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क्या एसबीआई की नई होम लोन स्कीम होगी आपके लिए फायदेमंद साबित?

20 June 2019 | 12.02 PM

मुंबई: देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई ऐसी होम लोन स्कीम लाने जा रहा है, जिससे फ्लोटिंग रेट हाउसिंग लोन पर ब्याज का पूरा सिस्टम बदल सकता है। इससे ब्याज को लेकर पारदर्शिता भी बढ़ सकती है। बैंक की नई स्कीम ग्राहकों के लिए 1 जुलाई से उपलब्ध होगी। एसबीआई में रिटेल और डिजिटल बैंकिंग के मैनेजिंग डायरेक्टर पी के गुप्ता ने कहा, 'इसमें ब्याज के साथ हर साल बकाया मूल कर्ज का कम से कम 3 पर्सेंट का भुगतान जरूर होगा। वहीं, साल के दौरान रीपो रेट के आधार पर ईएमआई में बदलाव हो सकता है।'

एसबीआई ने नई स्कीम के लिए शुरुआती दर 8.4 पर्सेंट तय की है। इसमें उधारी दर आरबीआई के रीपो रेट से जुड़ी होगी। अभी बैंक मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स (एमसीएलआर) के आधार पर ब्याज दर वसूलते हैं। एसबीआई के नए प्रॉडक्ट के बारे में Mortgageworld.com के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर विपुल पटेल ने कहा, 'रीपो रेट के साथ ब्याज दर जोड़ने से पारदर्शिता बढ़ेगी। जब भी रीपो रेट में कमी होगी, उसका फायदा ग्राहकों को दिया जाएगा।'

रेट कट का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता

होम लोन ग्राहक लंबे समय से शिकायत करते रहे हैं कि रिजर्व बैंक के ब्याज घटाने के बावजूद उसके मुताबिक उनका कर्ज सस्ता नहीं होता। जब आरबीआई रीपो रेट बढ़ाता है, तब बैंक कर्ज महंगा करने में बिल्कुल देर नहीं करते, लेकिन जब वह रेट घटाता है तो उसका फायदा देने में वे देरी करते हैं। साथ ही, वे रेट कट का पूरा फायदा भी नहीं देते। आरबीआई ने इस साल फरवरी और अप्रैल में रीपो रेट में कुल मिलाकर आधा प्रतिशत की कटौती की, लेकिन बैंकों ने ग्राहकों के लिए कर्ज सिर्फ 0.21 प्रतिशत सस्ता किया।

Paisabazaar.com के संस्थापक और सीईओ नवीन कुकरेजा ने कहा, 'एमसीएलआर कैलकुलेशन में बैंकों को रीपो रेट के अलावा डिपॉजिट कॉस्ट, ऑपरेटिंग कॉस्ट आदि को शामिल करना पड़ता है। इसलिए रेट कट का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिलता।' मई में एसबीआई ने एक लाख से अधिक के सेविंग्स और करंट अकाउंट डिपॉजिट को रीपो रेट से जोड़ने का फैसला किया था। यह नए रिटेल फ्लोटिंग रेट लोन से पहले का कदम था।

SBI का नया दांव

इसके बाद बैंक ने रीपो रेट से जुड़ा नया लोन प्रॉडक्ट पेश किया है। इसकी ब्याज दर रीपो रेट से 2.25 पर्सेंट अधिक होगी। अभी रीपो रेट 5.75 पर्सेंट है। इसके अलावा, क्रेडिट स्कोर के आधार पर ग्राहक को 0.40-0.55 पर्सेंट तक अधिक ब्याज देना पड़ सकता है। आरजी 1, 2 और 3 ग्रुप में रखे जाने वाले ग्राहकों से 0.40 पर्सेंट अधिक ब्याज दर ली जाएगी, जबकि आरजी 4, 5 और 6 से 0.55 पर्सेंट अधिक ब्याज दर वसूली जाएगी। सैलरीड और नॉन-सैलरीड क्लास के लिए इस व्यवस्था किस तरह से काम करेगी, इस बारे में अभी तस्वीर साफ नहीं है।

पहले वर्ग के ग्राहकों से 75 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए 8.4 पर्सेंट की ब्याज दर वसूली जाएगी। इसमें लोन टु वैल्यू रेशियो को 80 पर्सेंट से कम माना गया है। अगर यह 80 पर्सेंट से अधिक रहता है तो ब्याज दर 0.20 पर्सेंट बढ़ जाएगी। हायर रिस्क ग्रुप के ग्राहकों को इसी कर्ज के लिए 8.55 पर्सेंट की ब्याज दर चुकानी पड़ेगी। बैंक अधिकतम 33 साल के लिए होम लोन देगा, जिसमें अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट्स के लिए दो साल के मोरेटोरियम की भी इजाजत है। जिन लोगों की सालाना आमदनी 6 लाख रुपये से अधिक है, सिर्फ वही इसके लिए योग्य माने जाएंगे। एसबीआई के मौजूदा ग्राहक 0.25 पर्सेंट की कन्वर्जन फीस चुकाकर नए सिस्टम में शिफ्ट हो सकते हैं।

किन बातों का रखें ख्याल

नई स्कीम की खूबी पारदर्शिता है क्योंकि इसमें आरबीआई के रेट घटाने के तुरंत बाद उसका फायदा ग्राहकों को देने की बात कही गई है। हालांकि, जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो रही है, तब इससे ग्राहकों को नुकसान भी हो सकता है। कुकरेजा ने बताया, 'इसमें काफी अधिक वोलैटिलिटी होगी। सिर्फ उन्हीं ग्राहकों को इस स्कीम को चुनना चाहिए, जो ब्याज दरों में बार-बार उतार-चढ़ाव के लिए तैयार हों।'

रीपो रेट और एमसीएलआर लिंक्ड होम लोन रेट्स में सबसे कम अंतर 0.15 पर्सेंट का है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी ब्याज दर 0.15 पर्सेंट कम होगी। बैंक आपके रिस्क स्कोर और दूसरे मानकों के हिसाब से नई स्कीम की ब्याज दर तय करेगा। कर्ज के शुरुआती वर्षों में आपकी ईएमआई का बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में जाता है। एसबीआई की नई स्कीम की ईएमआई का कैलकुलेशन पारंपरिक ईएमआई की तरह नहीं होगा। अभी तक बैंक ने इस बारे में तस्वीर साफ नहीं की है। एसबीआई ने कहा कि 3 पर्सेंट प्रिंसिपल का हर साल भुगतान होगा।

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