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वित्तीय कंपनियां: रीयल्टी कारोबारियों को फ्लैट बेचने में हर संभव मदद कर रही हैं

5 April 2018 | 12.45 PM

मुंबई: गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और मकान के एवज में कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान रीयल्टी कारोबारियों को उनके तैयार मकानों को बेचने में मदद करने के हर हथकंडे अपना रहे हैं ताकि उनका पैसा सुरक्षित रह सके। रीयल्टी क्षेत्र अभी भी नोटबंदी, रेरा और जीएसटीजैसे आर्थिक सुधारों से हुए जख्म से उबरने की कोशिश में लगा है।


रीयल्टी क्षेत्र में एनबीएफसी और मकान के एवज में कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों का काफी कर्ज है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार रीयल्टी क्षेत्र के कुल 4000 अरब रुपये के ऋण में एनबीएफसी और संपत्ति बंधक वित्तीय संस्थानों का कर्ज हिस्सा 2200 अरब रुपये है। यह वाणिज्यिक बैंकों के 1800 अरब रुपये की तुलना में काफी अधिक है।


इन्हें डर है कि 5 लाख से अधिक तैयारफ्लैटों के नहीं बिक पाने और मांग के बेहद कम होने के कारण रीयल्टी कारोबारियों के दिवालिया होने की आशंकाएं अधिक हैं। इससे निकट भविष्य में उनकी संपत्तियों के अनुत्पादक होने का जोखिम भी बढ़ जाएगा।


रीयल्टी क्षेत्र में परामर्श देने वाली कंपनी एसआईएलए के प्रबंध निदेशक और संस्थापक साहिल वोरा ने कहा, 'छोटे और मध्यम रीयल्टी कारोबारियों को ऋण देने वाले एनबीएनफसी गंभीरता से वसूली करेंगे। हमारा मानना है कि ये एनबीएफसीका रियल्टी क्षेत्र से जुड़ी गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में 2018 में वृद्धि होगी। ये ऋणदाता छोटी रीयल्टी कंपनियों पर इस बात का दबाव भी डाल सकती हैं कि वे बड़ी रीयल्टी कंपनियों में अपना विलय करें।'


रीयल्टी संबंधी परामर्श देने वाली कंपनी जेएलएल की एक रिपोर्ट के मुताबिक2017 के अंत तक प्रमुख शहरों में करीब4.40 लाख आवासीय इकाइयां बिना बिके तैयार थीं।

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