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सरकार बदलेगी पॉलिसी, जल्द आप सुपरमार्केट से खरीद सकेंगे पेट्रोल-डीजल!

7 August 2019 | 11.58 AM

नई दिल्ली: सरकार फ्यूल मार्केटिंग के मामले में एक बड़े रिफॉर्म की योजना बना रही है। इसके जरिए सऊदी अरब की अरामको के अलावा टोटल और ट्रैफिग्युरा जैसी बड़ी विदेशी कंपनियों के साथ सुपरमार्केट चेन्स को इस आकर्षक कारोबार में उतरने की इजाजत दी जाएगी।

मामले से वाकिफ एक शख्स ने बताया कि ऑयल मिनिस्ट्री ने करीब दो दशक पुराने एक नियम को खत्म करने का कैबिनेट प्रपोजल बना लिया है। यह नियम केवल उन कंपनियों को पेट्रोल, डीजल और हवाई जहाज के ईंधन की मार्केटिंग करने की इजाजत देता है, जिन्होंने तेल की खोज, उसके उत्पादन, उसकी रिफाइनिंग, पाइपलाइन या टर्मिनल लगाने के लिए देश में 2000 करोड़ रुपये निवेश किए हों या जिन्होंने इतनी रकम निवेश करने का प्रस्ताव दिया हो।

मंत्रालय वित्त, वाणिज्य और कानून मंत्रालयों से इस प्रस्ताव पर सलाह ले रहा है। इस प्रस्ताव में एक सरकारी समिति की लगभग सभी अहम सिफारिशों को शामिल किया गया है। वह समिति मार्च में बनाई गई थी और उसे ट्रांसपॉर्ट फ्यूल मार्केटिंग का लाइसेंस देने की 2002 की गाइडलाइंस की समीक्षा करने का जिम्मा दिया गया था।

इस समिति ने मई के आखिरी दिनों में रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में लाइसेंस के लिए कंपनियों की ओर से मिनिमम इन्वेस्टमेंट की शर्त को हटाने की बात की गई थी। वहीं लाइसेंस चाहने वालों के लिए मिनिमम नेटवर्थ की शर्त जोड़ने पर बल दिया गया था। समिति ने यह सुझाव भी दिया था कि नॉन-ऑयल कंपनियों के लिए यह सेक्टर खोला जाए, पेट्रोल पंप लगाने के लिए टाइमलाइन बनाई जाए और इसका पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाया जाए। मिनिमम इन्वेस्टमेंट रूल भारत में तेजी से बढ़ते फ्यूल मार्केट में उतरने की चाहत रखने वाली विदेशी कंपनियों के लिए बड़ा बैरियर रहा है। पेट्रोल, डीजल और जेट फ्यूल की डिमांड 2018-19 में क्रमश: 8 प्रतिशत, 3 और 9 प्रतिशत बढ़ी थी।

सऊदी की अरामको, फ्रांस की टोटल और ऑयल ट्रेडर ट्रैफिग्युरा को लाइसेंस रूल में बदलाव का तुरंत फायदा हो सकता है। सूत्र ने बताया कि अरामको ने हाल में ऑयल मिनिस्ट्री को लिखा था कि वह भारत में फ्यूल रिटेलिंग करना चाहती है। उन्होंने बताया कि कंपनी ने औपचारिक आवेदन अभी नहीं दिया है और संभवत: वह नियम बदलने का इंतजार कर रही है।

अरामको के सीईओ अमीन एच नसीर ने पिछले साल कहा था कि भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग हब बनाए बिना अरामको फ्यूल रिटेलिंग में नहीं उतरेगी। कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिफाइनिंग यूनिट में स्टेक लेने के लिए उससे बातचीत कर रही है। वह सालाना 6 करोड़ टन क्षमता वाली प्रस्तावित रिफाइनरी में सरकारी कंपनियों के साथ साझेदारी भी कर रही है।

पिछले साल भारत ने ट्रैफिग्युरा को फ्यूल मार्केटिंग लाइसेंस देने से इस आधार पर मना कर दिया था कि 2017 में गुजरात की एक रिफाइनरी में स्टेक खरीदने भर से वह इस लाइसेंस की हकदार नहीं हो गई है। फ्रांस की टोटल ने भारत में एनर्जी बिजनस के लिए अडानी से पार्टनरशिप की है, लेकिन उसने मार्केटिंग लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया है।

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