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क्या 'प्रेफरेंस शेयर' का मतलब जानते हैं आप?

9 September 2019 | 12.16 PM

हमारे सामने शेयर बाजार से जुड़े कई ऐसे शब्द आते हैं जिनका मतलब नहीं समझ आता है. इन्हीं में से एक है 'प्रेफरेंस शेयर.' कोई भी कंपनी अपने चुनिंदा निवेशकों और प्रमोटरों को ये शेयर जारी करती है. प्रेफरेंस या तरजीही शेयर रखने वाले निवेशक इक्विटी शेयर होल्डर से अधिक सुरक्षित होते हैं. इसकी वजह है कि अगर कभी कंपनी दिवालिया होने के कगार पर हो तो इस प्रकार के शेयरधारकों को सामान्य इक्विटी शेयरधारकों के मुकाबले पूंजी के भुगतान में वरीयता दी जाती है.

कंपनी को अगर कोई लाभ होता है तो उस लाभ पर भी सबसे पहले इन्हीं शेयरधारकों का अधिकार बनता है. इन्हें लाभांश या डिविडेंड देने के बाद जो पैसा बचता है, वह अन्य श्रेणी के शेयरधारकों में बांटा जाता है. आइए, यहां प्रेफरेंस शेयर के बारे में और जानते हैं:

1. प्रेफरेंस शेयर इक्विटी शेयरों का एक प्रकार हैं. इनमें सामान्य इक्विटी शेयरों से अलग वोटिंग राइट्स होता है. प्रेफरेंस शेयरों को वोटिंग राइट्स में तरजीह मिलती है.

2. सामान्य शेयरों के उलट प्रेफरेंस शेयर में डिविडेंड की दर पहले से तय हो सकती है. इस तरह इनके साथ ज्यादा सुरक्षा जुड़ी होती है.

3. कंपनी सभी अन्य पेमेंट के बाद डिविडेंड का भुगतान करती है. डिविडेंड के भुगतान में सामान्य इक्विटी शेयरहोल्डर के मुकाबले प्रेफरेंस शेयरहोल्डरों को अधिक तरजीह मिलती है. यानी पहले प्रेफरेंस शेयरहोल्डरों को डिविडेंड का भुगतान होता है और बाद में अन्य श्रेणी के शेयरधारकों के बीच इसे बांटा जाता है.

4. प्रेफरेंस शेयर में इक्विटी और डेट दोनों के फीचर होते है. इनमें इक्विटी रिस्क होता है. इस तरह पूंजी सुरक्षित नहीं होती है. इनमें ब्याज की तरह डिविडेंड मिल सकता है.

5. प्रेफरेंस शेयर को सामान्य शेयरों में बदला जा सकता है. उस स्थिति में इन्हें कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर कहते हैं. जब इन्हें बदला न जा सके तो इन्हें नॉन-कन्वर्टिबल प्रेफरेंस शेयर कहा जाता है.

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