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बाजारो के उथल-पुथल से घबराना नही चाहिए निवेशको को...

29 March 2019 | 11.36 AM

नई दिल्ली: इक्विटी से लंबी अवधि में दूसरी एसेट्स से बेहतर रिटर्न हासिल होगा, लिहाजा निवेशकों को वोलैटिलिटी से घबराना नहीं चाहिए और लाभ पाने के लिए निवेश बनाए रखना चाहिए। यह कहना है विनीत सांबरे का।

बाजार की मौजूदा स्थिति के बारे में आपकी क्या राय है?

पिछले कुछ हफ्तों में कई स्मॉल और मिड कैप शेयरों ने अपने निचले स्तरों से वापसी की है। कुछ लार्ज कैप शेयरों में भी पॉजिटिव मोमेंटम दिखा है। विदेशी संस्थागत निवेशक काफी पैसा लगा रहे हैं। ग्लोबल सेंटीमेंट पहले कमजोर था, जो अब संभलता दिख रहा है। चीन के प्रति अमेरिका का रुख नरम हुआ है। तमाम देशों में मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती के बजाय नरमी का रुझान दिख रहा है। इसी वजह से निवेश में बढ़ोतरी हो रही है। अभी चुनाव की चर्चा है। निवेशक इसके नतीजे के इंतजार में हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ बना रुझान पलट गया है।

आउटलुक कैसा दिख रहा है?

कोर फंडामेंटल्स या अर्निंग्स ग्रोथ से बात बनेगी। 2018-19 के पहले नौ महीनों में प्रॉफिटेबिलिटी में डबल डिजिट ग्रोथ रही है। साथ ही, कुछ सेक्टरों में नरमी भी दिखी है। ऑटोमोबाइल्स और एनबीएफसी के सामने कुछ चुनौतियां हैं। ये हालांकि अस्थायी हैं। चुनाव हो जाने पर फोकस फिर फंडामेंटल्स पर आएगा। मौजूदा उथल-पुथल को शेयरों में चुनिंदा तौर पर निवेश के मौके के रूप में देखा जाना चाहिए।

क्या मिड और स्मॉल कैप शेयरों में टर्नअराउंड सस्ते वैल्यूएशन के कारण आया है और यह फंडामेंटल्स पर आधारित नहीं है? स्मॉल और मिड कैप कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में दमदार रही है। फंडामेंटल्स में सुधार हुआ है। ऐसा नहीं है कि गिरावट से वैल्यूएशन आकर्षक हो जाने के कारण भाव चढ़े हैं। फंडामेंटल्स का भी योगदान रहा है। यह टर्नअराउंड तभी कायम रहेगा, जब कंपनियों का मुनाफा ठीकठाक बढ़ेगा।

क्या मिड और स्मॉल कैप्स में मौजूदा तेजी 2014 के चुनाव से पहले दिखी रैली की तरह है?

2014 से पहले ऊंची इंफ्लेशन और ज्यादा डेफिसिट के कारण परेशानी की स्थिति थी। अभी काफी बेहतर हालात हैं। मजबूत सरकार और रिफॉर्म्स के कारण इकनॉमिक ग्रोथ तेज होने की उम्मीद पर यह रैली आई। मोटे तौर पर ग्रोथ निराशाजनक रही है। ऐसा नीतियों के कारण नहीं, बल्कि बड़े रिफॉर्म्स के कारण हुआ है। जीएसटी जैसे रिफॉर्म्स से इकनॉमी को तालमेल बैठाने में समय लगता है। अब यहां से ग्रोथ की साफ राह दिखेगी।

क्या मिड और स्मॉल कैप्स में गिरावट के समय आपने इनमें निवेश रोकने पर विचार किया था?

वैल्यूएशन जब ऊंचे स्तरों पर थे, तो हमने डीएसपी स्मॉल कैप फंड में सब्सक्रिप्शंस रोक दिए थे। निवेशकों की गाढ़ी कमाई के प्रति हमारी फिड्यूसरी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। इनमें से किसी भी सेगमेंट में अगर बड़ी गिरावट आए और अवसर दिखें तो हम बढ़-चढ़कर पैसा जुटा सकते हैं। एसआईपी सब्सक्रिप्शन के लिए हमने फंड खोल दिया है, लेकिन एकमुश्त निवेश के लिए यह अब भी बंद है। हमारा मानना है कि निवेश करने लायक शेयरों में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। अगर निवेश लायक अच्छी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आए तो निवेशकों के लिए बढ़िया मौका बनेगा। हम अपने पोर्टफोलियो कंसॉलिडेट करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछड़ रहे शेयरों को हटा दिया गया है और दमदार शेयरों में एलोकेशन बढ़ाया गया है। मिड कैप फंड का आकार 65 शेयरों से घटकर 50 शेयरों पर आ गया है। इसी तरह स्मॉल कैप फंड में अब 88 के बजाय 75 शेयर हैं।

पिछले एक-दो साल में मिड कैप फंड्स में एसआईपी शुरू करने वाले कई लोगों के लिए नेगेटिव रिटर्न की स्थिति बन गई है। आप क्या सलाह दे रहे हैं?

इक्विटीज में निवेश का सफर ऐसा ही है। बाजार में तेजी होने पर निवेशक ज्यादा निवेश करते हैं और मार्केट डाउन होने पर पैसा निकालने लगते हैं। इक्विटी से लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिलता है। हमारे स्मॉल कैप फंड ने 2008-13 के बीच पांच वर्षों में रिटर्न जेनरेट नहीं किया था। हालांकि सालभर के भीतर ही इसने भरपाई कर ली। अगर निवेशकों ने एक साल इंतजार किया होता तो उन्हें पिछले पांच वर्षों का इनाम मिल गया होता। मुश्किल दौर में निवेशक का मिजाज बदलना नहीं चाहिए।

अच्छे स्मॉल कैप शेयर तलाशते वक्त आप किन चीजों को प्राथमिकता देते हैं?

यह कैटेगरी ऐसी है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। तो हमें यह ध्यान रखना होता है कि गलती कम से कम हो। इस सेगमेंट में चुनने जितनी ही अहम बात परे हटाने की है। हम भी मुश्किल में फंसे हैं, लेकिन सोच यही है कि ऐसा कम से कम हो। कुछ शेयरों में अपने निवेश पर हमें नुकसान हुआ, लेकिन अपने गहन विश्लेषण के जरिए हम कई अन्य से बचे भी रहे।

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