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ITR में देनी होगी तोहफों की जानकारी, जानें क्या हैं इससे सम्बंधित टैक्स के नियम?

27 June 2019 | 2.55 PM

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जारी इनकम टैक्स रिटर्न नोटिफिकेशन में टैक्सपेयर को मिले उपहारों का खुलासा करना अनिवार्य किया गया था। इस प्रावधान को वित्त वर्ष 2018-19 में भी बरकरार रखा गया है। यानी, इस वर्ष भी आपको आईटीआर भरते वक्त पिछले वित्त वर्ष में मिले तोहफों की जानकारी देनी होगी। आइए जानते हैं कि उपहारों पर टैक्स की गणना कैसे की जाती है और आईटीआर फॉर्म में इसकी जानकारी कैसे दी जाए।

उपहारों पर टैक्स लगाने की व्यवस्था गिफ्ट टैक्स ऐक्ट, 1958 के तहत की गई थी, लेकिन इस कानून को 1998 में खत्म कर दिया गया था। छह साल बाद फाइनैंस ऐक्ट 2004 में सेक्शन 56 (2) (v) जोड़ा गया जिसके तहत गिफ्ट पाने वाले पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया। इसके मुताबिक, किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को मिले किसी गिफ्ट पर टैक्स की गणना ऐसी की जाती है...

रुपये-पैसे का तोहफा

अगर आपको उपहार के तौर पर नकद रकम मिली हो तो एक वित्त वर्ष में जितनी बार नकद उपहार मिले, उसकी पूरी रकम को अन्य मदों से हुई आमदनी मानी जाएगी। हालांकि, अगर सारे नकद उपहार को जोड़ने पर 50 हजार रुपये या इससे कम होता है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। यानी, एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये का नकद उपहार टैक्स फ्री है।

इसे ऐसे समझिए, अगर किसी व्यक्ति को एक वित्त वर्ष में 75 हजार रुपया उपहार में मिलता है, तो उसे पूरे अमाउंट पर टैक्स पे करना होगा। हालांकि, अगर एक वित्त वर्ष में मिला कैश गिफ्ट 50 हजार रुपये से कम है तो पूरी रकम टैक्स फ्री होगी।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपको मिले तोहफे की स्टांप ड्यूटी वैल्यू 4 लाख रुपये है जबकि आपका कंसिडरेशन वैल्यू 1 लाख 50 हजार रुपये है। ऐसे में स्टांप वैल्यू और कंसिडरेशन वैल्यू का अंतर 2 लाख 50 हजार रुपये का होगा जो 50 हजार रुपये की सीमा से ज्यादा है।

क. टैक्स छूट की सीमा है 50 हजार रुपये
ख. कंसिडरेशन वैल्यू 1.50 लाख रुपये का 5% होगा 7,500 रुपये

दोनों जोड़कर 57,500 रुपये हो जाता है जो 50 हजार रुपये की सीमा से ज्यादा है। इसलिए, स्टांप ड्यूटी वैल्यू और कंसिडरेशन वैल्यू में अंतर की रकम 2.5 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा।

शेयर, सिक्यॉरिटीज, आभूषण, बेशकीमती वस्तुएं, ड्रॉइंग्स, पेंटिंग्स, वास्तुकला, किसी भी प्रकार की कलाकृति या सोना-चांदी जैसी चल संपत्ति पर भी इसी फॉर्म्युले पर टैक्स की गणना की जाती है। सिर्फ कंसिडरेशन वैल्यू के 5% के बराबर रकम वाली शर्त नहीं लागू होती। एक बात और कि इस मामले में स्टांप ड्यूटी वैल्यू की जगह फेयर मार्केट वैल्यू (एफएमवी) को ध्यान में रखा जाता है।

इसे ऐसे समझें, अगर आपको किसी ने जूलरी गिफ्ट की जिसकी फेयर मार्केट वैल्यू 2.50 लाख रुपये है। आपने इसके लिए कुछ भी नहीं दिया तो पूरे ढाई लाख को आपका आमदनी मानी जाएगी और पूरी रकम पर टैक्स लगाई जाएगी।
दूसरी ओर, अगर आपने जूलरी के बदले 1 लाख रुपये कंसडिरेशन वैल्यू के रूप में दिए तो आपको शेष 1.50 लाख रुपये पर ही टैक्स देना होगा।

मजेदार बात यह है कि कार, बाइक, लैपटॉप जैसी संपत्तियों को चल संपत्ति की श्रेणी में नहीं रखा गया है।

हालांकि, वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जारी आईटीआर 1 और आईटीआर 4 फॉर्म में तो कर योग्य उपहार का विशेष उल्लेख करने को नहीं कहा गया है। लेकिन, आईटीआर 2 और आईटीआर 3 में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में उपहार में मिली कर योग्य चल एवं अचल संपत्तियों का खुलासा करना अनिवार्य है।

कोई अपवाद भी है?

अगर उपहार किसी करीबी रिश्तेदार से मिले हों तो आपको इन पर इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। साथ ही, विवाह के मौके पर मिले उपहार भी टैक्स फ्री होते हैं। वहीं, वसीयतनामे या विरासत में प्राप्त उपहारों को भी कर मुक्त रखा गया है। इन सारे उपहारों के मूल्य कितने भी हों, टैक्स फ्री ही होते हैं। यहां रिश्तेदारों का मतलब है जीवनसाथी, भाई या बहन, जीवनसाथी का भाई या बहन, माता-पिता के भाई-बहन, अपने पूर्वज या वंशज, अपने जीवनसाथी के पूर्वज एवं वंशज। मान लीजिए कि आपको आपकी चाची या आपके चचेरे भाई-बहन ने उपहार दिया तो उस पर टैक्स देना होगा, लेकिन चाचा से तोहफा मिला तो वह टैक्स फ्री होगा।

एंप्लॉयर से मिले तोहफे पर टैक्स

अगर आपके एंप्लॉयर से एक वित्त वर्ष में 5,000 रुपये मूल्य तक का मिला उपहार टैक्स फ्री होगा, लेकिन तोहफे की वैल्यु 5,000 रुपये से ज्यादा हुई तो अतिरिक्त रकम को आपकी सैलरी से हुई आमदनी मानी जाएगी और उस पर इनकम टैक्स देना होगा।

आखिर में

तोहफों को प्यार और स्नेह जताने का जरिया माना जाता रहा है। चूंकि इस पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की भी नजर होती है, इसलिए आपको तोहफों पर टैक्स के नियम भी जानने चाहिए। खासकर अब जब टैक्स को लेकर सख्ती बढ़ रही है तो जरूरी है कि आप आईटीआर फॉर्म में सही तरीके से इसकी जानकारी दें और संबंधित दस्तावेजों (गिफ्ट डीड्स, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन आदि) को सावधानीपूर्वक सहेज कर रखें।

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