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टेलिकॉम कमिशन ने कंपनियों को तुरंत राहत देने को कहा :

13 September 2017 | 1.16 PM

नई दिल्ली : टेलिकॉम कमिशन (टीसी) ने इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप (आईएमजी) से कहा है कि वह इंडस्ट्री की हालत की समीक्षा करे और कंपनियों को तुरंत राहत देने के उपाय के बारे में सोचे। टेलिकॉम कंपनियों पर काफी कर्ज है और उनकी आमदनी में लगातार गिरावट आ रही है। एक बड़े सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है।


टेलिकॉम डिपार्टमेंट में फैसले लेने वाली सबसे बड़ी इकाई टेलिकॉम कमिशन का यह कदम अप्रत्याशित है। उसके इस निर्देश से भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, आइडिया सेल्युलर, रिलायंस कम्युनिकेशंस और टाटा टेलिसर्विसेज जैसी कंपनियों में उम्मीद जगी है। आईएमजी ने कंपनियों को स्पेक्ट्रम की रकम 10 साल के जगह 16 साल में चुकाने की इजाजत देने की सिफारिश की थी। उसने कंपनियों पर स्पेक्ट्रम की बकाया रकम पर ब्याज दर कम करने का भी सुझाव दिया था। टेलिकॉम कंपनियां इससे खुश नहीं थीं। दूसरी तरफ, अग्रेसिव प्राइसिंग से इन कंपनियों की हालत खराब करने वाली रिलायंस जियो ने ऐसी किसी राहत का विरोध किया है।


आईएमजी को जून में बनाया गया था और इसमें टेलिकॉम डिपार्टमेंट और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं। टीसी के कंपनियों को अधिक राहत देने की बात से ऐसा लगता है कि दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय की राय टेलिकॉम कंपनियों के लिए तैयार किए जा रहे पैकेज को लेकर अलग-अलग है। टीसी की हालिया मीटिंग की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, दूरसंचार विभाग का मानना है कि स्पेक्ट्रम का पैसा चुकाने के लिए अधिक समय देने से कंपनियों को तुरंत राहत नहीं मिलेगी।


टीसी के कुछ सदस्यों का यह भी कहना है कि टेलिकॉम सेक्टर का वित्तीय मुश्किल में फंसना सरकार के हित में नहीं है क्योंकि उससे केंद्र सरकार को काफी आमदनी होती है। पुरानी टेलिकॉम कंपनियों पर करीब 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। पिछले साल रिलायंस जियो के सर्विस शुरू करने के बाद इन कंपनियों की आमदनी और मुनाफे में भारी गिरावट आई है। यह सिलसिला पिछली तीन तिमाहियों से चल रहा है।


एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, 'आईएमजी से क्लैरिफिकेशन के लिए कहा गया है। उससे पूछा गया है कि क्या कंपनियों को तुरंत राहत दी जा सकती है और यह काम किस तरह से हो सकता है।' आईएमजी को दो हफ्ते में क्लैरिफिकेशन देना है। आईएमजी की सिफारिशों पर टीसी 29 सितंबर को विचार करेगा। इसके बाद जो फैसला लिया जाएगा, उसे कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। आईएमजी ने लाइसेंस फी और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज में कमी की इंडस्ट्री की मांग खारिज कर दी थी।


टेलिकॉम मंत्री मनोज सिन्हा और प्रधानमंत्री कार्यालय को 22 अगस्त को लिखे लेटर में वोडाफोन ग्रुप के सीईओ विटोरिया कोलाओ ने उम्मीद जताई थी कि आईएमजी ब्याज दरों को घटाकर 6.25 पर्सेंट करे और स्पेक्ट्रम की रकम चुकाने के लिए अधिक समय दे। आईएमजी ने सितंबर की शुरुआत में अपनी सिफारिशें सौंपी थीं, लेकिन उसने कोलाओ की ब्याज दरों में कमी की मांग नहीं मानी थी।

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