे।'


टाटा कम्युनिकेशंस


कंपनी को पिछले कुछ साल से अधिक मार्जिन वाले डेटा सेगमेंट से बढ़िया ग्रोथ मिल रही है। 2013-14 में डेटा बिजनेस का कंपनी की आमदनी में 40 पर्सेंट योगदान था, जो 2016-17 में बढ़कर 58.7 पर्सेंट हो गया। हालांकि, अप्रैल-जून 2017 लगातार तीसरी ऐसी तिमाही रही, जिसमें डेटा रेवेन्यू ग्रोथ सिंगल डिजिट में दिखी। कॉम्पिटीशन बढ़ने और प्राइस वॉर की वजह से इसके वॉयस बिजनेस पर प्रेशर बना हुआ है। हालांकि, टाटा कम्युनिकेशंस का कैपिटल एक्सपेंडिचर पूरा हो गया है और अब उसे स्टेबल फ्री कैश फ्लो मिल रहा है। कंपनी बड़े डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की योजना बना रही है। उसकी नजर इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मैनेज्ड सिक्यॉरिटी, क्लाउंड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डोमेन पर है। इन नई सेवाओं में निवेश के चलते कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन पर दबाव बना रह सकता है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के ऐनालिस्ट भूपेंद्र तिवारी ने बताया, 'नई सर्विसेज में निवेश और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की वजह से हमने मार्जिन के अनुमान में कटौती की है। हमारा मानना है कि मीडियम टर्म में कंपनी के मार्जिन पर दबाव रह सकता है।' इस बीच, अगर लैंड पार्सल के डीमर्जर के मामले में कोई प्रोग्रेस होती है तो इससे टाटा कम्युनिकेशंस के शेयर प्राइस में तेजी आ सकती है।


टीवीएस मोटर


जीएसटी से टू-वीइलर्स पर इफेक्टिव टैक्स कम हो गया है। कंपनी इसका पूरा फायदा अपने ग्राहकों को दे रही है। उसने अपनी गाड़ियों के दाम में 1.5 से 2 पर्सेंट तक की कटौती की है। टीवीएस मोटर के पास सफल ब्रांड हैं, लेकिन उसका मार्केट शेयर सेगमेंट लीडर की तुलना में कम है। वैसे तो जून क्वॉर्टर में कंपनी की स्कूटर सेल्स हीरो मोटोकॉर्प से अधिक रह। इसमें टीवीएस के फ्लैगशिप ब्रैंड ज्यूपिटर (स्कूटर) और अपाचे (मोटरसाइकल) का बड़ा रोल रहा। कंपनी को मार्केटिंग और लगातार नए प्रॉडक्ट इनोवेशन का फायदा मिल रहा है। इस साल टीवीएस ने 125 सीसी में स्कूटर और मोटरसाइकल लॉन्च करने की योजना बनाई है। इससे शॉर्ट टर्म में विज्ञापन पर उसका खर्च अधिक बना रह सकता है। कंपनी इस साल प्रॉडक्शन कपैसिटी बढ़ाने पर भी 500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। एसबीआई कैप सिक्यॉरिटीज के ऐनालिस्ट चिराग जैन ने बताया, 'कंपनी के मार्जिन में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी। 2018-19 में इसका मार्जिन डबल डिजिट में पहुंच सकता है।'

 

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