20 October 2018 | 12.21 PM
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने फीस को लेकर हो रही मनमानी पर लगाम लगाने के लिए मान्यता प्राप्त स्कूलों के लिए नए नियमों की घोषणा की है. नए नियमों के अनुसार, कोई भी स्कूल छात्रों से घोषित फीस के अलावा किसी अन्य नाम से कोई फीस नहीं वसूलेंगे. साथ ही स्कूलों को पहले ही अन्य फीस की जानकारी देनी होगी.
सीबीएसई ने स्कूल को मान्यता देने संबंधी अपने नियमों में बदलाव किया है. साथ ही अपनी भूमिका शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी तक सीमित करते हुए आधारभूत ढांचे के ऑडिट की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी है. अब मान्यता देने की प्रक्रिया पूरी तरीके से ऑनलाइन हो गई है, इसकी शुरुआत इसी सत्र से हो गई है.
अभिभावक की दिक्कतों व शिकायतों को दूर करने के लिए सीबीएसई ने एफिलीएशन के नए बायलॉज तैयार किए गए हैं. इस नए नियम के तहत स्कूल यूनिफार्म और किताबें निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे. स्कूल यदि इन नियमों का उल्लंघन करते हैं तो सीबीएसई उनकी मान्यता रद्द कर देगा.
स्कूलों को फीस में भी पूरी पारदर्शिता लानी होगी. इसके तहत स्कूल वेबसाइट और फॉर्म पर जो फीस बताई गई है उतनी ही फीस अभिभावकों को देनी होगी. स्कूल अब किसी भी तरीके का हिडन चार्ज यानि छुपा हुआ चार्ज अभिभावकों से नहीं वसूल पाएंगे.
बता दें कि देश भर में 20,783 स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं. इनमें कम से कम 1.9 करोड़ छात्र और 10 लाख से अधिक टीचर हैं. मान्यता देने से जुड़े उप कानून 1998 में बने थे और अंतिम बार 2012 में उनमें बदलाव किया गया था.