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निर्यातकों को आसानी से मिलेगा GST रिफंड!

21 September 2018 | 11.38 AM

नई दिल्ली: सरकार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत निर्यातकों के लिए टैक्स रिफंड फ्रेमवर्क पर नए सिरे से विचार कर रही है ताकि उन्हें रिफंड जल्द दिलाया जा सके। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले हफ्ते निर्यात बढ़ाने के उपाय करने का वादा किया थी। उस वादे के मद्देनजर रिफंड फ्रेमवर्क पर गौर किया जा रहा है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स इस सप्ताहांत तक इनमें से कुछ कदमों का ऐलान कर सकता है।

जीएसटी रिफंड को लेकर निर्यातक शिकायत करते रहे हैं। उनका दावा है कि इससे उनके बिजनेस पर असर पड़ा है और वर्किंग कैपिटल कॉस्ट बढ़ गई है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'कुछ उपायों पर विचार किया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ की घोषणा सप्ताहांत तक हो सकती है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स ने निर्यातकों के लिए रिफंड आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन कुछ मसले बने हुए हैं। उसने इन मुद्दों पर इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ विस्तार से चर्चा की है।

सरकार अब सभी प्रोसिजर्स पर विचार कर रही है। इसके साथ ही वह केंद्र और राज्यों के स्तर पर नियमों के अमल में आने वाले उन मसलों पर भी गौर कर रही है, जिनसे निर्यातक प्रभावित हो रहे हैं।

सरकार प्रक्रिया में कुछ ढील देने पर विचार कर सकती है जिससे रिफंड में आसानी हो। पिछली तारीखों से छूट वाले कुछ नोटिफिकेशंस के तहत आयात किए जाने वाले इनपुट्स पर लगाए गए प्रतिबंधों पर भी नजर है। सरकार केवल उन एक्सपोर्ट्स के लिए रिफंड पर अंकुश लगाने पर विचार कर सकती है, जिनमें कुछ एग्जेम्पशन वाले नोटिफिकेशंस के तहत आयात किए गए इनपुट्स का उपयोग किया जाता हो।

इंडस्ट्री के अनुसार, ज्यादा परेशानी राज्यों के टैक्स अथॉरिटीज के चलते हो रही है क्योंकि उन्हें कुछ निर्यात योजनाओं की जानकारी ही नहीं है। राज्यों के अधिकारी अलग दस्तावेज मांगते हैं और केंद्र से स्वीकृत दस्तावेज पाने पर भी रिफंड रोक देते हैं। यह मामला खासतौर से सर्विसेज एक्सपोर्ट्स के साथ है।

कभी-कभी अधिकारियों के ज्यूरिसडिक्शन में बदलाव जैसे मामूली मसलों से भी रिफंड खारिज कर दिए जाते हैं। जीएसटीएन पोर्टल पर आने वाले ज्यूरिसडिक्शन ऑफिस डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड में दर्ज असल ज्यूरिसडिक्शन से अलग भी हो सकते हैं और इसके चलते पेच फंस जाता है, जबकि CBIC ने निर्देश दिया है कि इस मसले के चलते रिफंड नहीं अटकना चाहिए।

सरकार निर्यातकों को रिकंसीलिएशन मैकेनिज्म देने पर विचार कर सकती है ताकि यह समझा जा सके कि किस क्लेम पर उन्हें इंटीग्रेटेड जीएसटी रिबेट क्लेम के लिए रिफंड एमाउंट मिला।

विशेषज्ञों का कहना है कि रिफंड के मामले पर सरकार को कोई नया तरीका बनाना चाहिए। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के डायरेक्टर जनरल और सीईओे अजय सहाय ने कहा, 'इंटीग्रेटेड जीएसटी रिफंड का मामला काफी हद तक सुलझ गया है। इसमें दिक्कत केवल इंटरनल कंटेनर डिपो के लिए रह गई है। हालांकि इनपुट टैक्स क्रेडिट डिमांड का मसला बना हुआ है। सरकार को इस पर तेजी से काम करना चाहिए।'

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