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सरकार से मांगा स्पष्टीकरण निर्यातकों ने ई-वे बिल पर:

14 February 2018 | 11.22 AM

मुंबई: निर्यातकों ने ड्राई पोर्ट से सी पोर्ट तक और एक ही राज्य में स्थित दो स्पेशल इकनॉमिक जोनों के बीच माल की ढुलाई के दौरान ई-वे बिल की स्थिति क्या होगी, इस बाबत सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। आगे चलकर किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए एक्सपोर्टर्स ने कई मामलों में स्पष्टीकरण मांगते हुए फाइनैंस मिनिस्ट्री को लेटर लिखा है। एक्सपोर्टर्स ने यह कदम तब उठाया है जब आरबीआई ने संकेत दिया है कि जीएसटी लागू होने और रिफंड में देरी के चलते कंपनियों को वर्किंग कैपिटल की दिक्कत हो गई है और मुमकिन है कि इसकी वजह से अक्टूबर 2017 में एक्सपोर्ट को बड़ा नुकसान हुआ होगा।


इनलैंड कंटेनर डिपो


सरकार ने तकनीकी दिक्कतों के चलते जब ई-वे बिल सिस्टम लागू करने की तारीख आगे बढ़ा दी, तब कुछ दिन बाद एक्सपोर्टर्स ने उससे पूछा कि क्या माल को इनलैंड कंटेनर डिपो से निकालकर पोर्ट्स पर ले जाने पर कस्टम्स क्लियरंस में कुछ छूट मिलेगी जैसा इंपोर्ट में होता है। इंपोर्ट में सामान पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स, एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स और लैंड कस्टम्स स्टेशन से निकलकर इनलैंड कंटेनर डिपो या कंटेनर फ्रेट स्टेशन पर जाता है तो उन पर खास तरह की छूट मिलती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा, 'एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इस पर विचार किया जाना चाहिए।'


मैन्युफैक्चरर्स से माल लेकर अपनी फर्म के नाम से एक्सपोर्ट करने वाले मर्चेंट एक्सपोर्टर्स ने उस स्थिति में ई- वे बिल के नंबर को लेकर उलझन होने की बात कही थी जिसमें सप्लायर उनसे मिले ऑर्डर को सीधे पोर्ट पर भेज देता है। इस पर उनका सवाल यह था कि क्या ऐसी स्थिति में एक बायर के नाम सप्लायर का बिल और एक्सपोर्टर के नाम बायर के दो अलग अलग बिल की जरूरत होगी या फिर डेस्टिनेशन पोर्ट पर भेजा गया एक ई वे बिल ही काफी होगा।


माल की डिटेल

जीएसटी नियमों में इलेक्ट्रॉनिक वे यानी ई-वे बिल ऐसा डॉक्युमेंट है, जिसको 50000 रुपये से ज्यादा के कंसाइनमेंट का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद राज्य के भीतर या बाहर ढुलाई के दौरान उसके साथ चल रहे शख्स को अपने साथ रखना होगा। ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए सप्लायर और ट्रांसपोर्टर दोनों को माल की डिटेल जीएसटी नेटवर्क पोर्टल पर अपलोड करना होगा जिसके बाद कॉमन पोर्ट पर सप्लायर, रिसिपिएंट और ट्रांसपॉर्टर तीनों के नाम ई-वे बिल जारी होगा।


फियो ने फाइनैंस मिनिस्ट्री को भेजे खत में लिखा है, 'हम चाहते हैं कि इन मसलों पर स्पष्टीकरण जारी किया जाए ताकि एक्सपोर्टर्स को बाद में दिक्कत नहीं हो।' फियो ने यह भी पूछा है कि अगर बिना समुद्री सीमा वाले देशों को एक्सपोर्ट होता है और उसी ट्रांसपॉर्ट से सामान दूसरे देश में भेजा जाता है तो ई-वे बिल की जरूरत कस्टम्स बॉर्डर तक होगी या उसके आगे भी उसका काम पड़ेगा।

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