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इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भर पाए तो अब यह है ऑप्शन:

4 Sept. 2018 | 12.27 PM

नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की बढ़ी हुई मियाद खत्म हो गई है। टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बार आईटीआरफाइल करने की तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी थी। अगर आप कल तक रिटर्न फाइल नहीं कर सके थे, तो भी मौका है। बस याद रहे कि इस वर्ष से देर से रिटर्न फाइल करने का नियम बदल गया है। फाइनैंस ऐक्ट, 2017 में हुए संशोधन के मुताबिक, अब देर से रिटर्न (बिलेटेड रिटर्न) फाइल करने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है। आइए जानते हैं, डेडलाइन मिस करने के बाद आईटीआर कैसे फाइल कर सकते हैं...


कब तक भर सकते हैं रिटर्न?


ध्यान रहे कि देर से रिटर्न फाइल करने की भी समयसीमा निर्धारित है। जुर्माने के साथ भी संबंधित आकलन वर्ष के आखिर या टैक्स अधिकारियों की ओर से आकलन का काम पूरा हो जाने से पहले, इनमें जो पहले हो, उसी समयसीमा में रिटर्न फाइल करना होगा। यानी, आप वित्त वर्ष 2017-18 का बिलेटेड रिटर्न संबंधित आकलन वर्ष 2018-19 के आखिर यानी 31 मार्च, 2019 तक ही फाइल कर सकते हैं।


कौन सा फॉर्म?


देर से रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया समय पर फाइल करने जैसी ही है। खास बात यह है कि रिटर्न फाइल करते वक्त जब फॉर्म सिलेक्ट करें तो 'रिटर्न फाइल अंडर 139(4)' चुनें। अगर आप वित्त वर्ष 2016-17 का बिलेटेड रिटर्न फाइल करना चाहते हैं तो भी आपको वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अधिसूचित (नोटिफाइड) उचित आईटीआर ही भरना होगा, न कि पहले का।


रिटर्न वेरिफिकेशन की डेडलाइन


इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना आधा काम है। बाद में इसे वेरिफाइ भी करना होता है। मौजूदा नियम के मुताबिक रिटर्न को फाइल करने के 120 दिनों के भीतर आईटीआर वेरिफाइ करना जरूरी है।


क्या रिवाइज हो सकता है बिलेटेड रिटर्न?


हां, सेक्शन 139(4) के तहत वित्त वर्ष 2016-17 और उसके बाद के बिलेटेड रिटर्न में संशोधन किए जा सकते हैं। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष का बिलेटेड रिटर्न रिवाइज नहीं किया जा सकता क्योंकि वित्त वर्ष 2016-17 से आयकर कानून बदल गया है। यानी, अगर आपको वित्त वर्ष 2017-18 का बिलेटेड रिटर्न रिवाइज करना है तो आप यह काम आईटीआर प्रोसेस हो जाने से पहले कर सकते हैं। अगर आपका आईटीआर प्रोसेस होने में देरी हो रही है तो आपका आईटीआर 31 अगस्त, 2019 तक प्रोसेस नहीं हो, तो आप इस तारीख तक रिटर्न रिवाइज कर सकते हैं, उसके बाद नहीं।


जुर्माना


पिछले असेसमेंट इयर 2017-18 तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में देरी होने पर कोई जुर्माना नहीं था। इस साल जुर्माने का नियम शुरू किया गया है। इनकम टैक्स ऐक्ट में सरकार ने एक नया सेक्शन 234F डाल दिया है। इस सेक्शन के मुताबिक, आखिरी तारीख के बाद इनकम टैक्स फाइल करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। टैक्स पार्टनर अमरपाल चड्ढा के मुताबिक फाइनैंस ऐक्ट 2017 में बदलाव के बाद अगर वित्त वर्ष 2017-18 का ITR 31 अगस्त 2018 के बाद और 31 दिसंबर से पहले फाइल किया जाता है तो 5,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। वहीं, एक जनवरी के बाद फाइल करने पर 10,000 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। अगर करदाता की आय 5 लाख से कम है तो जुर्माना की रकम 1,000 रुपये से कम रहेगी।


सेक्शन 234A के तहत ब्याज पर लेवी


अगर आपने देर से रिटर्न फाइल किया और आप पर टैक्स की देनदारी भी बनती है तो आपको टैक्स की रकम पर ब्याज भी देना पड़ेगा। लेकिन, अगर आप पर कोई टैक्स नहीं बनता है तो देर से रिटर्न फाइल करने पर भी कोई ब्याज नहीं देना होगा। अगर टैक्स डिपार्टमेंट आकलन के बाद अतिरिक्त टैक्स की मांग करता है तो भी ब्याज के साथ यह टैक्स चुकाना होगा।


पिछले नुकसान पर क्लेम नहीं कर पाएंगे डिडक्शन


इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, बिलेटेड रिटर्न फाइल करते वक्त हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान के अलावा किसी भी तरह का नुकसान कैरी-फॉरवर्ड नहीं कर सकते हैं। यानी, बिजनस या प्रफेशन, कैपिटल गेंस और अन्य स्रोतों से हुई आमदनी में नुकसान पर बिलेटेड रिटर्न में टैक्स डिडक्शन का क्लेम नहीं किया जा सकता है, भले ही इन सभी आय पर टैक्स समय से ही क्यों न कटे हों।

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