29 May 2019 | 11.38 AM
नई दिल्ली: सेना की कैंटीनों में बाजार भाव से सस्ते दामों पर सामान मिलता है, यही वजह है कि इसका दुरुपयोग भी होता है। काराें की बात की जाए तो सेना की सीएसडी (CSD) कैंटीन्स से कार खरीदने पर सैन्य अधिकारियों और वहां काम करने वाले सिविलियन्य को कार खरीदने पर मार्केट प्राइस की तुलना में 75,000 रुपए तक की बचत हो जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। अब सैन्य अधिकारी सीएसडी कैंटीन्स से सस्ते दामों पर कारें नहीं खरीद पाएंगे। इसके लिए सेना 1 जून से नया नियम लागू करने जा रहे हैं।
8 साल में खरीद पाएंगे एक कार
व्हीकल्स पर सीएसडी CSD कैंटीन के खर्च को कम करने के लिए सेना ने नया नियम प्रस्तावित किया है, जिसके तहत सैन्य अधिकारी 12 लाख तक का वाहन (जीएसटी हटाकर) कैंटीन से खरीद सकेंगे। 1 जून से लागू होने वाले इस नियम के तहत अधिकारी हर 8 साल में एक ही बार कार खरीद सकेंगे और उसमें भी कार के इंजन की क्षमता 2500 सीसी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
सर्विस के दौरान एक बार कार खरीद सकेंगे जवान
इस नए नियम के अनुसार सेना के जवान अपनी सेवा के दौरान सिर्फ एक बार कार खरीद सकेंगे और रिटायरमेंट के बाद जीएसटी मिलाकर 6.5 लाख रुपए तक की कार खरीद पाएंगे।
सालाना 500 करोड़ का मुनाफा कमाती है सीएसडी कैंटीन
हर साल संसद की ओर से तकरीबन 17,000 करोड़ रुपए सीएसडी कैंटीन के लिए आवंटित किए जाते हैं। सीएसडी कैंटीन में आने वाले सभी आयटम पहले ही कम दाम पर लाए जाते हैं और फिर इस नए दाम पर लगने वाले जीएसटी को भी आधा कर दिया जाता है। हालांकि सीएसडी को हर साल 500 करोड़ रुपए का मुनाफा होता है और हर साल भारतीय कोष में सीएसडी की तरफ से तकरीबन 150 करोड़ रुपए जमा किए जाते हैं, फिर भी जीएसटी पर मिलने वाली 50 फीसदी छूट को फाइनेंस अथॉरिटी नुकसान के तौर पर देखती हैं।
बिक्री बढ़ने से बढ़ गई परेशानी
पिछले दो सालों में बाजार में काराें के ज्यादा वेरिएंट लॉन्च होने, आसानी से लोन मिलने आैर लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने के चलते कारों की बिक्री 200 फीसदी तक बढ़ गई है। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल 6000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा राशि कारों की बिक्री हुई, जिससे बजट काफी ज्यादा बढ़ गया और कार मैन्युफैक्चरर्स को देने वाली राशि बढ़कर 4500 करोड़ रुपए हो गई।