• fulldetail

Budget 2019: जानिए मोदी के बजट में किसका हुआ फायदा ओर किसका हुआ नुकसान?

6 July 2019 | 12.04 PM

नई दिल्ली: मोदी सरकार के दूसरी पारी के पहले बजट में सरकार के सामाजिक क्षेत्र के खर्चों पर ध्यान केंद्रित करते हुए निवेश को बढ़ावा देने की मांग की गई है। बजट में किसानों और निम्न वर्ग के लिए काफी कुछ है, लेकिन उच्च वर्ग को इससे निराशा ही हाथ लगी है। वित्तं मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट भाषण में भारत के पहले वैश्विक सॉवरेन बॉन्डे को बेचने और विदेशी निवेशकों के लिए नियमों में ढील देने की योजना की घोषणा की, ताकि विपक्ष को सरकार पर हमला करने को कोई मौका ना मिले। हालांकि, इस बजट से कुछ लोगों को फायदा होने जा रहा है, तो कुछ क्षेत्रों के लोगों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

बजट से इन्हें हुआ फायदा...

विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने पर विचार

सीतारमण ने कहा कि सरकार विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने पर विचार करेगी। वहीं, एयर इंडिया लिमिटेड को बेचने की एक और योजना की घोषणा करने के अलावा, सरकार ने विमान वित्तपोषण और पट्टे पर देने की योजना की भी घोषणा की। इससे एयर इंडिया लिमिटेड, स्पाइसजेट लिमिटेड, इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड और टाटा एसआईए एयरलाइंस लिमिटेड को फायदा होगा।

पाइप लाइन के जरिए उपलब्ध कराने की योजना

साल 2024 तक भारतीय घरों में पाइप्ड पानी उपलब्ध कराने की योजना है। इसके साथ ही जल विद्युत मंत्रालय के तहत देश के बिखरे जल प्रशासन को समेकित करके देश के संसाधनों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना भारत की बढ़ती कमी की गंभीरता को रेखांकित करती है। इससे शक्ति पंप्स इंडिया लिमिटेड, जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड, केएसबी लिमिटेड, किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड, वीए टेक वबाग लिमिटेड, जेके एग्री जेनेटिक्स लिमिटेड, पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड लाभान्वित हो सकते हैं।

मॉडल किरायेदारी कानून

सीतारमण ने एक मॉडल टेनेंसी कानून (मॉडल किरायेदारी कानून) का वादा किया, जो बढ़ते शहरों में लाखों लोगों के लिए स्वागत योग्य कदम होगा, जहां 87.7 मिलियन नागरिकों के 2050 तक रहने की उम्मीद है। विशेष रूप से वित्तीय राजधानी मुंबई, जो एक ऐसा शहर है जहां उच्च संपत्ति की कीमतें कई लोगों को किराय पर रहने के लिए मजबूर करती हैं।

राज्य-संचालित बैंक को फायदा

700 बिलियन रुपये (10 बिलियन डॉलर) की पूंजी का उपयोग करने की योजना और शेडो बैंकों द्वारा उधार पर ऋण चूक पर आंशिक एक बार की गारंटी प्रदान करने के लिए राज्य द्वारा संचालित बैंकों की मदद की जा सकती है। वहीं डिफॉल्ट-प्रोन नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों पर भारतीय रिज़र्व बैंक की नियामक पकड़ को मजबूत करके उधार देने वालों को भारतीय स्टेट बैंक लिमिटेड, बैंक ऑफ़ बड़ौदा, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, बैंक ऑफ़ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक में मदद मिल सकती है।

रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र में आएगा बूम

सीतारमण ने 2022 तक 19.5 मिलियन ग्रामीण घरों के निर्माण का वादा किया है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर निरंतर ध्यान देना भी शामिल है। इसका सीधा फायदा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड, आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, ओबेरॉय रियल्टी लिमिटेड, प्रेस्टीज एस्टेट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और डीएलएफ लिमिटेड को मिलेगा।

इनका होगा घाटा...

ज्वैलर्स, गोल्ड इंपोर्टर्स को घाटा

निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए बताया कि सोना पर शुल्क बढ़ाकर 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। आयात कर में वृद्धि के कारण आभूषणों की घरेलू कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो सकती है। अगस्त से शुरू होने वाले त्यौहार और शादी के सीजन से पहले दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बाजार में खरीददारों के लिए गहने और भी महंगे होंगे। ज्वैलर्स ने वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के साथ करों में कटौती की मांग करते हुए कहा था कि कर में कटौती करने का एक मजबूत मामला था।

रक्षा बजट में नहीं हुई कोई बढ़ोतरी

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारतीय रक्षा खर्च फरवरी के अंतरिम बजट में किए गए आवंटन में कोई बदलाव नहीं करने के साथ 3.05 ट्रिलियन रुपये ($ 45 बिलियन) आंकी गई थी। हालांकि, यह 2.85 ट्रिलियन रुपये के पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों से अधिक है। आयातित सैन्य उपकरणों के लिए सीमा शुल्क में छूट केवल सीतारमण से प्राप्त सशस्त्र बलों को सांत्वना थी। रक्षा मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने एक व्यवस्था लागू की थी कि अब तीनों सेना प्रमुख 300 करोड़ रूपये तक की खरीद फरोख्त अपने स्तर से कर सकते हैं। उनको इसके लिए किसी तरह के एप्रुवल की जरूरत नहीं होगी। वो अपने हिसाब से सेना के लिए जरूरी उपकरण खरीद सकेंगे।

उच्च और मध्यम-आय वर्ग को नहीं कोई नुकसान

उच्च और मध्यम वर्ग के करदाताओं के कराहने का एक कारण है कि सीतारमण ने 20 लाख रुपये से अधिक आयवालों पर कर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। यही नहीं, भारत ने एक साल में 1 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर 2% कर लगाकर नकद भुगतान को हतोत्साहित करने की कोशिश की है। इसके अलावा, कर दाताओं को पेट्रोल और डीजल के प्रत्येक लीटर पर अतिरिक्त दो रुपये खर्च करने होंगे। यात्रा और खाद्य लागत में वृद्धि के रूप में मुद्रास्फीति पर इसका प्रभाव पड़ने वाला है।

वाहन के कलपुर्जे पर बढ़ा आयात शुल्‍क

भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करने की योजना से ऑटोपार्ट निर्माताओं की वृद्धि को चोट पहुंच सकती है। सरकार ने भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की योजना की घोषणा की और ईवीएस पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% कर दिया और सरकार ने ऑटो पार्ट्स पर बुनियादी सीमा शुल्क भी बढ़ा दिया है। यह इस क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियों को प्रभावित कर सकता है।

Comment Here