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इनकम टैक्स विभाग से मिला नोटिस असली है या नकली, ऐसे करे जांच

8 November 2019 | 2.51 PM

नई द‍िल्ली: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से आपको मिला नोटिस या ऑर्डर असली है या फर्जी, इसका पता अब आप आसानी से लगा सकते हैं। जी हां इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से मिले नोटिस का पता लगाना अब बहुत आसान हो गया है। इसे जांचने के लिए इनकम टैक्स की ओर नई सुविधा शुरू की गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसको लेकर सर्कुलर भी जारी किया है।

नोटिस पर कंप्यूटर जेनरेटेड डीआईएन होगा

विभाग से जारी हर इनकम टैक्स नोटिस पर कंप्यूटर जेनरेटेड डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) होगा। इसके साथ ही, अब नए फैसले के तहत अब ये नंबर टैक्सपेयर्स को मिले वाले सभी डॉक्युमेंट पर भी जरूरी हो गया है। यह सिस्टम टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। बता दें कि सीबीडीटी के निर्देशों के मुताबिक विशेष परिस्थितियों को छोड़कर बिना डीआईएन के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से जारी किए गए सभी कागजात और पत्राचार अवैध माने जाएंगे। डीआईएन केवल उसी स्थिति में लगाना जरूरी नहीं होगा, जहां ये जरूर नहीं समझा जाएगा पर इसके लिए प्रधान आयकर आयुक्त या आयकर महानिदेशक से मंजूरी लेनी होगी। 

जानें क्या है पूरा प्रोसेस

सबसे पहले www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।

'क्विक लिंक्स' टैब के नीचे 'आथेंटिकेट' टैब के तहत आपको 'नोटिस/आर्डर इश्यूड बाई आईटीडी' दिखेगा। इस पर क्लिक करें।

स्क्रीन पर नया वेबपेज खुल जाएगा। जो डॉक्यूमेंट मिला है, उसे जांचने के लिए आपको दो विकल्प दिए जाएंगे। आप डॉक्यूमेंट के सच का पता डॉक्यूमेंट नंबर या फिर पैन, एसेसमेंट ईयर, नोटिस सेक्शन, महीने, ईयर आफ इश्यू से लगा सकते हैं।

कैप्चा नंबर करें और सब्मिट पर क्लिक करें। अगर जारी किया गया नोटिस या आर्डर असली होगा तो वेबसाइट पर वह दिखाई देगा। वेबसाइट पर आप मैसेज दिखेगा: यस, नोटिस इज वैलिड एंड इश्यूड बाई इनकम टैक्स अथॉरिटी।

अब नोटिस कंप्यूटर आधारित तकनीक के तहत डीआईएन के जरिये भेजे जाएंगे।

नई व्यवस्था के जरिए ईमानदार टैक्सपेयर्स को नहीं होगी परेशानी

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल के दिनों में रिटर्न भरने और शिकायत निवारण प्रणाली में डिजिटल को बढ़ावा दिया है। यह उसी दिशा में उठाया गया कदम है। बता दें कि सीबीडीटी के दिशानिर्देश के मुताबिक, ऐसे पत्राचार को 15 दिन के भीतर डिपार्टमेंट के पोर्टल पर अपलोड करना होगा। वहीं कई मौकों पर ऐसा देखने को मिला है कि कागजातों को देखकर ये पता नहीं चलता था कि उन्हें असल में जारी किसने किया है। यही वजह है कि ये नई व्यवस्था बनाई जा रही है जिसके जरिए ईमानदार टैक्सपेयर्स को परेशानी का सामना न करना पड़े।

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