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रेलवे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का उपयोग करेगा, यात्रियों के लिए होगा सुरक्षित:

22 November 2017 | 2.46 PM

नई दिल्ली :   सिग्नल फेल होने की संभावनाओं को रोकने के लिए रेलवे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का प्रभावी उपयोग करेगा। सुरक्षित रेल संचालन के लिए सिग्नल का तंत्र महत्वपूर्ण है और रेलवे वास्तविक समय की जानकारी के साथ सिग्नल पर पूरी तरह से निर्भर रहता है। वर्तमान में रेलवे एक मानवीय रखरखाव प्रणाली का प्रयोग करता है।


इस परियोजना के साथ जुड़े रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अब हम सिग्नल, ट्रैक सर्किट, एक्सेल काउंटर और इंटरलॉकिंग के सब-सिस्टम, रिले, टाइमर, वोल्टेज और करंट सहित बिजली आपूर्ति प्रणालियों की निरंतर ऑनलाइन निगरानी करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करने वाले सेंसर का उपयोग करके दूरस्थ स्थिति की निगरानी शुरू कर रहे हैं।'


यह तंत्र पूर्व निर्धारित अंतराल पर जानकारियां जुटाने का काम करता है और उसे एक केंद्रीय स्थान पर भेजता है। परिणामस्वरूप सिग्नल के तंत्र में किसी भी प्रकार की खामी या समस्या का पता वास्तविक समय में लगाया जा सकेगा और संभावित देरी और दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। सिग्नल का फेल होना रेल दुर्घटनाओं और रेलगाड़ी के विलंब से चलने के प्रमुख कारणों में से एक है।


फिलहाल ब्रिटेन में सिग्नल की रिमोट मॉनिटरिंग होती है। इस प्रणाली में एक वायरलेस (3G, 4G और हाई स्पीड मोबाइल) के माध्यम से जानकारी भेजने की परिकल्पना की गई है और इन जानकारियों के आधार पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से बड़ी जानकारियों के भविष्यसूचक और निर्देशात्मक विश्लेषण के लिए आंकड़ों का उपयोग किया जाएगा।


अधिकारी ने कहा, 'यह किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का पहले ही अनुमान लगा लेगा।'रेलवे ने फैसला किया है कि इसका परीक्षण पश्चिम रेलवे और दक्षिण पश्चिम रेलवे के दो हिस्सों-अहमदाबाद-वड़ोदरा और बेंगलुरू-मैसूर में किया जाएगा। प्रतिक्रिया के आधार पर, प्रणाली को धीरे-धीरे अन्य खंडों तक बढ़ाया जाएगा।


5 साल में डीजल इंजन बंद

केंद्रीय कोयला और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय रेल से अगले 5 सालों में डीजल इंजन को पूरी तरह बाहर कर दिया जाएगा और बिजली इंजन का उपयोग किया जाएगा, जिसमें गति बढ़ाने पर सबसे ज्यादा जोर होगा। गोयल ने यहां फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, 'हमने अगले 5 सालों में सभी ट्रेनों को बिजली इंजन से चलाने की योजना बनाई है।'


उन्होंने कहा कि डीजल इंजन को बाहर करने से रेलवे को सालाना 11,500 करोड़ रुपये की बचत होगी। उन्होंने कहा, 'डीजल इंजन को यार्ड में बैकअप के लिए रखा जाएगा।'

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