9 May 2019 | 1.23 PM
प्रॉपर्टी मार्केट में लंबे समय से सुस्ती का आलम है। ऐसे में रियल एस्टेट डिवेलपर 5 से 10 प्रतिशत तक डिस्काउंट देकर लोगों को लुभा रहे हैं। हालांकि अगर आप कुछ रिसर्च और भागदौड़ करें तो आप इससे ज्यादा डिस्काउंट पा सकते हैं। बैंक लोन बकाया रहने पर जिन प्रॉपर्टी को जब्त कर लेते हैं, उन्हें आमतौर पर बाजार भाव से 20-30 प्रतिशत कम दाम पर नीलामी के जरिए बेचा जाता है।
बैंक ऑक्शन के जरिए हालांकि डील हासिल करना कुछ टेढ़ा मामला है। सिक्योरिटाइजेशन ऐंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनैंशल ऐसेट्स ऐंड एन्फोर्समेंट ऑफ सिक्यॉरिटीज इंटरेस्ट ऐक्ट 2002 के अनुसार, बैंकों को अपने नुकसान की भरपाई के लिए 'रीपजेस्ड या स्ट्रेस्ड' प्रॉपर्टी की नीलामी का अधिकार होता है। बॉरोअर जब पेमेंट कई बार मिस कर देता है तो बैंक उससे जुड़ी प्रॉपर्टी को जब्त कर लेते हैं।
हालांकि ऐसी डील आसान नहीं होती। बैंक ऑक्शन में प्रॉपर्टी पहली बार मकान खरीदने जा रहे लोगों के लिए मुश्किल मामला हो सकता है। ऐसे बायर प्राय: तमाम नियमों और प्रक्रियाओं से वाकिफ नहीं होते हैं। इन नीलामियों में लोगों की भागीदारी भी प्राय: काफी ज्यादा होती है। काफी निवेशक और खरीदार ऐसी सार्वजनिक नीलामी का इंतजार करते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि बिडिंग प्रोसेस को किस तरह आसानी से पूरा किया जा सकता है और किस तरह आपकी जेब में इतनी रकम बच सकती है, जिससे आप प्रॉपर्टी का रेनोवेशन करा सकें।
हर तरह की लागत पर ध्यान दें
नीलामी में आने वाले अधिकतर प्रॉपर्टी के साथ कानूनी पचड़े जुड़े होते हैं। हो सकता है कि प्रॉपर्टी टैक्स या यूटिलिटी बिल या दूसरी कोई देय रकम बकाया हो। नीलामी के बाद बायर को ऐसा बकाया चुकाना होता है। लिहाजा बोली लगाते समय ऐसी लागत को भी ध्यान में रखें। इसका ध्यान नहीं रखेंगे तो असल लागत आपके अनुमान से कहीं ज्यादा हो सकती है।
प्रॉपर्टी का मूल्यांकन कराएं
यह पता लगाना संभव नहीं है कि नीलामी में अंतिम बोली कितने की होगी, लेकिन आप प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का अनुमान नीलामी से पहले लगा सकते हैं। नीलामी करने वाला बैंक एक बेस वैल्यू तय करता है। इसमें गाइडेंस वैल्यू (सरकारी नियमों के अनुसार), डीम्ड मार्केट वैल्यू और प्रॉपर्टी पर देनदारियों को ध्यान में रखते हुए बेस वैल्यू तय करता है।