01 Nov. 2017 | 1.12 PM
भीम का नाम अब सभी बैंकों के पेमेंट यूपीआई को मिलेगा, जानिए इसका कारण :
मुंबई
पब्लिक और प्राइवेट समेत सभी भारतीय बैंक अपने डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशंस को भीम यानी भारत इंटरफेस फॉर मनी के तहत लाने वाले हैं। इससे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की बड़े पैमाने पर स्वीकार्यता बढ़ेगी। बैंकों को अब अपने यूपीआई एप्लिकेशंस के प्रीफिक्स के तौर पर भीम को डिस्प्ले करना होगा ताकि यूजर्स का भ्रम दूर किया जा सके। इससे यूपीआई को स्मार्टफोन बेस्ड स्मॉल वैल्यू रिटेल ट्रांजैक्शंस के लिए पेमेंट के अकेले माध्यम के तौर पर प्रमोट करने में मदद मिलेगी।
बैंकरों के मुताबिक यह ब्रैंडिंग एक्टिविटी है। एक बैंकर ने बताया, 'बैंक ऐप्स के यूपीआई फ्रंट एंड में बदलाव होगा ताकि भीम नाम जोड़ा जा सके। हालांकि, यह केवल नाम में ही बदलाव है। बाद में सब भीम फैमिली का हिस्सा हो जाएगा। इससे मर्चेंट्स में किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने में मदद मिलेगी। यूजर्स को पेमेंट्स के लिए यूपीआई का इस्तेमाल करने में भी आसानी होगी।'
बैंकर्स ने बताया कि चूंकि भीम डिजिटल पेमेंट्स का पर्याय बन गया है। इससे लोगों को एप्लिकेशन को पहचानने में मदद मिलेगी। इससे अलग-अलग बैंकों के यूपीए ऐप्स को भी सिंगल पहचान मिलेगी। बैंकरों ने यह भी कहा कि इससे सरकार के प्रमोशनल कैंपेन को बैंकों के यूपीआई ऐप्स के यूजर्स तक पहुंचने में मदद मिलेगी, जो अभी तक भीम यूजर्स तक ही सीमित है। भीम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में लॉन्च किया था। इसे सरकार प्रमोटेड यूपीआई एप्लिकेशन के तौर पर उतारा गया। यह एक्सिस पे, एसबीआई पे समेत फ्लिपकार्ट के फोनपे और इंटरनेट कंपनी गूगल के पेमेंट एप्लिकेशन तेज का सीधा प्रतिस्पर्धी बनकर उभरा।
रीब्रैडिंग के साथ बैंकों की अगुवाई वाले यूपीआई ऐप्स को अब मिसाल के तौर पर भीम एसबीआई पे, भीम एक्सिस पे और भीम आरबीएल पे जैसे नाम मिलेंगे। भीम एप्लिकेशन को चलाने वाली नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बैंकों को नोटिफाई किया है कि वे भीम यूपीआई को मर्चेंट चेकआउट लोकेशंस पर प्रभावी तौर पर रखें।
इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि अगर हर यूपीआई ऐप की ब्रैंडिंग भीम के तौर पर की जाए तो पेमेंट इंटरफेस के मर्चेंट अडॉप्शन पर बड़ा असर होगा। इससे नॉन बैंक पेमेंट प्लैटफॉर्म्स को भी फायदा होगा। फिलहाल यूपीआई अडॉप्शन बड़े तौर पर पीयर-टू-पीयर ट्रांजैक्शंस पर आधारित है। ट्रूपे के को-फाउंडर राहुल गोछवाल ने कहा, 'सभी बैंकिंग या नॉन-बैंकिंग यूपीए ऐप एनपीसीआई के प्रमोटेड बैक एंड पर काम करते हैं, चूंकि ये सभी ऐप्स इंटरऑपरेबल हैं, ऐसे में यूपीए को कॉमन ब्रांड के तौर पर बेचने का फैसला काफी मददगार साबित होगा।'