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इस साल ITR-1 में सैलरी डीटेल भरना होगा आसान, करदाताओं को मिली सुविधा...

20 April 2019 | 12.07 PM

नई दिल्ली: सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जारी किए गए ITR-1 फॉर्म में अब सैलरी डीटेल भरना पहले से आसान हो गया है। इस बार आईटीआर-1 में सैलरी डीटेल को बस कॉपी-पेस्ट करना होगा जो पहले से फॉर्म-16 में उपलब्ध है। बता दें कि पिछले वर्ष तक आईटीआर-1 में सैलरी डीटेल्स को अलग से भरने की जरूरत होती थी।

इस साल आईटीआर-1 को फॉर्म-16 के साथ सिंक कर दिया गया है ताकि टैक्सपेयर्स को डीटेल्स भरने में आसानी हो सके। पिछले साल, जिस फॉर्मेट में सैलरी के ब्रेकअप को भरने की जरूरत होती थी, वह फॉर्म-16 के साथ सिंक नहीं था जिससे टैक्सपेयर्स को अपनी डीटेल्स भरने में मुश्किल होती थी।

गौर करने वाली बात है कि सैलरी पाने वालों के लिए फॉर्म-16 एक अहम दस्तावेज है। कंपनी द्वारा जारी किया गया यह एक टीडीएस सर्टिफिकेट होता है, जिसमें एक वित्त वर्ष में आपको दी गई सैलरी का कुल अमाउंट की जानकारी और सैलरी से डिडक्ट हुआ टैक्स व आपके पैन पर सरकार के पास जमा हुआ टैक्स शामिल रहता है।

फॉर्म-16 दो हिस्सों में होता है-पार्ट A और पार्ट B। फॉर्म-16 के पार्ट A में आपकी कंपनी द्वारा काटे गए कुल टैक्स और सरकार के पास जमा हुए कुल टैक्स की जानकारी रहती है। इससे कर्मचारी को टैक्स कटने की अवधि का पता चलता है। इसके अलावा हर तिमाही में टीडीएस कटने और सरकार के पास जमा होने की जानकारी और आपकी कंपनी के पैन व टैन की जानकारी होती है। पार्ट B में डीटेल्ड सैलरी ब्रेकअप, आपके द्वारा सेक्शन 80C से 80U और 89 के तहत आपके द्वारा किया गया टैक्स छूट का दावा शामिल रहता है।

चार्टेड अकाउंटैंट नवीन वाधवा का कहना है, 'कोई भी वेतनभोगी व्यक्ति अपनी कंपनी द्वारा जारी किए गए फॉर्म-16 (सैलरी के लिए टीडीएस सर्टिफिकेट) के आधार पर अपना रिटर्न फाइल करता है। फॉर्म 16 में किसी टैक्सपेयर की सैलरी इनकम की पूरी जानकारी और टैक्स डिडक्शन शामिल होता है। हालांकि, अलाउंस की बात करें तो फॉर्म 16 में सिर्फ छूट वाला हिस्सा शामिल होता है न कि टैक्सेबल पार्ट। पिछले साल आए आईटीआर फॉर्म में टैक्सेबल अलाउंस की जानकारी देना जरूरी था, लेकिन फॉर्म 16 में ऐसी कोई जानकारी नहीं होती। इसी वजह से वेतनभोगी व्यक्तियों को अलाउंस के टैक्सेबल हिस्से की जानकारी देना मुश्किल हो रहा था।'

पिछले साल के आईटीआर-1 में टैक्सपेयर्स को पांच स्टेप्स में अपनी जानकारी देनी थी- सैलरी (अलाउंस, अतिरिक्त सुविधाएं और फायदे छोड़कर), जिन अलाउंस पर छूट नहीं मिलती, अतिरिक्त सुविधाओं की वैल्यू, सैलरी के अलावा होने वाले फायदे, सेक्शन 16 के तहत छूट। यह जानकारी फॉर्म-16 में दी गई जानकारी के साथ सिंक नहीं की गई थी। इसीलिए टैक्सपेयर्स को हर महीने आने वाली सैलरी स्लिप और फॉर्म-16 इकट्ठी करने होते थे और फिर आईटीआर-1 में सभी जानकारी भरनी होती थी।

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