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बाजार को लेकर कन्फ्यूज हैं? तो इन शेयरों में करे निवेश:

16 May 2019 | 12.05 PM

शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव का माहौल बनता दिख रहा है। क्रूड ऑइल के दाम बढ़ने, रुपये के कमजोर होते जाने और इंडस्ट्रियल ग्रोथ घटने के साथ अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। मोदी सरकार की फाइनैंस मिनिस्ट्री की ही एक रिपोर्ट में सुस्ती का संकेत दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट कंजम्पशन कम होने, फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट की ग्रोथ सुस्त होने और निर्यात में कुछ खास बढ़ोतरी नहीं होने के कारण यह स्थिति बनती दिख रही है। इन सभी वजहों के साथ लोकसभा चुनाव के नतीजों से जुड़ी अनिश्चितता के कारण भी आने वाले महीनों में बाजार में उथलपुथल बढ़ सकती है। हालिया घटनाक्रम से ही बाजार नर्वस है और यह बात वोलैटिलिटी इंडेक्स वीआईएक्स में बढ़ोतरी के रूप में दिख रही है। मई के पहले हफ्ते में वीआईएक्स 27.8 पर चला गया था। इसका ऐसा स्तर चार साल पहले बना था।

ऐसी हालत में ऐसे शेयरों में निवेश करना सबसे अच्छा होगा जिनके फंडामेंटल्स अच्छे हैं और जिनके साथ मार्केट रिस्क कम है। किसी शेयर का मार्केट रिस्क बीटा के जरिए आंका जाता है। इससे पता चलता है कि इंडेक्स रिटर्न का कितना असर उस शेयर पर पड़ता है। एक से ज्यादा बीटा वाले शेयरों को अधिक वोलैटाइल माना जाता है क्योंकि जनरल मार्केट इंडेक्स के मुकाबले उनमें उतार-चढ़ाव ज्यादा तेज रहता है। दूसरी ओर एक से कम बीटा वैल्यू वाले शेयरों को कम वोलैटाइल माना जाता है क्योंकि जनरल मार्केट इंडेक्स के मुकाबले उनमें औसतन कम उतार-चढ़ाव रहता है।

हमने 500 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैप वाली 997 कंपनियों का विश्लेषण किया। बीएसई सेंसेक्स के मुकाबले उनके सालाना बीटा वैल्यू की गणना 24 अप्रैल 2014 से 24 अप्रैल 2015 और 24 अप्रैल 2018 से 24 अप्रैल 2019 की अवधि के लिए की गई। इस अध्ययन में उन्हीं शेयरों को शामिल किया गया, जिनकी बीटा वैल्यू इन सभी पांच वर्षों में 0.7 से कम थी। फिर इन शेयरों का मूल्यांकन उनके स्टैंडर्ड डेविएशन पर किया गया, जो टोटल रिस्क का एक पैमाना है। मई 2017 से मई 2018 तक के मुकाबले पिछले सालभर यानी मई 2018 से मई 2019 के बीच जिन शेयरों का स्टैंडर्ड डेविएशन 5 प्रतिशत से ज्यादा घटा, उन्हें ही अलग किया गया।

एक और फिल्टर इस रूप में लगाया गया कि उन शेयरों को छांटा गया जिनका ब्लूमबर्ग के अनुमान के अनुसार 12 महीनों का ब्लेंडेड फॉरवर्ड आरओई बीएसई सेंसेक्स के 12 महीनों के ब्लेंडेड फॉरवर्ड आरओई से ज्यादा था। दो और फिल्टर उन शेयरों को चुनने के लिए लगाए गए, जिन्हें ब्लूमबर्ग के कम-से-कम पांच ऐनालिस्ट कवर कर रहे हों और जिनके प्राइस अगले सालभर में 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ने की संभावना हो।

