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लेन-देन के डिस्चार्ज के लिए दिया गया चेक बाउंस होने पर ही दर्ज होगा केस:

15 May 2019 | 11.14 AM

नई दिल्ली: डिजिटल होती दुनिया में पैसों का लेन-देन भी डिजिटल हो गया है। अब लोग नकद भुगतान करने की बजाय कार्ड या चेक से पेमेंट करने में ज्यादा सहूलियत महसूस करते हैं। हालांकि कई बार डिजिटल ट्रांजैक्शन भी फेल हो जाते हैं, चेक बाउंस हो जाते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील सुबोध पाठक ने बताया कि अगर आपको किसी भुगतान में मिला हुआ चेक बाउंस हो जाए, तो आपको क्या करना चाहिए।

क्या कहता है कानून

चेक बाउंस के लिए एक कानून है- नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881). इसके सेक्शन 138 के मुताबिक अगर कोई एडमिटिड लायबिलिटी (स्वीकार्य देनदारी) हो, और चेक को इस देनदारी के भुगतान के लिए जारी किया गया हो, तभी इस चेक के बाउंस होने पर यह कार्रवाई के दायरे में आएगा। यानी अगर आपको किसी के रुपए लौटाने हैं या कोई पेमेंट करना है, जिसे आपने स्वीकार किया है, उस मामले में चेक बाउंस होने पर नेगाेशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत आप पर केस दर्ज किया जा सकता है।

3 सूरत में चेक दिया जाता है-

-अगर किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से पैसा या सामान लिया, तो वह पैसा लौटाने या सामान की कीमत चुकाने के लिए चेक देगा।

-अगर किसी ने ट्रस्ट या एनजीओ को चेक के जरिए डोनेशन किया।

-किसी बिजनेस में सिक्योरिटी के तौर पर पैसा जमा कराने के लिए चेक जमा किया।

सिर्फ एक सूरत में दर्ज होगा मामला

अगर दो पार्टियों के बीच कोई लेन-देन या कोई बिजनेस हुआ हो और चेक उस लेन-देन के डिस्चार्ज के लिए इश्यू हुआ हो, तब उसके बाउंस होने पर सेक्शन 138 लागू होगा। मान लीजिए, किसी व्यक्ति ने अपने दोस्त की मदद करने के लिए उसे पैसा दिया और दोस्त ने वह पैसा वापस करने के लिए चेक दिया। अगर वह चेक बाउंस हो जाता है, तो इस मामले में सेक्शन 138 के तहत मामला दर्ज होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मदद के लिए दिया गया पैसा लोन यानी उधार माना जाता है। लोन के डिस्चार्ज के लिए अगर कोई चेक दिया जाता है और वह बाउंस हो जाता है, तो सेक्शन 138 लगता है।

सिक्योरिटी के तौर पर चेक जमा बाउंस होने पर नहीं होगी कार्रवाई

इसके तहत अगर आप कोई बिजनेस कर रहे हैं और आपने किसी व्यक्ति से सामान खरीदा, तो आपको उसके पास सिक्योरिटी के तौर पर कुछ रखना होगा। अगर सिक्योरिटी के तहत दिए इस चेक को दूसरी पार्टी ने इनकैश कराने की काेशिश की और चेक बाउंस हो गया, तो नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के सेक्शन 138 के तहत इस पर चेक बाउंसिंग का केस नहीं बनेगा।

इन मामलों में नहीं होगी कार्रवाई

-अगर चेक एडवांस के तौर पर दिया गया है।

-अगर चेक सिक्योरिटी के तौर पर दिया गया है।

-अगर चेक में नंबर और शब्दों में लिखा गया अमाउंट अलग-अलग है।

-अगर चेक किसी चैरिटेबल संस्था को गिफ्ट या डोनेशन के तौर पर दिया गया है।

-अगर चेक विकृत अवस्था में मिलता है।

क्या करें अगर चेक बाउंस हो जाए:

-मान लीजिए आपने अपने अकाउंट में 10 मई को चेक जमा कराया और 11 मई को आपके बैंक ने चेक बाउंस की सूचना आपको दी, तो इसके 30 दिन के अंदर (11 मई से 11 जून के बीच) आपको चेक देने वाली पार्टी को लीगल नोटिस भेजना होगा। इसमें आपको बताना होगा कि आपने अपनी देनदारी को खत्म करने के लिए जो चेक दिया था, वह मैंने बैंक में जमा कराया, लेकिन वह बाउंस हो गया। लिहाजा आप मुझे ब्याज सहित देय राशि लौटाएं।

-अगर आपने 21 मई को यह नोटिस भेजा, तो दूसरी पार्टी नोटिस मिलने के 15 दिनों के अंदर आपको पैसे लौटाने के लिए बाध्य है। नोटिस भी आपको रजिस्टर्ड पोस्ट से ही भेजना होगा, ताकि आप उसे ट्रैक कर सकें। इसे आपको कोर्ट में भी बताना पड़ता है, कि नोटिस उस पार्टी तक पहुंच गया है।

-अगर दूसरी पार्टी के पास 25 मई को नोटिस पहुंचता है, तो उस पार्टी को 10 जून तक आपके पैसे ब्याज सहित लौटाने होंगे।

-अगर दूसरी पार्टी ने इन 15 दिनों के अंदर (10 जून तक) पैसा नहीं लौटाया, तो आप एक महीने के अंदर-अंदर (10 जून से 10 जुलाई तक) मजिस्ट्रेट के सामने उस पार्टी के खिलाफ चेक बाउंस होने की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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