24 October 2018 | 2.45 PM
नई दिल्ली: भारतीयों का सोने के साथ खास रिश्ता रहा है. इसे न केवल शादी-ब्याह और रिटायरमेंट जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों के लिए बचत की तरह इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि यह जूलरी के लिए भी सबसे पसंदीदा धातु है. यही नहीं, त्योहारों खासकर धनतेरस और दिवाली पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है. कहते हैं इस मौके पर किया गया निवेश कई गुना बढ़ जाता है. अगर आप भी इस मौके पर सोना खरीदने जा रहे हैं तो टैक्स के नियम जान लें. कारण है कि ज्यादातर लोगों को यह तो पता होता है कि सोना खरीदने पर हमें टैक्स चुकाना पड़ता है. लेकिन, यह पता नहीं होता कि बेचने पर भी हमें टैक्स देना पड़ता है.
सोना खरीदने पर ऐसे लगता है टैक्स
कैश या डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए सोना खरीदा जा सकता है. जीएसटी लागू होने के बाद सोना खरीदने पर ग्राहक को जूलरी के मूल्य पर 3 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. इसमें मेकिंग चार्ज शामिल हैं.
सोना बेचने पर टैक्स
सोना बेचने पर लगने वाला टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि आपने इसे कितने समय तक अपने पास रखा है. इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के आधार पर टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी)
अगर आप जूलरी खरीदने के 36 महीने के अंदर उसे बेच देते हैं तो इसके बढ़े मूल्य पर आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा. आपको हुआ फायदा आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा. फिर, आप जिस टैक्स-स्लैब में आते हैं, उसके हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी)
अगर सोना खरीदकर आपने उसे तीन साल से ज्यादा अवधि तक रखा है तो आपको इसके बढ़े हुए मूल्य पर लॉन्ग कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा. वित्त वर्ष 2017-18 तक सोने की खरीद मूल्य पर इंडेक्सेशन लागू करने के बाद 20.6 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस लगता था. वित्त वर्ष 2018-19 से गेंस पर 20.8 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.