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न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना कर सकती है सरकार:

16 March 2018 | 11.40 AM

चुनावों से पहले सरकार ईपीएफओ के तहत ईपीएस सब्सक्राइबर्स के लिए मासिक पेंशन को दोगुना करके 2,000 रुपये कर सकती है। इससे करीब 40 लाख सब्सक्राइबर्स को फायदा होगा और सरकार पर सालाना 3,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। कैबिनेट ने 2014 में एक साल के लिए 1,000 रुपये मासिक की न्यूनतम पेंशन को मंजूरी दी थी और 2015 में इसे अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ा दिया था। न्यूनतम पेंशन के लिए सरकार सालाना 813 करोड़ रुपये का योगदान देती है। अगर इसका फायदा अभी 2,000 रुपये मंथली से कम पेंशन पाने वाले सभी लोगों को दिया गया तो सरकार का बोझ भी बढ़कर दोगुने से अधिक हो सकता है।


एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि श्रम मंत्रालय ने एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) से इस योजना के वित्तीय पहलुओं पर काम करने को कहा है। उसने ईपीएफओ से यह भी पूछा है कि अगर एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (ईपीएस), 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये मंथली किया जाता है तो ऐसे सब्सक्राइबर्स की संख्या कितनी रहेगी।
अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘ईपीएफओ जल्द ही ये जानकारियां दे सकता है। इसके बाद सरकार ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सामने न्यूनतम पेंशन को दोगुना करने का प्रस्ताव पेश करेगा।’ ईपीएफ-95 स्कीम के तहत अभी 60 लाख पेंशनर्स हैं। इनमें से 40 लाख को 1,500 रुपये मंथली से कम पेंशन मिल रही है। इनमें से 18 लाख को न्यूनतम 1,000 रुपये की पेंशन योजना का फायदा मिल रहा है। सरकार के पास 3 लाख करोड़ का पेंशन फंड है और ईपीएस के तहत वह सालाना 9,000 करोड़ रुपये का भुगतान करती है।


सरकार पर ट्रेड यूनियंस और ऑल इंडिया ईपीएस-95 पेंशनर्स संघर्ष समिति की तरफ से मासिक पेंशन को बढ़ाकर 3,000 से 7,500 रुपये करने का दबाव है। हाल ही में एक संसदीय समिति ने भी सरकार से ईपीएस-95 स्कीम की समीक्षा करने को कहा था। समिति ने कहा था कि केंद्र को 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन पर विचार करना चाहिए क्योंकि जो सोशल सिक्यॉरिटी बेनिफिट दिए जा रहे हैं, उनसे लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो सकतीं। श्रम पर संसद की स्थाई समिति की 34वीं रिपोर्ट सदन में बुधवार को पेश की गई थी। समिति ने कहा था कि उसका मानना है कि 1,000 रुपये की पेंशन बहुत कम है और इससे पेंशनर्स की हर महीने की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो सकतीं।


ईपीएफ (एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड स्कीम, 1952) और ईपीएस (एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम, 1995) दो अलग-अलग रिटायरमेंट स्कीम हैं, जिनका संचालन एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड्स ऐंड मिसलेनियस प्रोविजंस ऐक्ट, 1952 के तहत सैलरीड एंप्लॉयीज के लिए हो रहा है। जब भी आप ईपीएफ स्कीम के मेंबर बनते हैं, आपको ईपीएस स्कीम में भी एनरॉल कर लिया जाता है। हर महीने एंप्लॉयीज की 12 पर्सेंट सैलरी ईपीएस अकाउंट में जाती है, जबकि एंप्लॉयर की तरफ से 12 पर्सेंट सैलरी में से 3.67 पर्सेंट ईपीएफ, 8.33 पर्सेंट ईपीएस, 0.5 पर्सेंट ईडीएलआई और बाकी की रकम प्रशासनिक खर्च के तौर पर काट ली जाती है। एंप्लॉयीज की बेसिक सैलरी का 1.16 पर्सेंट और डेली अलाउंस सरकार भी उनके खाते में डालती है।

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