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ITR-1 में सैलरी का ब्योरा भरने का जानिए तरीका?

22 May 2019 | 11.55 AM

आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने के लिए वेतन पाने वाले लोग एक फॉर्म का खूब इस्तेमाल करते हैं. वह फॉर्म है ITR-1. आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अब यह फॉर्म उपलब्ध है. इस तरह आप कंपनी से फॉर्म-16 मिल जाने पर आसानी से ITR फाइल कर सकते हैं.

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ITR-1 कई मायनों में अलग है. यहां तक कि फॉर्म-16 में भी इस साल बदलाव हुए हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की अधिसूचना के मुताबिक, फॉर्म-16 के नए फॉर्मेट में अधिक विस्तृत जानकारी होगी. मसलन, जिन भत्तों पर टैक्स से छूट मिलती है, उनके बारे में ज्यादा ब्योरा देना होगा. साथ ही सैलरी इनकम से क्लेम किए जाने वाले डिडक्शन का विवरण देने की भी जरूरत होगी. हालांकि, पिछले साल के उलट आपको सैलरी स्लिप जुटाने की जरूरत नहीं होगी. कारण है कि ITR-1 और Form-16 को सिंक किया गया है. इससे अपने विवरण को भरना आसान होगा. यहां हम बता रहे हैं कि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ITR-1 में सैलरी का ब्योरा भरने के लिए आपको क्या करना होगा.

इस साल ITR-1 में नीचे दिए गए चार सब-हेड में आपको सैलरी इनकम का विवरण देना है:

1. ग्रॉस सैलरी
2. सेक्शन 10 के तहत आने वाले भत्ते
3. नेट सैलरी
4. सेक्शन 16 के तहत डिडक्शन

चार सब-हेड के तहत पूरा डेटा दर्ज हो जाने पर पांचवां सब-हेड है 'इनकम चार्जिएबल अंडर द हेड सैलरीज'. यह रकम अपने आप कैलकुलेट हो जाएगी. आइए, यहां हर एक सब-हेड को विस्तार से देखते हैं.


1. ग्रॉस सैलरी

यह और तीन कंपोनेंट में विभाजित है:
(i) सेक्शन 17(1) के अनुसार सैलरी
(ii) सेक्शन 17(2) के अनुसार भत्तों का मूल्य
(iii) सेक्शन 17(3) के अनुसार सैलरी के बदले प्रॉफिट

ITR-1 में आवश्यक जानकारी के बारे में फॉर्म-16 के पार्ट-बी से पता लगाया जा सकता है.

फॉर्म-16 के पार्ट-बी की शुरुआत 'ग्रॉस सैलरी' से होती है. इस मद में वही ब्रेक-अप होते हैं जिनके बारे में ITR-1 में पूछा जाता है. आपको केवल जानकारी को कॉपी कर ITR-1 में दर्ज करना होता है.


2. सेक्शन 10 के तहत

आने वाले भत्ते इस मद में आपको कंपनी से मिलने वाले उन सभी भत्तों के बारे में बताना होता है जो पूरी तरह या आंशिक रूप से टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं. इस तरह के अलाउंस में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और लीव ट्रेवल अलाउंस (LTA) शामिल हैं.
ITR-1 फॉर्म में आपको इस सेक्शन के अंदर केवल उन अलाउंस को भरना है जो पूरी तरह या आंशिक रूप से टैक्स-एक्जेम्प्ट हैं. यह जानकारी फॉर्म 16 के पार्ट-बी में उपलब्ध होगी. 'अलाउंसेज टू द एक्सटेंट एक्जेम्प्ट अंडर सेक्शन 10' के तहत यह दिखाई देगी.

इस मद में किस तरह के भत्ते आते हैं यह समझना होगा. इसके लिए आपको अपने सैलरी स्ट्रक्चर के अनुसार, टैक्स छूट वाले अलाउंस देखने की जरूरत होगी. उदाहरण के लिए महंगाई भत्ता पूरी से तरह से टैक्सेबल है. अगर किसी भत्ते पर पूरी टैक्स देनदारी बनती है तो वह सेक्शन 17 (1) के तहत सैलरी में जुड़ जाएगा.

इसी तरह HRA पर तब टैक्स लगेगा अगर आप किराये के मकान पर नहीं रह रहे हैं या कोई किराया नहीं दे रहे हैं. हालांकि, अगर आप किराये के मकान में रहते हैं तो एआरए के एक हिस्से पर टैक्स से छूट मिलती है.

ड्रॉप डाउन मेनू में 14 विकल्प होंगे. इसमें फॉर्म 16 के अनुसार बताना है कि आपको किन अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती है.

3. नेट सैलरी

बताए गए मदों में ब्योरा दर्ज करने पर ITR सॉफ्टवेयर अपने आप नेट सैलरी कैलकुलेट कर देगा. यह रकम फॉर्म 16 में दर्ज नेट सैलरी से मेल खानी चाहिए.


4. सेक्शन 16 के तहत डिडक्शन

नेट सैलरी कैलकुलेट हो जाने के बाद आपको डिडक्शन क्लेम करने की जरूरत पड़ती है. वेतन पाने वाले व्यक्ति ही सेक्शन 16 के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इन डिडक्शन में शामिल हैं:
1. स्टैंडर्ड डिडक्शन
2. एंटरटेनमेंट अलाउंस
3. एम्प्लॉयमेंट पर टैक्स/प्रोफेशनल टैक्स

ये डिडक्शन फॉर्म-16 के पार्ट-बी में दिए होंगे. वित्त वर्ष 2018-19 में आपको 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा. एंटरटेनमेंट अलाउंस पर डिडक्शन केवल सरकारी कर्मचारियों को मिलता है. अगर आपने राज्य सरकार को कोई प्रोफेशनल टैक्स दिया है तो दी गई रकम डिडक्शन के तौर पर क्लेम की जा सकती है.

5. टैक्स का कैलकुलेशन

एक बार सभी पंक्तियों (Rows) में जानकारी भर जाने के बाद आईटीआर सॉफ्टवेयर अपने आप टैक्स कैलकुलेशन करता है. यह 'इनकम चार्जिएबल अंडर द हेड सैलरीज' में दिखेगा. अपने आप कैलकुलेट की गई इस रकम का मिलान फॉर्म-16 में दर्ज राशि से होनी चाहिए.

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