इन सभी पैमानों पर केवल नौ शेयर खरे उतरे। पांच साल यानी 6 मई 2014 से 6 मई 2019 के बीच इन शेयरों से औसत रिटर्न 134 प्रतिशत था। इसी दौरान बीएसई 500 ने 80.2 प्रतिशत रिटर्न दिया। फाइनैंशल्स के लिहाज से देखें तो दिसंबर तिमाही में इन शेयरों का कंसॉलिडेटेड अग्रीगेट ऑपरेटिंग प्रॉफिट और अजस्टेड ईपीएस साल दर साल आधा पर क्रमश: 11.9 प्रतिशत और 15.8 प्रतिशत बढ़ा। इसकी तुलना में बीएसई 500 इंडेक्स का अग्रीगेट ऑपरेटिंग प्रॉफिट और अजस्टेड ईपीएस इसी अवधि में साल दर साल आधार पर क्रमश: 7.1 प्रतिशत और 4.7 प्रतिशत चढ़ा।

आइए इन नौ में से चार शेयरों पर नजर डालते हैं, जिनके बारे में काफी ऐनालिस्ट्स की राय सकारात्मक है और जिनके प्राइस में ब्लूमबर्ग कंसेंसस एस्टिमेट्स के अनुसार अच्छी-खासी बढ़ोतरी की संभावना है।

डीबी कॉर्प
यह मीडिया कंपनी 12 राज्यों में अखबार प्रकाशित करती है, सात राज्यों में रेडियो बिजनस चलाती है। इसके अलावा नौ पोर्टल्स और चार मोबाइल ऐप्स पर इसकी डिजिटल मौजूदगी है। मार्केट शेयर गेन, डायवर्सिफाइड रीडरशिप बेस, ऐड रेवेन्यू ग्रोथ में रिकवरी, न्यूजप्रिंट के दाम में स्थिरता जैसे कारणों से ऐनालिस्ट्स इस शेयर पर बुलिश हैं। इस कंपनी का भौगोलिक विस्तार बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा और किसी भी आर्थिक सुस्ती से निपटने में इसके लिए मददगार है।

गल्फ ऑइल लुब्रिकेंट्स
यह ऑटोमोटिव और नॉन-ऑटोमोटिव लुब्रिकेंट्स और ग्रीज की मैन्युफैक्चरिंग, मार्केटिंग और ट्रेडिंग में सक्रिय है। यस सिक्यॉरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने अच्छे-खासे मार्केट शेयर, बेहतर प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो और बड़े डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के दम पर इस कंपनी का बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा। चेन्नै कारखाने में कामकाज शुरू होने से कंपनी को पूर्वी और दक्षिणी भारत में अपनी मौजूदगी मजबूत करने में मदद मिली है। ब्रोकरेज का मानना है कि यह शेयर आकर्षक वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहा है। उसे उम्मीद है कि 2017-18 से 2020-21 के बीच इसका मुनाफा 16 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ेगा।

बजाज कन्ज्यूमर केयर
यह एक एफएमसीजी कंपनी है। यह कॉस्मेटिक्स, टॉयलेटरीज और दूसरे पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स बनाती है। एसबीआईकैप सिक्यॉरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी हेयर ऑइल कैटिगरी में अपना मार्केट शेयर दोगुना करने की योजना के साथ काम कर रही है। उसका कहना है कि माइक्रो-सेगमेंटेशन, कॉस्ट एक्सिलेंस पर फोकस और मल्टी-इयर ट्रांसफॉर्मेशनल प्रोग्राम सरीखे कदमों से कंपनी की वित्तीय स्थिति आने वाले समय में मजबूत होगी। ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि मौजूदा वैल्यूएशन आकर्षक है। उसे उम्मीद है कि 2018-19 और 2020-21 के बीच इसकी बिक्री और मुनाफे में 12 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी।

एबॉट इंडिया
ऐनालिस्ट्स इस हेल्थकेयर कंपनी पर बुलिश हैं क्योंकि इसकी बैलेंस शीट पर कर्ज नहीं है और यह कैश से लबालब है। नए प्रॉडक्ट्स की लॉन्चिंग, स्पेशलिटी बिजनस में कारोबार बढ़ाने, दमदार रिटर्न रेशियो और पैरंट कंपनी की ओर से अच्छे सपॉर्ट को देखते हुए ऐनालिस्ट्स इस शेयर के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं।

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