नई दिल्ली : देश के शीर्ष चिकित्सा नियामक ने चिकित्सकों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने केवल जेनेरिक दवाओं की अनुशंसा करने के दिशानिर्देश का पालन नहीं किया तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कम कीमत की दवाएं चिकित्सकों द्वारा अनुशंसा करने को लेकर कानून बनाए जाने की बात कही थी जिसके बाद भारतीय चिकित्सा परिषद् (एमसीआई) का यह निर्देश सामने आया है.
पर्ची स्पष्ट अक्षरों में और मुख्य तौर पर बड़े अक्षरों में होना चाहिए -
एमसीआई ने शुक्रवार को चिकित्सकों को फिर से कहा था कि पर्ची स्पष्ट अक्षरों में और मुख्य तौर पर बड़े अक्षरों में होना चाहिए और दवाओं के प्रयोग में ‘तर्कसंगतता’होनी चाहिए और ऐसा नहीं होने पर ‘कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई’की जाएगी. एमसीआई ने चिकित्सा समुदाय से कहा है कि इसके 2016 की अधिसूचना का पालन करें जिसमें इसने भारतीय चिकित्सा परिषद् (पेशेवर व्यवहार, शिष्टता और नैतिकता) विनियमन 2002 की धारा 1 . 5 में इस सिलसिले में संशोधन किया है. हाल के समय में सूरत में एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा था कि चिकित्सक इस तरह से पर्ची लिखते हैं कि गरीब लोग उनकी लेखनी समझ नहीं पाते और वे ऊंचे दामों पर निजी दुकानों से दवाएं खरीदते हैं.
सर्कुलर का सख्ती से पालन करने का निर्देश -
एमसीआई के सर्कुलर में कहा गया है, ‘एमसीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी चिकित्सकों को निर्देश दिया जाता है कि विनियमन के उपयुक्त प्रावधानों का अनिवार्य रूप से पालन करें.’ यह सर्कुलर मेडिकल कॉलेजों के सभी डीन, प्रिंसिपल, अस्पतालों के निदेशकों और सभी राज्य चिकित्सा परिषद् के अध्यक्षों को जारी किया गया है. सरकार भी 2015 के आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची को संशोधित कर रही है ताकि अधिक दवाओं को इसमें शामिल किया जा सके. जन औषधि कार्यक्रम का भी विस्तार किया जा रहा है जिसके तहत सरकार उचित दर पर आवश्यक दवाएं मुहैया कराती है.