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जानिए एंजल टैक्स क्या है और यह किन पर होता है लागू...

24 December 2018 | 3.15 PM

सालों पहले मिले एंजल निवेश को लेकर कई स्टार्टअप्स को टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिला है और इसके बाद एक बार फिर 'एंजल टैक्स' सुर्खियों में है। सरकार ने ऐलान किया है कि एंजल टैक्स के मुद्दे पर अभी स्टार्टअप कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। सरकार ने इसको लेकर एक कमिटी बनाने की घोषणा की है।

क्या है एंजल टैक्स?

यदि कोई अनलिस्टेड कंपनी फेयर मार्केट वैल्यू से ज्यादा रेट पर शेयर इशू करती है तो कंपनी को इशू के लिए फेयर मार्केट वैल्यू से जितनी ज्यादा रकम मिलती है, उसे दूसरे सोर्स से हासिल इनकम माना जाएगी और उसी हिसाब से एंजल टैक्स लगता है। इसे 'एंजल टैक्स' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह स्टार्टअप्स में एंजल निवेश को प्रभावित करता है। ये निवेशक उद्यमियों को नए उद्यम के शुरुआती दौर में पूंजी मुहैया कराते हैं।

क्यों लगाया गया यह टैक्स

इस टैक्स का प्रावधान पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने 2012 के बजट में लागू किया था ताकि पैसे की हेरफेर पर लगाम कसी जा सके। दरअसल अनलिस्टेड और अनजान सी कंपनियों में निवेश के जरिए काले धन को सफेद करने के खेल की जानकारी मिलने पर यह कदम उठाया गया था।

क्या इस टैक्स से छूट हासिल है?

सरकार ने इसी साल अप्रैल में एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इनकम टैक्स ऐक्ट की धारा 56 के तहत एंजेल इन्वेस्टर के कंट्रीब्यूशन सहित 10 करोड़ रुपये तक के कुल निवेश वाली स्टार्टअप्स को टैक्स में छूट की इजाजत दी थी। स्टार्टअप में स्टेक लेने के इच्छुक एंजेल इन्वेस्टर की न्यूनतम नेटवर्थ दो करोड़ रुपये या पिछले तीन वित्तीय वर्ष में 25 लाख रुपये से ज्यादा एवरेज रिटर्न्ड इनकम होनी चाहिए।

क्या है ताजा विवाद?

हाल ही में मुंबई और बेंगलुरु की कुछ स्टार्टअप्स को टैक्स विभाग से नोटिस मिले हैं। स्टार्टअप्स का विरोध सामने आने के बाद कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने ट्वीट किया था कि उनकी मिनिस्ट्री ने यह मुद्दा फाइनैंस मिनिस्ट्री के सामने उठाया है। प्रभु का मंत्रालय ही स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम का प्रभारी है। इसके बाद सरकार ने स्टार्टअप और एंजल निवेशकों के सामने रही टैक्स संबंधी दिक्कतों पर गौर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्णय किया है।

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