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रोटोमैक की कहानी खत्म, अब बंद होने जा रही है कंपनी:

10 March 2018 | 11.50 AM

मुंबई:  देश के बैंकों ने शुक्रवार को एक ठोस मिसाल पेश करते हुए धोखाधड़ी के आरोपी संस्थान मालिकों को टर्नअराउंड प्लान्स में भागीदारी से रोक दिया। बैंकों ने पहली बार दो रोटोमैक ग्रुप कंपनियों को डेट रीकास्ट प्रोग्राम में 90 दिनों का एक्सटेंशन देने से इनकार कर दिया। ये दोनों कंपनियों पर बैंकों का 4,000 करोड़ रुपये बकाया है।


बैंकरप्ट्सी कोर्ट बैंक धोखाधड़ी के आरोपी विक्रम कोठारी की कंपनियों, रोटोमैक एक्सपोर्ट्स और रोटोमैक ग्लोबल की नीलामी करेगा क्योंकि अब तक किसी रेजल्युशन प्लान की गुंजाइश दिख नहीं रही। 180 दिनों की शुरुआती समयसीमा 19 मार्च को खत्म होने जा रही है। इन्सॉल्वंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड के प्रावधानों के मुताबिक, शुरुआती समयसीमा खत्म होने के बाद भी रिवाइवल प्लान के लिए आम तौर पर 90 दिन और दे दिए जाते हैं।


रोटोमैक की दोनों कंपनियों के रेजल्युशन प्रफेशनल अनिल गोयल ने बैंकरों के इस असामान्य कदम की पुष्टि की। गोयल ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, 'कर्जदाताओं ने समयसीमा बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी।' उन्होंने प्रपोजल्स ऑन ऑफर की कुछ खास जानकारी नहीं दी।


शुक्रवार को कर्जदाताओं की समिति समयसीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर मतदान के लिए जुटी थी। मामले से वाकिफ एक अधिकारी ने बताया कि वे अपने फैसले पर करीब-करीब एकमत थे।


एक सप्ताह पहले सीबीआई ने रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी और उसके बेटे राहुल कोठारी को कथित लोन डिफॉल्ट केस में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई के अधिकारियों ने कहा कि विक्रम कोठारी और उसके बेटे को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन जांच में सहयोग नहीं करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने मिलकर रोटोमैक ग्रुप की दो कंपनियों को 4,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। कलम बनाने के अलावा रोटोमैक एक देश से दूसरे देश में सामानों का आयात-निर्यात करती है।


एक बैंकिंग सूत्र ने ईटी को बताया था कि एनसीएलटी मे मामला जाने के छह महीने में भी कोई विश्वसनीय समाधा योजना (क्रेडिबल रेजल्युशन प्लान) तैयार नहीं की गई और शुरुआती दौर में दिलचस्पी दिखानेवाली कंपनी ने प्रस्ताव पर कदम नहीं बढ़ाया। रोटोमैक प्रमोटर की संपत्तियों में कलम बनानेवाले कुछ प्लांट्स और कर्ज लेते वक्त सिक्यॉरिटी के तौर पर रखी गई कुछ संपत्तियां हैं।

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