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सावधान! होम बायर्स 'अश्योर्ड रिटर्न' स्कीम के बहकावे में न आएं

24 April 2019 | 11.45 AM

नई दिल्ली 'अश्योर्ड रिटर्न' एक ऐसा पॉप्युलर टर्म है जिसका इस्तेमाल ग्राहकों को लुभाने के लिए कमर्शल और रेजिडेंशल रियल ऐस्टेट प्रॉजेक्ट्स में सबसे ज्यादा किया जाता है। कई डिवेलपर्स अपने रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स पर 'अश्योर्ड रिटर्न' का वादा करते हैं। पजेशन मिलने तक ग्राहकों को 12-18 प्रतिशत रिटर्न मिलने का ऑफर दिया जाता है। इस तरह के विज्ञापनों के जरिए लोगों को उनका पैसा अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट्स में निवेश करने के लिए लुभाया जाता है। बाजार में इस तरह की स्कीमों को अलग-अलग नामों से पेश किया जाता है।

ये हैं खतरे

सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने पहले ही 'अश्योर्ड रिटर्न्स' को गैरकानूनी स्कीम घोषित कर रखा है। सेबी ने ग्राहकों को चेताया है कि जब भी आपको ऐसे अश्योर्ड रिटर्न्स ऑफर किए जाएं जो वास्तविक नही हैं, वहां अपना पैसा निवेश न करें। कई ग्राहकों ने पहले भी शिकायत की है कि या तो डिवेलपर उन्हें पैसे का भुगतान करना बंद कर देते हैं या फिर रेगुलर पेमेंट होने के कुछ महीनों बाद चेक बाउंस हो जाते हैं। कई बार तो प्रिंसिपल अमाउंट भी फंस जाता है और ग्राहक खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं।

क्या आपको 'अश्योर्ड रिटर्न्स' स्कीम में वाकई निवेश करना चाहिए?

कैबिनेट ने हाल ही में अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स बिल, 2018 को बैन करने वाले सुधार प्रस्ताव को अप्रूव किया है। इस कानून के जरिए अश्योर्ड रिटर्न्स स्कीम्स पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी और उन्हें 'पोंजी' स्कीम के तौर पर ट्रीट किया जाएगा। खरीददारों को अपनी मेहनत की कमाई को ऐसी स्कीम्स में पैसा इन्वेस्ट करने से पहले सावधान रहना चाहिए और अच्छी तरह पता कर लेना चाहिए। सिर्फ सेबी द्वारा अप्रूव की गई स्कीम्स ही सुरक्षित मानी जाती हैं और ग्राहकों को इन्वेस्ट करने से पहले हमेशा यह जांच लेना चाहिए।

रिटर्न्स की कोई गारंटी नहीं

सुप्रीम कोर्ट में वकील सुंदर खत्री का कहना है, 'अश्योर्ड रिटर्न्स स्कीम जोखिमभरी होती हैं। कुछ बिल्डर्स पैसा ले लेते हैं और एक फिक्स रेंटल का भरोसा देते हैं। जब वहां प्रॉपर्टी है ही नहीं तो रेंट का भुगतान वे कैसे कर सकते हैं? खरीदारों को ऐसी स्कीम्स के प्रति सजग होना चाहिए और अपने निवेश को खतरे में नहीं डालना चाहिए। सेबी ऐसी स्कीम्स को अप्रूव नहीं करता है और बिना अप्रूवल वाली स्कीम्स में ग्राहकों को अपना पैसा निवेश नहीं करना चाहिए।'

खत्री स्पष्ट करते हुए कहते हैं, 'लोग ऊंची ब्याज दर का फायदा लेने के लिए इस तरह की स्कीम्स में निवेश करते हैं। लेकिन अगर आपका प्रिंसिपल अमाउंट खतरे में हैं तो ऐसे रिटर्न्स की भी कोई गारंटी नहीं है। इस तरह की स्कीम्स के साथ ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले लोगों के खिलाफ कई FIR फाइल हो चुकीं हैं। आपको समझना चाहिए कि ऐसी स्कीम्स में प्रिंसिपल और ब्याज दोनों को खोने का बड़ी जोखिम है। RERA को इसी तरह के फर्जीवाड़े से ग्राहकों को बचाने के लिए लाया गया था। निवेश करने से पहले ऐसी स्कीम्स को हमेशा पहले वेरिफाई करें।'

बचने के कानूनी रास्ते

ऐसा कई बार पहले हो चुका है कि ग्राहकों ने ऐसी स्कीम्स इन्वेस्ट किया और उनके पैसे फंस गए। पैसे फंसने के बाद क्या किया जा सकता है? 'ऐसी स्कीम्स में फंसने वाले ग्राहक या तो NCLT में जाकर केस करें या फिर सिविल कोर्ट में जाएं और एक रिकवरी सूट फाइल करें। कई बार बिल्डर के जेल में होने के बावजूद खरीदार अपने पैसे वापस पाने में नाकामयाब रहते हैं। जब लौटाने के लिए पैसा ही न हो, तो आप कर क्या सकते हैं?'

RERA की सुरक्षा हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (H-RERA) ने कहा था कि वह ऐसे डिवेलपर्स को नोटिस जारी कर रही है जो लोगों को अपने रेजिडेंशल और कमर्शल प्रॉजेक्ट में लोगों को लुभाने की कोशिश और 'अश्योर्ड रिटर्न्स' का वादा कर रहे हैं। गुरुग्राम H-RERA के चेयरमैन केके खंडेलवाल ने कहा, 'हमने ऐसे डिवेलपर्स के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है जो रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स के नाम पर लोगों को 'अश्योर्ड रिटर्न्स' का वादा कर मूर्ख बना रहे हैं।' उन ऐजेंट्स को भी बुक किया जाएगा जो 'अश्योर्ड रिटर्न्स' के टैग के साथ प्रॉजेक्ट बेच रहे हैं।

खंडेलवाल ने आगे बताया, 'अगर कोई डिवेलपर यह कहकर अपने प्रॉजेक्ट को 'अश्योर्ड रिटर्न्स' के वादे के साथ बेचने की कोशिश करता है तो एजेंट्स को 'H-RERA' को इसकी जानकारी देनी चाहिए। अथॉरिटी शिकायत की जांच करेगी और अगर डिवेलपर को इसका दोषी पाया गया तो उसका रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया जाएगा।'

उम्मीद है कि अब आप यह जान गए होंगे कि अगर किसी बिलबोर्ड पर 'अश्योर्ड रिटर्न्स' स्कीम का विज्ञापन दिखे तो आपको क्या करने की जरूरत है।

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