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आज से शुरू होगी RBI की बड़ी बैठक, अगर लिया गया ये फैसला तो आपके बचेंगे पैसे

2 December 2019 | 1.04 PM

नई दिल्ली: इकॉनमी को रफ्तार देने के लिए RBI (Reserve Bank of India) नीतिगत दर (Policy Rates) में लगातार छठवीं बार कटौती कर सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक आज 2 दिसंबर से होगी. इस तीन दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी 5 दिसंबर को दी जाएगी. विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट के कारण आर्थिक वृद्धि दर (Growth Rate) घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है. यह आर्थिक वृद्धि का छह साल से अधिक का न्यूनतम आंकड़ा है. केंद्रीय बैंक 2019 में अब तक पांच बार नीतिगत दर में कटौती कर चुका है. अगर ऐसा होता है तो आपकी लोन EMI कम हो जाएगी.

क्यों हो सकती है नीतिगत दरों में कटौती

सुस्त पड़ती वृद्धि को रफ्तार देने और वित्तीय प्रणाली (Financial System) में धन उपलब्धता की स्थिति को बढ़ाने के लिए नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कमी की गई है. इस समय रेपो दर 5.15 प्रतिशत है. एक बैंकर ने पहचान उजागर नहीं करते हुए बताया कि आरबीआई गवर्नर (Shaktikanta Das) ने पिछले दिनों कहा था कि जब तक आर्थिक वृद्धि में सुधार नहीं होता तब तक ब्याज दरों में कटौती की जाएगी.


3 दिसंबर से शुरू होगी बैठक

इससे इस बात की संभावना है कि तीन दिसंबर से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर घटाई जा सकती है. आईएचएस मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया प्रशांत) राजीव विश्वास ने कहा, आरबीआई ने अक्टूबर में दरों में कटौती के साथ मौद्रिक नीति को उदार बनाये रखने का फैसला किया था. इस स्थिति में आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती बनी रहने से नीतिगत दर में कटौती की संभावना है.'

क्यों है नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि मुद्रास्फीति नीचे बनी हुई है और अर्थव्यवस्था की क्षमता को देखते हुए इसके नीचे ही बने रहने की उम्मीद है. इसलिए आरबीआई के पास नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश बनी हुई है.'

4 फीसदी के स्तर तक गिर सकती है जीडीपी दर

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, 'हमें आशंका है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बेहतर वृद्धि देखने को नहीं मिले. त्योहारी महीना होने के बावजूद प्रमुख सूचकांकों में अक्टूबर में गिरावट का रुख रहा. हमें लगता है कि आर्थिक वृद्धि दर तीसरी तिमाही में घटकर 4 प्रतिशत के करीब आ सकती है.'

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