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GST रिटर्न की डेडलाइन में कोई बदलाव नहीं, जुलाई से शुरू होगा ऑडिट:

5 June 2019 | 12.13 PM

नई दिल्ली: भारतीय कंपनियां अब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) फाइलिंग्स की पहली जांच का सामना करने के लिए तैयार हो जाएं। अथॉरिटीज जुलाई से जीएसटी ऑडिट शुरू करने की तैयारी कर रही हैं। जीएसटी के पहले साल के लिए दाखिल किए गए रिटर्न को रिस्क-आधारित आकलन के लिए चुना जा सकता है।

यह ऑडिट काफी अहम है। ऐसा पहली बार होगा जब कॉरपोरेट्स के जीएसटी रिटर्न और अकाउंट्स की जांच की जाएगी और जीएसटी के लागू होने के बाद उनके द्वारा उठाए गए कदम जांच के घेरे में आ सकते हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अथॉरिटीज को जुलाई से ऑडिट शुरू करने के निर्देश मिले हैं।’ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी ऑडिट में पता लगाया जाएगा कि इंडस्ट्री ने किस स्तर तक नियमों का पालन किया है और उन्होंने इसके अनुपालन के लिए कौन से कदम उठाए हैं।

ईवाई के पार्टनर बिपिन सप्रा ने बताया, ‘इसकी भी जांच होगी कि GSTR9C में जारी हुए जीएसटी ऑडिट सर्टिफिकेट्स का अथॉरिटीज कैसे इस्तेमाल करती हैं और पूरे ऑडिट प्रक्रिया में उनका क्या महत्व है।’ पीडब्ल्यूसी में इनडायरेक्ट टैक्स पार्टनर अनीता रस्तोगी ने बताया, ‘यह पहली विभागीय जांच होगी। इसके लिए कंपनियों को तैयार रहना चाहिए। यह जांच जीएसटी के पहले साल से जुड़ी होगी, इसलिए अथॉरिटीज को पोर्टल और नियमों के व्याख्या से जुड़ी तमाम समस्याओं को भी ध्यान में रखना होगा। ऐसे में लचीला रुख अपनाया जाना चाहिए।’ सप्रा ने भी कहा, ‘शुरुआती प्रक्रिया उदार होनी चाहिए। अगर नियमों के अनुपालन में कोई कमी है तो ऑडिटर्स को टैक्सपेयर्स को जागरूक करना चाहिए। उसे पेनाल्टी लगाने से बचना चाहिए।’

नियम के मुताबिक, दो रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान है। इसमें से 31 दिसंबर जबकि दूसरा वित्त वर्ष में मार्च तक करना होता है। इनमें पहला GSTR9 या सालाना रिटर्न है और दूसरा GSTR9C या फाइनैंशल स्टेटमेंट के साथ जीएसटी रिटर्न का सालाना रिकंसिलिएशन स्टेटमेंट है। ये चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा सर्टिफाइड होते हैं। दूसरे को जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट कहते है, जो टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की तरह है। भविष्य में होने वाले सभी जीएसटी ऑडिट्स के लिए यही जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट आधार बनेगा।

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए GSTR9 और 9C रिटर्न फॉर्मेट को डेडलाइन से कुछ ही दिन पहले जारी किया गया था। इस रिटर्न में कई जानकारियां देनी थीं, जो इतने कम समय में मुमकिन नहीं था। ऐसे में सरकार ने इसकी डेडलाइन 31 दिसंबर 2018 से बढ़ाकर 30 जून 2019 कर दी थी। सरकार ने मंगलवार को एक सर्टिफिकेशन जारी कर स्पष्ट किया था कि सभी कंपनियों को 30 जून से पहले रिटर्न भरना होगा।

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