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मोदी सरकार की बड़ी योजना,अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से होगा सरकारी अस्पतालों में इलाज:

16 July 2019 | 12.25 PM

देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दखल होगी. सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन की कमी दूर करने और इलाज की गुणवत्ता बढ़ाने के मद्देनजर यह फैसला किया है. कैंसर सहित कई घातक रोगों और औषधियों के विकास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) का इस्तेमाल होगा. इसको लेकर नीति आयोग ने एक योजना भी तैयार की है. मोदी सरकार ने लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में यह बताया है कि सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल की दिशा में काम कर रही है.

दरअसल, ओडिशा की भुवनेश्वर सीट से बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने सरकार से पूछा था-क्या दुनिया के विभिन्न भागों में इस्तेमाल की जा रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का देश की जन स्वास्थ्य प्रणाली में इस्तेमाल किया जा रहा है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या उन क्षेत्रों का कोई आंकलन किया गया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग किया जा सकता है. अगर देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कोई योजना है तो उसकी रूपरेखा क्या है.

लोकसभा में उठे इस सवाल का 12 जुलाई को जवाब देते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि देश में जन स्वास्थ्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की संभावनाएं तलाशी जा रही है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत में सुरक्षित और प्रभावी तरीके से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग की दिशा में काम कर रहा है.

अब तक हुई ये पहल

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि नीति आयोग ने जैव प्रौद्यौगिकी विभाग (डीबीटी) के साथ मिलकर कैंसर रोगियों के 20 हजार से अधिक प्रोफाइल तैयार करने का लक्ष्य रखा है. कैंसर संबंधी रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी इमेज का डाटाबैस तैयार तैयार किया जाएगा. ताकि कैंसर प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभावशाली इस्तेमाल किया जा सके.

उन्होंने बताया कि नीति आयोग मधुमेह के कारण होने वाली रेटिनोपैथी का शीघ्र पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग पर बल दे रहा है. जैव प्रौद्यौगिकी विभाग ने कैंसर बायोलॉजी, क्षय रोग और पल्मनरी रोगों, मधुमेह और कार्डियोवस्कुलर रोगों, नेत्र रोगों, वंशानुगत और न्यूरोलॉकिल डिसऑर्डर और औषधि विकास के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रयोग के लिए प्रस्ताव मांगे हैं.

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से स्वास्थ्य क्षेत्र में स्टाफ की कमी दूर करने और प्रयोगशाला सुविधाओं को बढ़ाने, रोगों का शीघ्र पता लगाने, निदान और उपचार के मार्ग में आने वाली दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलेगी. सरकार ने बताया है कि नीति आयोग ने औद्यौगिक हस्तियों के साथ गहन परामर्श के बाद जून 2018 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भारत की राष्ट्रीय कार्यनीति जारी की है.

इन क्षेत्रों में होगा AI का प्रयोग

टेली रेडियोलॉजी

टेली आफ्थैल्मालजी

क्लीनिकल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम

रोग निगरानी

टेली मेडिसिन

रोगों का शीघ्र पता लगाना

स्वास्थ्य डाटा एनालिटिक्स

जैव प्रौद्यौगिकी में अनुसंधान

क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा तकनीकी सिस्टम होता है, जिसमें साफ्टवेयर के जरिए कंप्यूटर को इंसानों की तरह सोचने, समझने, काम करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित की जाती है. यह आर्टिफिशियल तरीके से सोचने, समझने और सीखने की क्षमता रखता है. हालांकि लोग रोबोट को ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समझ लेते हैं, जबकि रोबोट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डाला जाता है.

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