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आर्बिट्राज फंड से उठाइए वोलैटाइल मार्केट का फायदा,जानिए कैसे?

23 October 2018 | 12.40 PM

मुंबई: आर्बिट्राज फंड के निवेशकों के लिए शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव अच्छी खबर है। ऐसे मार्केट में उनका रिटर्न बढ़ता है। उसकी वजह यह है कि आर्बिट्राज फंड्स कैश और फ्यूचर मार्केट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर रिटर्न जेनरेट करते हैं। वे कैश मार्केट में शेयर खरीदते हैं और फ्यूचर्स मार्केट में बिकवाली करते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों मार्केट के बीच कीमतों का अंतर बढ़ जाता है। इधर, आर्बिट्राज फंड्स के एवरेज एब्सॉल्यूट रिटर्न में बढ़ोतरी हुई है और सितंबर में यह सालाना 9 पर्सेंट और मंथली 0.75 पर्सेंट रहा।

रिटर्न बढ़ने की दो वजहें हैं। पहली, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ना। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले वक्त में भी इन फंड्स से ऊंचा रिटर्न मिल सकता है। ट्रेड स्मार्ट ऑनलाइन के फाउंडर और डायरेक्टर विजय सिंघानिया ने बताया, '2019 लोकसभा चुनाव तक बाजार में उथलपुथल मची रहेगी। इससे आर्बिट्राज फंड्स को अधिक रिटर्न जेनरेट करने में मदद मिलेगी।'

दूसरी वजह, करेंसी में उतार-चढ़ाव बढ़ना और डॉलर की हेजिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी है। इस बारे में कोटक म्यूचुअल फंड के इक्विटी फंड मैनेजर दीपक गुप्ता ने बताया, 'आर्बिट्राज मार्केट में दांव लगाने वाले फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (एफपीआई) अपने डॉलर रिस्क को कम करने के लिए हेजिंग करते हैं। इधर हेजिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी के चलते उनका मार्केट में पार्टिसिपेशन कम हुआ है।' डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 74-75 के लेवल तक आ गया है। एक्सपर्ट्स को रुपये में और गिरावट आने की आशंका नहीं दिख रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि एफपीआई मार्केट में बहुत जल्द वापसी करने जा रहे हैं। उनकी करेंसी हेजिंग कॉस्ट कुछ समय तक ऊंची बनी रह सकती है।

हालांकि, इस वजह से एडिशनल रिटर्न मई के बाद तक जारी नहीं रहेगा। करेंसी के स्टेबल होने के बाद एफपीआई मार्केट में वापसी कर सकते हैं, जिससे डोमेस्टिक फंड्स के लिए आर्बिट्राज के मौके कम हो जाएंगे। इसलिए निवेशकों को इन फंड्स से वाजिब रिटर्न की उम्मीद ही करनी चाहिए। इस बारे में गुप्ता ने कहा, 'पिछले 1-2 महीने में आर्बिट्राज फंड्स से ऊंचा रिटर्न मिला है। निवेशकों को पूरे साल में ऐसे रिटर्न की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।'

किन्हें इन फंड्स में रकम लगानी चाहिए?

आर्बिट्राज फंड्स उन लोगों के लिए अच्छे हैं, जो बहुत कम रिस्क लेना चाहते हैं। इसका भी ध्यान रखें कि शॉर्ट टर्म में इन फंड्स के एनएवी में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है। उसकी वजह यह है कि स्कीम को बाय और सेल पोजिशंस की वैल्यू मार्क टु मार्केट बेसिस पर देनी होगी। आर्बिट्राज ट्रेड जब सेटल होगा, तब फंड के एनएवी में लॉक्ड इन प्रॉफिट दिखेगा। इस वैल्यूएशन मेथड की वजह से बीच में लॉस काफी बढ़ सकता है। फिनविन फाइनेंशियल प्लानर्स के संस्थापक मेल्विन जोसफ का कहना है कि यह फंड स्मार्ट इनवेस्टर्स के लिए है। उन्होंने बताया, 'आर्बिट्राज फंड्स उनके लिए अच्छे होते हैं, जिन्हें पता होता है कि यह कैसे काम करते हैं। उन्हें पता होता है कि जब बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ती है, तब इन फंड्स से रिटर्न बढ़ता है और जब उतार-चढ़ाव कम होता है तो रिटर्न में भी कमी आती है।'

टैक्स का फायदा

इन फंड्स से डेट जैसा रिटर्न मिलता है, लेकिन टैक्स के लिहाज से उनके साथ इक्विटी फंड जैसा बर्ताव किया जाता है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगाए जाने के बाद इन फंड्स से टैक्स बेनेफिट पहले की तरह नहीं रह गया है। इसके बावजूद शॉर्ट टु मीडियम टर्म के लिए इनमें निवेश किया जा सकता है। सिंघानिया ने बताया, 'इसमें रिस्क काफी कम होता है। इसलिए डेट फंड इनवेस्टमेंट को बेहतर रिटर्न के लिए इनमें शिफ्ट किया जा सकता है।' गुप्ता भी इस बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि आर्बिट्राज फंड्स टैक्स के लिहाज से अच्छे होते हैं। इसलिए टैक्स के बाद भी उनसे बढ़िया रिटर्न मिलता है। हालांकि, इसमें होल्डिंग पीरियड काफी मायने रखता है।

ग्रोथ या डिविडेंड?

जो लोग एक साल तक के लिए इनमें निवेश कर रहे हैं, वे डिविडेंड ऑप्शन को चुन सकते हैं। वहीं, जिनका होल्डिंग पीरियड एक से तीन साल के बीच है, उनके लिए ग्रोथ ऑप्शन अच्छा रहेगा।

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